वैज्ञानिकों की एक टीम ने ब्रेन के ऐसे नए हिस्सों का पता लगाया है, जो सोशल इंटरेक्शन में मदद करते हैं. ये हिस्से पुराने हिस्से, जैसे एमिग्डाला (जो डर और भावनाओं से जुड़ा होता है) से जुड़े रहते हैं और हमेशा आपस में संपर्क में रहते हैं. इस खोज से चिंता और डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याओं का इलाज करने में मदद मिल सकती है. अमेरिका के शिकागो स्थित नॉर्थवेस्टर्न मेडिसिन के एक नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बेहतर ढंग से यह जानने की कोशिश की कि इंसान कैसे इतने माहिर हो गए कि वे दूसरों के दिमाग में क्या चल रहा है, इसके बारे में सोच सकें. यह अध्ययन साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित हुआ है.
वरिष्ठ लेखक रोड्रिगो ब्रागा ने कहा, "हम बहुत समय यह सोचने में बिताते हैं कि 'वह व्यक्ति क्या महसूस कर रहा है, क्या सोच रहा है? क्या मैंने उसे परेशान करने वाली कोई बात कही है?"
यह भी पढ़ें: लगातार 15 दिनों तक आंवला जूस पीने से क्या होता है? चमत्कारिक फायदे जान आप आज से ही करने लगेंगे सेवन
ब्रेन के वे भाग जो हमें ऐसा करने की अनुमति देते हैं, मानव ब्रेन के उन क्षेत्रों में हैं जो हमारे विकास में हाल ही में विस्तारित हुए हैं और इसका अर्थ है कि यह एक हाल ही में विकसित प्रक्रिया है. ब्रागा ने आगे कहा, "आप खुद को किसी दूसरे के दिमाग में रखकर यह अनुमान लगा रहे हैं कि वह व्यक्ति क्या सोच रहा है, जबकि आप वास्तव में यह नहीं जान सकते."
अध्ययन में क्या पाया गया?
इस अध्ययन में यह पाया गया कि ब्रेन के हाल ही में विकसित और एडवांस हिस्से, जो सामाजिक इंटरएक्शन को सपोर्ट करते हैं, उन्हें सोशल कॉग्निटिव नेटवर्क कहा जाता है, और ये ब्रेन के एक प्राचीन हिस्से एमिग्डाला से जुड़े होते हैं और उनके बीच लगातार संपर्क बना रहता है. एमिग्डाला को "लिजर्ड ब्रेन" के रूप में जाना जाता है जौ आमतौर पर खतरों का पता लगाने और डर को प्रोसेस करने से जुड़ा हुआ है.
ब्रागा ने कहा कि "एमिग्डाला सोशल बिहेवियर जैसे पालन-पोषण, आक्रामकता (क्रमबद्ध व्यवस्था) के संचालन के लिए जिम्मेदार है. अध्ययनों में एमिग्डाला और सोशल कॉग्निटिव नेटवर्क की सह-क्रियाशीलता पाई गई थी, लेकिन "हमारा अध्ययन नया है क्योंकि यह दिखाता है कि यह संचार हमेशा हो रहा है."
यह भी पढ़ें: आंखों की रोशनी बढ़ाने में मदद करते हैं सर्दियों में मिलने वाली ये सुपरफूड, बस इस तरह करना होगा सेवन
यह इस तरह का पहला अध्ययन:
एमिग्डाला के भीतर एक खास हिस्सा होता है जिसे 'मेडियल न्यूक्लियस' कहा जाता है और यह सामाजिक व्यवहारों के लिए बहुत जरूरी है. यह अध्ययन पहला था जिसने दिखाया कि एमिग्डाला का मेडियल न्यूक्लियस नए विकसित सोशल कॉग्निटिव नेटवर्क क्षेत्रों से जुड़ा हुआ है, जो दूसरों के बारे में सोचने से संबंधित होते हैं.
वैज्ञानिकों ने कहा कि एमिग्डाला से जुड़ाव सोशल कॉग्निटिव नेटवर्क के कार्य को आकार देने में मदद करता है, क्योंकि यह उसे एमिग्डाला की भूमिका तक पहुंच प्रदान करता है, जो भावनात्मक रूप से जरूरी कंटेंट को प्रोसेस करने से संबंधित होती है. चिंता और अवसाद दोनों में एमिग्डाला की ज्यादा सक्रियता होती है, जो भावनाओं और उनके नियंत्रण में मुश्किलें पैदा कर सकती है.
लेखकों ने कहा कि इस अध्ययन के निष्कर्षों के साथ, एक कम हानिकारक प्रक्रिया, ट्रांस-क्रानियल मैग्नेटिक स्टिमुलेशन (टीएमएस), इस मस्तिष्क संबंध के बारे में जानकारी का उपयोग करके उपचार को बेहतर बना सकती है.
फेफड़ों को हेल्दी और मजबूत कैसे बनाएं? डॉक्टर से जानिए लंग्स की कैपेसिटी बढ़ाने के लिए क्या करें
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं