Why Snoring Increases in Cold Weather: खर्राटे अक्सर लोगों को एक मामूली आदत लगते हैं, लेकिन हकीकत में यह नींद और सेहत दोनों से जुड़ी गंभीर समस्या हो सकती है. दुनिया भर में बड़ी संख्या में लोग इससे परेशान हैं. कई बार तो व्यक्ति खुद अपनी आवाज से नहीं जागता, लेकिन उसके साथ सोने वालों की नींद जरूर खराब हो जाती है. लगातार खर्राटे आने से न सिर्फ नींद अधूरी रहती है, बल्कि दिन में थकान, चिड़चिड़ापन और ध्यान की कमी जैसी समस्याएं भी बढ़ सकती हैं.
दिलचस्प बात यह है कि सर्दियों के मौसम में खर्राटों की शिकायत ज्यादा बढ़ जाती है. ठंडी रातें, सूखी हवा और सर्दी-जुकाम जैसी परेशानियां इस समस्या को और गंभीर बना देती हैं. पुरुषों में खर्राटे आमतौर पर ज्यादा देखे जाते हैं, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं में भी यह परेशानी बढ़ सकती है. ऐसे में यह समझना जरूरी है कि आखिर सर्दियों में खर्राटे क्यों बढ़ जाते हैं और इसके पीछे विज्ञान क्या कहता है.
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खर्राटे आते क्यों हैं? | Why Do People Snore?
विज्ञान के अनुसार, खर्राटे तब आते हैं जब सोते समय सांस की नली पूरी तरह खुली नहीं रहती. नींद के दौरान शरीर की मांसपेशियां रिलैक्स हो जाती हैं. इसमें गले, जीभ और तालू की मांसपेशियां भी शामिल होती हैं. जब ये मांसपेशियां जरूरत से ज्यादा ढीली हो जाती हैं, तो सांस लेने का रास्ता संकरा हो जाता है. हवा जब इस संकरे रास्ते से गुजरती है, तो गले के अंदर मौजूद नरम टिश्यू में कंपन होता है और वही कंपन खर्राटों की आवाज पैदा करता है.
सर्दियों में समस्या क्यों बढ़ जाती है?
सर्दियों की हवा ठंडी होने के साथ-साथ काफी सूखी भी होती है. जब हम ऐसी हवा सांस के जरिए अंदर लेते हैं, तो नाक और गले की अंदरूनी सतह सूखने लगती है. इस सूखेपन से वहां हल्की जलन और सूजन हो सकती है, जिससे सांस की नली और ज्यादा संकरी हो जाती है. नतीजा यह होता है कि सोते वक्त सांस लेते समय कंपन ज्यादा होता है और खर्राटों की आवाज तेज हो जाती है.
इसके अलावा, सर्दियों में जुकाम, एलर्जी और साइनस की समस्या आम हो जाती है. नाक बंद होने पर व्यक्ति मुंह से सांस लेने लगता है. मुंह से सांस लेने पर गले के टिश्यू ज्यादा ढीले पड़ते हैं, जिससे खर्राटों की संभावना बढ़ जाती है.
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किन लोगों में ज्यादा खतरा रहता है?
हर व्यक्ति में खर्राटों की वजह अलग हो सकती है. कुछ लोगों की नाक या गले की बनावट ऐसी होती है कि उन्हें जल्दी खर्राटे आने लगते हैं. मोटापा भी एक बड़ा कारण है. गर्दन के आसपास ज्यादा चर्बी जमा होने से सांस की नली पर दबाव पड़ता है. उम्र बढ़ने के साथ मांसपेशियों की ताकत कम होने लगती है, इसलिए बुजुर्गों में खर्राटे ज्यादा देखे जाते हैं. शराब पीने वाले और नींद की दवाइयों का सेवन करने वालों में भी यह समस्या आम है, क्योंकि ये चीजें गले की मांसपेशियों को जरूरत से ज्यादा ढीला कर देती हैं.
खर्राटों को कम करने के आसान उपाय | Simple ways to Reduce Snoring
खर्राटों से राहत पाने के लिए कुछ लाइफस्टाइल बदलाव काफी मददगार हो सकते हैं. करवट लेकर सोना बेहतर माना जाता है, क्योंकि इससे सांस की नली ज्यादा खुली रहती है. सोने से पहले भारी और तला-भुना खाना खाने से बचना चाहिए. सर्दियों में कमरे की हवा बहुत ज्यादा सूखी न हो, इसका ध्यान रखें. हल्की नमी बनाए रखने से नाक और गला सूखता नहीं है. इसके अलावा गुनगुने पानी की भाप लेना नाक खोलने और कफ ढीला करने में मदद कर सकता है.
अगर खर्राटे लगातार और बहुत तेज हों, तो इसे नजरअंदाज न करें. समय पर ध्यान देने से यह समस्या कंट्रोल में लाई जा सकती है और नींद के साथ-साथ सेहत भी बेहतर बनी रहती है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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