
World Lung Cancer Day 2025: फेफड़ों का कैंसर उन बीमारियों में से एक है, जिसकी पहचान अक्सर देर से होती है, जब इलाज के विकल्प सीमित हो जाते हैं. लेकिन अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) इस तस्वीर को बदलने की दिशा में बड़ा कदम साबित हो रहा है. विशेषज्ञ मानते हैं कि AI आधारित प्रेडिक्टिव हेल्थ सिस्टम लंग कैंसर की शुरुआती पहचान, रिस्क असेसमेंट और ट्रीटमेंट की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं.
डॉक्टर पुनीत गुप्ता, चेयरमैन, ऑनकोलॉजी सर्विसेज, एशियन हॉस्पिटल के अनुसार , “AI अब डॉक्टरों का सहायक बन गया है, जो मेडिकल डेटा को तेजी से प्रोसेस करके संभावित लक्षणों का विश्लेषण करता है. इससे हम कैंसर की संभावना पहले ही स्टेज पर पहचान सकते हैं,”.
कैसे करता है काम?
AI सिस्टम, खासतौर पर machine learning और deep learning आधारित एल्गोरिद्म, मरीज के फेफड़ों की सीटी स्कैन, एक्स-रे या PET स्कैन इमेज को पढ़कर पैटर्न को पहचानता है, जो आम तौर पर आंखों से छूट सकते हैं. ये सिस्टम हजारों केस डेटा से सीखकर यह पता लगाते हैं कि कौन-सी गाठें कैंसरस हो सकती हैं और किन पर नजर रखनी चाहिए. डॉ. के अनुसार, "जहां रेडियोलॉजिस्ट को एक-एक स्कैन पढ़ने में समय लगता है, वहीं AI मिनटों में सैकड़ों स्कैन की तुलना करके रिपोर्ट निकाल सकता है,".
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जोखिम की पूर्व पहचान
AI न सिर्फ मौजूदा डेटा का विश्लेषण करता है, बल्कि मरीज की मेडिकल हिस्ट्री, उम्र, स्मोकिंग स्टेटस और जेनेटिक फैक्टर्स को जोड़कर उसका लंग कैंसर रिस्क स्कोर तैयार करता है. इससे हाई-रिस्क ग्रुप वाले लोगों की समय पर स्क्रीनिंग और निगरानी मुमकिन हो पाती है.
इलाज के फैसले में मदद
AI अब ट्रीटमेंट के चुनाव में भी डॉक्टरों की मदद कर रहा है. किस मरीज को इम्यूनोथेरेपी देनी है, कौन टारगेटेड थेरेपी के लिए उपयुक्त है – ऐसे निर्णय अब डेटा आधारित होने लगे हैं.
“AI की खूबी यही है कि यह इंसानी त्रुटियों को कम करता है और हर केस को पर्सनलाइज्ड ट्रीटमेंट की तरफ ले जाता है,” कहते हैं डॉ. अनुज भल्ला, मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, बेंगलुरु.
भारत में क्या स्थिति है?
भारत में अभी AI आधारित कैंसर स्कैनिंग शुरुआती दौर में है, लेकिन कुछ प्राइवेट हॉस्पिटल्स और स्टार्टअप्स ने इसका प्रयोग शुरू कर दिया है. सरकारी स्तर पर भी AI आधारित कैंसर स्क्रीनिंग को प्राथमिकता दिए जाने की मांग हो रही है.
AI भविष्य नहीं, वर्तमान का समाधान है. लंग कैंसर जैसे जानलेवा रोग की समय पर पहचान और इलाज के लिए इसका इस्तेमाल जीवनदायी साबित हो सकता है. जरूरी है कि स्वास्थ्य व्यवस्था इसे अपनाने के लिए तत्पर हो और आम लोगों तक इसकी पहुंच बढ़ाई जाए.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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