Shopping Addiction: उपभोक्तावाद के इस दौर में हर समय और हर जगह कुछ न कुछ बेचने की कोशिश जारी रहती है. सड़क पर निकलने पर होर्डिंग्स, इंटरनेट पर विज्ञापन और सिनेमाघरों में भी विज्ञापन के जरिए कुछ न कुछ खरीदने के लिए लोगों को इन्फ्लुएंस किया जाता है. ऑनलाइन शॉपिंग एप्स ने खरीदारी को और सुलभ बनाने के साथ शॉपिंग एडिक्शन को भी बढ़ावा देने का काम किया है.
क्या है ओनिओमेनिया?
ओनिओमेनिया खरीदारी की लत है जिसमें नकारात्मक भावनाओं, डिप्रेशन और एंग्जायटी से बचने के लिए शॉपिंग अनिवार्य व्यवहार बन जाता है. अन्य प्रकार की लतों की तरह शॉपिंग एडिक्शन का दुष्प्रभाव ओनिओमेनिया से पीड़ित व्यक्ति के जीवन के अन्य पहलुओं पर पड़ता है. इस मेनिया से पीड़ित व्यक्ति के जीवन में अत्यधिक शॉपिंग की वजह से अन्य समस्याएं भी उत्पन्न हो जाती है.
हालांकि, यह सामाजिक रूप से सबसे ज्यादा स्वीकार्य एडिकशन्स में से एक है. आजकल हम हर तरफ विज्ञापनों से घिरे हुए हैं जो खरीदारी करने पर अच्छा महसूस करने का दावा करते हैं. यही वजह है कि पहले के मुकाबले अब शॉपिंग एडिक्शन या ओनिओमेनिया ज्यादा आम हो गया है.
शॉपिंग एडिक्शन के लक्षण
ओनिओमेनिया या शॉपिंग एडिक्शन से जूझ रहे लोग अपनी क्षमता से ज्यादा समय और पैसे खरीदारी पर खर्च करते हैं जिसके चलते उन्हें फाइनेंशियल स्तर पर कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. ऐसे लोग जोश-जोश में ढेर सारी शॉपिंग तो कर लेते हैं लेकिन घर पहुंचने पर खरीदारी से असंतुष्ट और खालीपन महसूस करते हैं.
1. हमेशा उन चीजों के बारे में सोचते रहते हैं जिन्हें वे खरीदने की योजना बनाते हैं.
2. अपनी बाध्यकारी खरीदारी को रोकने में असमर्थ होना.
3. कुछ खरीदने के बाद उत्साह का अनुभव.
4. खरीदी गई चीजों के बारे में पछतावा या अपराधबोध महसूस करना.
5. वित्तीय समस्याएं या ऋण चुकाने में असमर्थता.
6. खरीदी गई चीजों के बारे में झूठ बोलना या अपनी खरीदारी छिपाना.
7. मौजूदा कार्डों पर शेष राशि का भुगतान किए बिना नए क्रेडिट कार्ड खोलना.
8. ऐसी चीजें खरीदना जिनकी उन्हें जरूरत नहीं है.
9. तनावग्रस्त या उदास होने की स्थिति में खरीदारी करना.
अगर आप भी शॉपिंग को लेकर यहां बताई गई चीजें महसूस करते हैं तो हो सकता है कि आप भी ओनिओमेनिया के शिकार हो.
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शॉपिंग एडिक्शन का कारण
खरीदारी की लत के सटीक कारण पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हैं लेकिन कई कारक भूमिका निभा सकते हैं.
1. मेंटल हेल्थ कंडीशन - आमतौर पर किसी की किशोरावस्था के अंत और वयस्कता की शुरुआत में खरीदारी की लत अक्सर अन्य डिसॉर्डर के साथ जुड़ी होती है, जिसमें मूड और एंग्जाइटी डिसऑर्डर, मादक द्रव्यों के सेवन संबंधी डिसऑर्डर, इटिंग डिसऑर्डर और पर्सनैलिटी से जुड़े अन्य डिसऑर्डर शामिल हैं.
2. पर्सनालिटी - खरीदारी करने की इच्छा को नियंत्रित करना एक विशेष पर्सनालिटी पैटर्न के लोगों के लिए मुश्किल होता है जिसे आमतौर पर शॉपाहोलिक लोग साझा करते हैं. शॉपाहोलिक लोगों की पर्सनालिटी उन्हें अन्य लोगों से अलग करती है.
3. मैटेरियलिज्म - शॉपिंग एडिक्शन वाले लोग अन्य शॉपर्स की तुलना में अधिक मैटेरियलिस्टिक होते हैं. वह मैटेरियलिस्टिक चीजों के जरिए दूसरों की अपेक्षा अपना स्टेटस ऊंचा दिखाने की कोशिश करते हैं.
4. विज्ञापन के प्रति एक्सपोजर - खरीदारी की लत वाले लोग मार्केटिंग और विज्ञापन संदेशों के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं जो हमें रोजाना घेरे रहते हैं.
शॉपिंग की लत से कैसे निपटें?
1. शॉपिंग एडिक्शन से जूझ रहे लोग अक्सर खुद को बेहतर महसूस कराने के लिए खरीदारी का सहारा लेते हैं. एडिक्शन से बचने के लिए आप शॉपिंग के बजाए दूसरे एक्टिविटी के जरिए खुद को अच्छा महसूस कराने की कोशिश कर सकते हैं.
2. अगर आपके घर में कोई और घर के लिए जरूरी सामानों की खरीदारी की जिम्मेदारी ले सके तो यह काम उसी को सौंप दें. इससे आप कुछ देर के लिए शॉपिंग से दूरी बना पाएंगे.
3. क्रेडिट कार्ड और कैश को खुद से दूर रखकर भी आप अपने शॉपिंग एडिक्शन पर काबू पा सकते हैं. कैश या पैसे का स्रोत नहीं होने पर आप जोश में आकर करने वाले तात्कालिक शॉपिंग से बच पाएंगे.
4. सिर्फ उन्हीं दोस्तों या रिश्तेदारों के साथ शॉपिंग पर जाएं जो फालतू खर्च न करते हो. शॉपिंग एडिक्शन से डील करने का यह एक अच्छा तरीका हो सकता है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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