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प्रियंका गांधी को क्यों याद आयी वायनाड की खास Blue Turmeric - क्यो हैं ये दुर्लभ हल्दी? जानिए फायदे और नुकसान

Blue Turmeric को आयुर्वेद में काली हल्दी के नाम से भी जाना जाता है. इसका रंग बाहर से हल्का भूरा और अंदर से नीला और बैंगनी होता है. इसकी यही खासियत इसे नॉर्मल पीली हल्दी से बिल्कुल अलग बनाता है.

प्रियंका गांधी को क्यों याद आयी वायनाड की खास Blue Turmeric - क्यो हैं ये दुर्लभ हल्दी? जानिए फायदे और नुकसान

Blue Turmeric: संसद भवन में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सांसदों को चाय पर बुलाया. इस चाय पर चर्चा के दौरान एक दिलचस्प बात शुरू हुई हल्दी के बारे में. लेकिन ये हल्दी वो नहीं है जो आप और हम अपने घरों पर इस्तेमाल करते हैं. बल्कि ये है काली हल्दी ( Blue Termeris). प्रियंका गांधी ने अपने संसदीय क्षेत्र वायनाड की खास Blue Turmeric (Curcuma caesia) का जिक्र किया. उन्होंने इस हल्दी की तारीफ करते हुए बताया कि यह गले की खराश और एलर्जी में राहत देती है. बता दें कि इस चर्चा के बाद से ये ब्लू टर्मरिक एक बार फिर से चर्चा में आ गई है. तो चलिए जानते हैं क्या है Blue Turmeric, ये कहां पाई जाती है और इसके फायदे-नुकसान क्या हैं?

क्या है Blue Turmeric?

Blue Turmeric को आयुर्वेद में काली हल्दी के नाम से भी जाना जाता है. इसका रंग बाहर से हल्का भूरा और अंदर से नीला और बैंगनी होता है. इसकी यही खासियत इसे नॉर्मल पीली हल्दी से बिल्कुल अलग बनाता है. इसका वैज्ञानिक नाम Curcuma caesia है.

कहां पाई जाती है Blue Turmeric?

बता दें कि ये हल्दी केरल का वायनाड में पाई जाती है. वहीं की जलवायु और मिट्टी इसके लिए बिल्कुल परफेक्ट मानी जाती है. इसके अलावा भारत के कुछ अन्य हिस्सों में जैसे ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तर-पूर्व भारत. बता दें कि ये घर पर इस्तेमाल की जाने वाली हल्दी की तुलना में काफी दुर्लभ मानी जाती है. यह वजह है कि इसकी कीमत भी ज्यादा होती है. दिल्ली में इसकी सीमित उपलब्धता खारी बावली जैसे मसाला बाजारों में देखी जा सकती है.

आयुर्वेद में Blue Turmeric के फायदे

एमसीडी डायबिटिक सेंटर में CMO और आयुर्वेदिक एक्सपर्ट Dr. R.P. Parashar के मुताबिक इस हल्दी का सेवन कुछ स्वास्थ्य समस्याओं में बेहद लाभदायी होता है-

  • Respiratory problems: प्रदूषण से होने वाली सांस की दिक्कतों में मददगार
  • खांसी और चेस्ट कंजेशन: कफ को ढीला करने में मदद करती है.
  • गले की खराश और एलर्जी: सूजन कम करने में मदद करती है.
  • एंटी- इंफ्लामेटरी और एंटीमाइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं.
  • इम्युनिटी सपोर्ट: शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने में भी मददगार है.

आयुर्वेद में इसे वटी, चूर्ण या काढ़े के रूप में सीमित मात्रा में उपयोग किया जाता है.

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वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसके फायदे

 Blue Turmeric में एसेंशियल ऑयल्स,  करक्यूमिनोइड्स और बायोएक्टिव कंपाउंड्स पाए जाते हैं. वहीं कुछ वैज्ञानिक अध्ययनों में बताया गया था कि ये हल्दी एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भी भरपूर है. हालांकि, विशेषज्ञ मानते हैं कि इसके औषधीय दावों पर और क्लिनिकल रिसर्च की ज़रूरत है. इसे एक सपोर्टिंग रेमेडी के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है.

नुकसान और सावधानियां

हर प्राकृतिक चीज पूरी तरह से फायदेमंद ही हो, ऐसा जरूरी नहीं है. बल्कि गलत मात्रा में इसके सेवन फायदे की जगह नुकसान भी कर सकता है.

  • ज्यादा मात्रा में सेवन करने से पेट में जलन और मतली की समस्या हो सकती है.
  • प्रेगनेंट महिलाओं को इसका सेवन बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं करना चाहिए.
  • अगर आप पहले से किसी दवा का सेवन कर रहे हैं तो, इसका सेवन करने से पहले आयुर्वेदिक एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
  • लंबे समय तक लगातार इसका सेवन करने से बचना चाहिए.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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