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35 की उम्र, न स्मोकिंग, न बुरी आदत, नीति आयोग की ब्यूरोक्रेट को हुआ स्टेज 4 का लंग कैंसर! क्या दिल्ली की हवा है कारण?

Delhi Air Pollution: हाल ही में एक चौंकाने वाली खबर आई 35 साल की एक युवा ब्यूरोक्रेट, जो नीति आयोग से जुड़ी थीं, उन्हें स्टेज-4 लंग कैंसर हो गया है. वह न तो धूम्रपान करती थीं, न ही किसी तरह का तंबाकू इस्तेमाल करती थीं.

35 की उम्र, न स्मोकिंग, न बुरी आदत, नीति आयोग की ब्यूरोक्रेट को हुआ स्टेज 4 का लंग कैंसर! क्या दिल्ली की हवा है कारण?
Delhi Air Pollution: एक युवा ब्यूरोक्रेट को स्टेज-4 लंग कैंसर हो गया.
(यह प्रतीकात्मक तस्वीर है)

Is Delhi Air Pollution Causing Lung Cancer?: राजधानी दिल्ली में लंबे समय से वायु प्रदूषण एक बड़ी समस्या बन चुकी है. ठंड के मौसम, पराली जलाने, वाहनों व उद्योगों के धुएं, निर्माण-धूल और अन्य कारणों से दिल्ली की हवा जहरीली हो चुकी है. जब हवा खराब होती है, तो सिर्फ थोड़े दिन की तकलीफ नहीं होती, बल्कि सालों तक प्रदूषित हवा में सांस लेने से आम लोगों के शरीर पर गहरा असर पड़ता है. हाल ही में एक चौंकाने वाली खबर आई 35 साल की एक युवा ब्यूरोक्रेट, जो नीति आयोग से जुड़ी थीं, उन्हें स्टेज-4 लंग कैंसर हो गया है. वह न तो धूम्रपान करती थीं, न ही किसी तरह का तंबाकू इस्तेमाल करती थीं.

ऐसे में इनकी बीमारी एक चेतावनी बनकर सामने आई है कि दिल्ली की हवा सिर्फ अस्थायी असुविधा नहीं, बल्कि जानलेवा साबित हो सकती है. इस घटना ने दिल्ली के लोगों के लिए पॉल्यूशन हेल्थ अलर्ट की तस्वीर बेहद स्पष्ट कर दी है.

प्रदूषण किस तरह स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, किन बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है और किन बिंदुओं पर दिल्लीवासियों को सचेत रहने की जरूरत है, आइए जानते हैं.

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प्रदूषण से मौतों में इजाफा

2023 में हुए शोध के अनुसार, दिल्ली में होने वाली कुल मौतों में लगभग 15% मौतें वायु प्रदूषण से जुड़ी थीं.   
वायु में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर, PM2.5 और अन्य सांस, फेफड़े, हार्ट और अन्य अंगों को प्रभावित करते हैं.

फेफड़ों और कैंसर का खतरा

पुरानी हवा, जिसमें जहरीले कण और गैसें घुली होती हैं, फेफड़ों को धीरे-धीरे कमजोर करती है. इससे न सिर्फ अस्थमा, ब्रोंकाइटिस आदि परेशानी बढ़ती है, बल्कि लंग कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का खतरा भी बढ़ जाता है.

दिल्ली में अब बहुत से लंग कैंसर के मरीज ऐसे हैं, जिन्हें धूम्रपान न करने के बावजूद फेफड़ा कैंसर हुआ. विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण खासतौर रूप से PM2.5 का सीधा संबंध इस बढ़ोतरी से है. 

बच्चों और बुज़ुर्गों पर असर

बच्चे और बूढ़े लोग प्रदूषण का सबसे ज्यादा शिकार होते हैं. हाल में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि बच्चों द्वारा सांस में खींचे गए PM2.5 का लगभग 40% हिस्सा दिल्ली के ‘डीप लंग्स' यानी फेफड़ों के सबसे अंदरूनी हिस्सों तक जाता है, जहां वह लंबे समय तक जमा रह सकता है और स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.

इसके अलावा, आंखों में जलन, गले और सांस की तकलीफ, त्वचा संबंधी समस्याएं जैसे सोरायसिस, पाचन संबंधी बीमारी, सब में बढ़ोत्तरी देखी गई है.

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क्या यह केवल अस्थायी समस्या है?

बहुत से लोग सोचते होंगे कि प्रदूषण अस्थायी है सर्दियों में होता है, बाद में हवा साफ हो जाती है. लेकिन, आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली में प्रदूषण की वजह से होने वाली मौतों और बीमारियों में धीरे-धीरे बढ़ोत्तरी हो रही है. 2005 से लेकर 2023 तक, सांस से जुड़ी बीमारियों (निमोनिया, ब्रोंकाइटिस, अस्थमा आदि) से होने वाली मौतों में इजाफा हुआ है.
   
इसका मतलब यह है कि समय के साथ, प्रदूषण सिर्फ असुविधा नहीं, क्रोनिक हेल्थ क्राइसिस बन चुका है.

कुछ बातें जो हम अपना सकते हैं:

  • जब हवा बहुत खराब हो (AQI खराब या गंभीर हो) — बाहर निकलने से बचें.
  • अगर निकलना जरूरी हो, मास्क (जैसे N95) पहनें, ताकि PM2.5 और अन्य जहरीले कण फेफड़ों तक पहुंचना कम हो सके.
  • घर के अंदर हवा को साफ रखें, एयर प्यूरीफायर, फिल्टर या अच्छा वेंटिलेशन रखें.
  • बच्चों, बुज़ुर्गों और उन लोगों की खास देखभाल करें जिनका फेफड़ा या हार्ट कमजोर है.

प्रदूषण सिर्फ एक अस्थायी परेशानी नहीं रह गया, यह अब पूरे हेल्थ सिस्टम पर हमला कर रहा है. 35 साल साल की ब्यूरोक्रेट का स्टेज-4 लंग कैंसर बिना किसी धूम्रपान के, इस बात का स्पष्ट संकेत है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण अब कैंसर से जुड़ा खतरा बन चुका है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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