कनाडा में भारतीय विद्यार्थियों के डीपोर्टेशन के मुद्दे पर केंद्र सरकार बेहद गंभीरता से काम कर रही है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि विदेश मंत्रालय (एमईए) और उच्चायोग मुख्य रूप से पंजाब के 700 भारतीय विद्यार्थियों के मामले को हल करने के लिए काम कर रहे हैं, जो फर्जी प्रवेश प्रस्तावों के कारण कनाडा से डीपोर्टेशन का सामना कर रहे हैं. जयशंकर का बयान पंजाब के एनआरआई मामलों के मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल की हस्तक्षेप की अपील के बाद आया है. इन विद्यार्थियों को डीपोर्टेशन का खतरा है, क्योंकि कनाडा के अधिकारियों को पता चला है कि कनाडा के शैक्षणिक संस्थानों को उनके प्रवेश प्रस्ताव पत्र नकली थे. यह मामला मार्च में सामने आया, जब छात्रों ने कनाडा में स्थायी निवास के लिए आवेदन किया.
एस. जयशंकर ने कहा, "शुरुआत से ही, विदेश मंत्रालय और उच्चायोग ने उनका मामला उठाया है. हमने सख्ती से कहा है कि दोषी पक्षों को दंडित किया जाना चाहिए. नवीनतम रिपोर्ट यह है कि कनाडाई स्वीकार करते हैं कि यह अनुचित होगा, यदि छात्र ने कोई गलत काम नहीं किया है और इसके बावजूद उन्हें डीपोर्टेशन का सामना करना पड़े. वे इस विचार को स्वीकार कर रहे हैं कि उन्हें इसका समाधान खोजना होगा. मुझे लगता है कि कनाडा की प्रणाली इस संबंध में उचित है."
विदेश मंत्री जयशंकर को लिखे अपने पत्र में धालीवाल ने इन विद्यार्थियों की मासूमियत को रेखांकित किया. उन्होंने लिखा, "यदि आप व्यक्तिगत रूप से मामले को फिर से देखेंगे और कनाडा के उच्चायोग और कनाडा सरकार सहित संबंधित एजेंसियों के साथ मामले को उठाएंगे, तो मैं बहुत आभारी रहूंगा, ताकि इन छात्रों को डिपोर्टेशन होने से बचाया जा सके."
धालीवाल, जिन्होंने व्यक्तिगत रूप से मामले पर चर्चा करने के लिए विदेश मंत्री के साथ एक बैठक का अनुरोध किया है, ने तर्क दिया कि इन विद्यार्थियों को उनके वीजा पर विचार करते हुए डीपोर्टेशन किए जाने के बजाय वर्क परमिट दिया जाना चाहिए. उन्होंने पंजाब के नागरिकों से विदेश में पढ़ने की योजना बनाने से पहले कॉलेज और ट्रैवल एजेंट के रिकॉर्ड की प्रामाणिकता को सत्यापित करने की भी अपील की.
बता दें कि कनाडा में सैकड़ों भारतीय छात्र संकट में फंस गए हैं. इन छात्रों पर कनाडा से डीपोर्टेशन की तलवार लटक रही है. ऐसे में ये छात्र विरोध में सड़कों पर उतर आए हैं. इनमें ज्यादातर छात्र पंजाब से हैं. छात्रों का कहना है कि कनाडा के अधिकारियों ने उन पर कनाडा के विश्वविद्यालयों के लिए फर्जी प्रवेश पत्रों के आधार पर वीजा प्राप्त करने का आरोप लगाया है. कनाडा बॉर्डर सर्विसेज एजेंसी (CBSA) ने हाल ही में करीब 700 भारतीय छात्रों को डीपोर्टेशन पत्र जारी किया है. पत्र तब जारी किए गए जब सीबीएसए ने पाया कि छात्रों के प्रवेश प्रस्ताव पत्र फर्जी हैं.
विरोध करने वाले कई छात्रों का दावा है कि वे 2018 में कनाडा पहुंचे थे, लेकिन फर्जी पत्र अब सामने आए, पांच साल बाद, जब उन्होंने स्थायी निवास के लिए आवेदन किया. NDTV से खास बातचीत में एक प्रदर्शनकारी छात्र चमनदीप सिंह ने कहा, "जब हम कनाडा पहुंचे, तो हमारे एजेंट ने हमें बताया कि जिन कॉलेजों के लिए हमें प्रवेश पत्र प्राप्त हुए थे, उनमें सीटें भरी हुई थीं. उन्होंने हमें बताया कि विश्वविद्यालयों में ओवरबुकिंग हो रही है, इसलिए वह हमें दूसरे कॉलेज में स्थानांतरित कर सकते हैं. चूंकि हम मौका खोना नहीं चाहते थे, इसलिए सहमत हो गए."
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