प्यूबर्टी वो उम्र होती है जब बच्चे का शरीर व्यस्क होने लगता है और व्यस्कों वाले लक्षण दिखने लगते हैं. ये लड़के और लड़कियों दोनों में होने वाली नेचुरल प्रोसेस है. इस प्रोसेस के बाद ही एक बच्चा व्यस्क बनता है और उसके शरीर और हार्मोंस में बदलाव होते हैं. बता दें कि लेकिन इन प्रोसेस को स्लो करने और रोकने के लिए कई दवाएं आ रही हैं जिन्हें प्यूबर्टी ब्लॉकर्स कहा जाता है. इनके सेवन से बच्चे का शरीर तो बड़ा होता है लेकिन उसमें एडल्टहुड के लक्षण नहीं दिखते हैं. आइए जानते हैं क्या हैं प्यूबर्टी ब्लॉकर्स.
प्यूबर्टी ब्लॉकर्स क्या हैं?
बता दें कि 12 से 14 साल के बीच बच्चों में प्यूबर्टी आने लगती है. जिसके चलते शरीर में फिजिकल चेंजेस होते हैं जो उन्हें साफ तौर पर लड़का और लड़की बनाते हैं. लेकिन कुछ लोग इस बदलाव को रोकने और देरी सा लाने की कोशिश करने लगे हैं. बता दें कि व्यस्क होना रोकने के लिए ऐसी दवाएं और इंजेक्शन दिए जाते हैं जो सेक्स हॉर्मोन और टेस्टॉस्टेरॉन और एस्ट्रोजन का बनना रोक देता है. बता दें कि शरीर में जो बदलाव हो चुके हैं वो पलटते नहीं है. लेकिन इनका सेवन पहले से करने से ब्रेस्ट डेवलपमेंट, चेहरे पर दाढ़ी-मूंछ आना, या आवाज का भारी होना जैसी चीजें रूक जाती हैं.
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ये दवाइयां कैसे काम करती हैं?
इन दवाओं को गोनाडोट्रोपिन-रिलीजिंग हार्मोन (GnRH) एनालॉग कहा जाता है, जो शरीर को सेक्स हार्मोन बनाने से रोकते हैं. जन्म के समय पुरुष माने जाने वाले लोगों में, ये चेहरे और शरीर के बालों के विकास को धीमा कर देते हैं, आवाज को गहरा होने से रोकते हैं, और लिंग, अंडकोश और अंडकोष के विकास को सीमित करते हैं. जन्म के समय महिला माने जाने वाले लोगों में, ये दवाएं स्तन विकास को सीमित या रोक देती हैं, और मासिक धर्म को रोक देती हैं.
क्या भारत में ये दवाएं दी जाती हैं?
भारत में इन्हें ज़्यादातर समय से पहले यौवन के लिए निर्धारित किया जाता है. इन्हें उन लोगों के लिए भी निर्धारित किया जाता है जो लिंग परिवर्तन सर्जरी चाहते हैं, लेकिन ये 18 साल की उम्र से पहले नहीं की जाती हैं.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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