Second Wave Of COVID-19: भारत अब भी कोरोनोवायरस से जूझ रहा है. एक सरकारी अध्ययन के अनुसार कोरोनावायरस के नए वेरिएंट जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने डेल्टा (बी.1.617) नाम दिया था, यही भारत में कोरोनावायरस की दूसरी लहर के पीछे का कारण है. हाल ही में डब्ल्यूएचओ ने डेल्टा वेरिएंट पर विशेष चिंता जताई है. यूके और सिंगापुर में भी यह वेरिएंट खतरनाक के रूप से पाया गया था. इसके प्रसार को रोकने के लिए प्रतिबंध लगाए हैं. यह उसी बी.1.617 वंश का है जो भारत में पहली बार रिपोर्ट किया गया था.
डेल्टा वेरियएंट क्या है? यह B.1.617 या KAPPA वेरिएंट से किस प्रकार भिन्न है?
बी.1.617 वेरिएंट मूल रूप से अक्टूबर 2020 में पहली बार पहचाना गया था. जब देश में दूसरी लहर आई, तो फरवरी 2021 के बीच तक महाराष्ट्र में 60 प्रतिशत मामले इसी वेरिएंट के थे. बी.1.617.2 (डेल्टा) वेरिएंट वह है जिसे बी.1.617 के उप-वंश के रूप में जाना जाता है, इस वेरिएंट ने दो और उप-वंशों को भी जन्म दिया है.
भारत में डेल्टा वेरिएंट क्या है?
भारत में यह वेरिएंट सबसे आम वेरिएंट बन गया है. भारत में जो लगभग एक तिहाई सैम्पल फ्लू वायरस रिपॉजिटरी जीआईएसएआईडी (GISAID) के आए थे वह भी डेल्टा वेरिएंट से जुड़े थे. इस वेरिएंट का यह वंश अब तक भारत में नए मामलों में सबसे अधिक देखा गया है. आंकड़े बताते हैं कि भारत में बी.1.617 और बी.1.617.2 के पिछले 60 दिनों में 60 प्रतिशत मामले आए हैं.
रिपोर्ट्स में कहा गया है कि बिहार, छत्तीसगढ़ और झारखंड में बड़ी संख्या में मामले डेल्टा वेरिएंट से जुड़े हुए हैं.
भारतीय SARS COV2 जीनोमिक कंसोर्टिया और नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन में कहा गया है कि डेल्टा वेरिएंट या बी.1.617.2 स्ट्रेन - पहली बार केंट, यूके में पाए गए अल्फा वेरिएंट की तुलना में "अधिक संक्रामक" है.
अध्ययन में यहां तक कहा गया है कि डेल्टा वेरिएंट अल्फा स्ट्रेन की तुलना में 50 प्रतिशत अधिक संक्रामक है.
क्या नया वेरिएंट अधिक शक्तिशाली है? क्या टीके इसके खिलाफ काम करेंगे?
जबकि हेल्थ एक्सपर्ट्स ने बताया है कि डेल्टा वेरिएंट अपने पहले वेरिएंट की तुलना में 50 प्रतिशत तक ज्यादा ट्रांसमिटेबल हो सकता है. अभी इस बात को प्रूफ करने के लिए और डेटा की जरूरत है कि क्या यह वेरिएंट गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है.
यूके के हेल्थ सेक्रेटरी मैट हैनकॉक ने पिछले महीने कहा था कि इस बात के सबूत हैं कि डेल्टा उप-वंश के खिलाफ पहले से ही टीके प्रभावी हैं. हैनकॉक ने कहा था कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के डेटा और भारत की प्रारंभिक रिपोर्टों से पता चला है कि टीके वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि इस वेरिएंट को रोकने के लिए टीकों पर भरोसा करें और दो वैक्सीन की दो डोज के बीच के अंतर को कम करके टीकाकरण प्रक्रिया को तेज किया जा सकता है.
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