
Yoga For Diabetes: डायबिटीज आमतौर पर कमजोर मेटाबॉलिज्म के कारण होता है
खास बातें
- यहां डायबिटीज कंट्रोल करने में प्रभावी योग आसनों के बारे में बताया गया है
- डायबिटीज रोगियों को फिजिकली भी एक्टिव रहने की सलाह दी जाती है.
- डेली लाइफ में योग अभ्यास को शामिल करना फायदेमंद है.
Yoga Asanas For Diabetes: डायबिटीज आमतौर पर कमजोर मेटाबॉलिज्म के कारण होता है जो समय के साथ हाई ब्लड शुगर लेवल की ओर जाता है. अगर ब्लड शुगर लेवल को जल्द कंट्रोल नहीं किया गया तो यह कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है. डायबिटीज रोगियों को अपने शुगर लेवल को मैनेज करने के लिए कुछ उपाय करने चाहिए. डायबिटीज रोगियों को फिजिकली भी एक्टिव रहने की सलाह दी जाती है. योग एक नेचुरल तरीका है जिससे डायबिटीज रोगी लाभ ले सकते हैं. मेटाबॉलिक रेट, तनाव मुक्त प्रकृति और लो ब्लड प्रेशर लेवल को बढ़ाकर डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है जिसे डेली लाइफ में योग अभ्यास के जरिए ही प्राप्त किया जा सकता है. योग शरीर के प्रमुख अंगों और प्रणालियों के कार्यों को बढ़ाकर आपके संपूर्ण शरीर के स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है. यहां डायबिटीज को कंट्रोल करने में प्रभावी कुछ शानदार योग आसनों के बारे में बताया गया है.
डायबिटीज रोगियों के लिए योग आसन | Yoga Asanas For Diabetics
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1. मंडूकासन
- घुटने टेककर या वज्रासन में बैठ जाएं.
- अंगूठों को अंदर रखते हुए अपनी मुट्ठियों को कसकर बंद कर लें और श्वास लें.
- आगे की ओर झुकते हुए सांस छोड़ें और नाभि पर अधिकतम दबाव डालें.
- अपनी जांघ को अपनी छाती से स्पर्श करें और आगे की ओर मुख करें.
- कुछ देर इसी मुद्रा में रहें।
- गहरी सांस लेकर वज्रासन में आएं.
- 3-5 बार दोहराएं.

क्या नहीं करना चाहिए
- पीठ, रीढ़ की हड्डी या घुटने की समस्या वाले लोगों को विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में इस योग का अभ्यास करना चाहिए.
- पेप्टिक अल्सर वाले लोगों को इस आसन से बचना चाहिए.
- लंबे समय तक अपने पेट पर ज्यादा दबाव न डालें.
- टखने की चोट के दौरान अभ्यास न करें.
- हाई ब्लड प्रेशर, अनिद्रा और माइग्रेन के रोगियों को इस आसन से बचना चाहिए.
2. पश्चिमोत्तानासन
- अपने पैरों को सामने की ओर फैलाकर रखें.
- धीरे-धीरे आगे की ओर झुकते हुए श्वास लें और अपने अंगूठे को अपनी उंगलियों से दोनों पैरों पर पकड़ने की कोशिश करें.
- पूरी तरह से सांस छोड़ें और फिर से अपनी कोहनी को घुटनों पर रखते हुए आगे की दिशा में झुकें.
- अपने पैरों को सीधा रखें.
- जितनी देर हो सके इस मुद्रा को बनाए रखें.
क्या न करें
- पीठ की चोट, दस्त, अस्थमा या हाल ही में सर्जरी कराने वाले रोगियों को इस आसन से बचना चाहिए.
- खाने के तुरंत बाद इस आसन को न करें.
- घुटने न मोड़ें.
- अपने घुटनों या पैरों या पीठ पर अत्यधिक दबाव डाले बिना धीरे से स्ट्रेच करें.
3. पूर्वोत्तानासन
- अपने पैरों को आगे की दिशा में फैलाकर बैठ जाएं.
- अपने हाथों से जमीन को स्पर्श करें.
- कोहनियों को सीधा रखते हुए अपने हाथों को नितंबों से लगभग 30 सेमी पीछे रखें.
- अपनी उंगलियों को नितंबों की ओर करें.
- सांस भरते हुए अपने शरीर को ऊपर की दिशा में उठाएं.
- जितना हो सके उतना ऊपर उठाएं.
- शरीर के वजन को पैरों और बाहों पर संतुलित करने का प्रयास करें.
- सिर को पीछे की दिशा में नीचे लटकने दें.
- सांस छोड़ते हुए शरीर को धीरे-धीरे नीचे करें.
- आराम करें.
- जितनी बार आप कर सकते हैं दोहराएं.
क्या न करें
- शरीर और मांसपेशियों को बहुत ज्यादा स्ट्रेच करने से बचें.
- कमजोर दिल, कलाई या टखनों, हाई ब्लड प्रेशर, पेट के अल्सर, हर्निया, सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस, गर्दन में दर्द, घुटने का दर्द, पीठ या कंधे की चोट वाले लोगों को इस आसन से बचना चाहिए.
4. पवनमुक्तासन
- अपनी पीठ को फर्श पर रखकर लेट जाएं और अपने पैरों को अपनी बाहों से शरीर की ओर मोड़कर रखें.
- अपने दाहिने घुटने को अपनी छाती की ओर लाते हुए सांस छोड़ें और अपने हाथों से जांघ को अपने पेट पर दबाएं.
- अपने सिर और छाती को ऊपर उठाएं और अपनी ठुड्डी को अपने दाहिने घुटने से स्पर्श करें.
- एक पल के लिए रुको. इस बीच सांस अंदर-बाहर करें.
- पूरी तरह सांस छोड़ें और वापस जमीन पर आ जाएं.
- आराम करें.
- इस मुद्रा को बाएं पैर से और फिर दोनों पैरों को मिलाकर दोहराएं.
- 3-5 बार दोहराएं.
क्या न करें
- अपनी गर्दन पर ज्यादा दबाव न डालें.
- अपने शरीर को ज्यादा स्ट्रेच न करें.
- अपनी जांघों को ओवरपुल न करें.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.