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बच्चे का पैदा होते ही रोना क्यों जरूरी है? सेरेब्रल पाल्सी से क्या है इसका कनेक्शन, जानें कारण, लक्षण और इलाज

डॉक्टर्स के मुताबिक, ऐसे बच्चों में एक खास कॉमन बात यह भी होती है कि पैदा होने वक्त वह रोते नहीं. चिंता की बात ये है कि इस बीमारी को पूरी तरह ठीक भी नहीं किया जा सकता.

बच्चे का पैदा होते ही रोना क्यों जरूरी है? सेरेब्रल पाल्सी से क्या है इसका कनेक्शन, जानें कारण, लक्षण और इलाज
क्या है सेरेब्रल पाल्सी की बीमारी

Cerebral palsy: बच्चों में होने वाली एक खतरनाक और लाइलाज बीमारी सेरेब्रल पाल्सी इन दिनों काफी चर्चा में है. इस बीमारी में बच्चे का दिमागी विकास थम जाता है. इसके अलावा भी बच्चे में कई शारीरिक समस्याएं भी पैदा हो जाती हैं. प्रीमैच्योर डिलीवरी के मामले में कई बच्चों में इसके लक्षण दिखते हैं. डॉक्टर्स के मुताबिक, ऐसे बच्चों में एक खास कॉमन बात यह भी होती है कि पैदा होने वक्त वह रोते नहीं. चिंता की बात ये है कि इस बीमारी को पूरी तरह ठीक भी नहीं किया जा सकता.

सेरेब्रल पाल्सी के लक्षण

सेरेब्रल पाल्सी की बीमारी में बच्चे खुद से अपना गर्दन नहीं पकड़ पाते. उनके हाथ पैर कठोर हो जाते हैं. पीड़ित बच्चे दूसरों के साथ आई कांटेक्ट नहीं कर पाते. डॉक्टर्स के  मुताबिक, नाल कटने के बाद बच्चे को खुद से रोना और ऑक्सीजन लेना चाहिए. अगर इस गोल्डन मिनट में ऑक्सीजन नहीं मिला तो बच्चे के दिमाग पर बुरा असर पड़ता है और विकास रुक जाता है. मेंटल एज और फिजिकल एज में काफी फर्क हो जाता है. सबसे बुरी बात यह है कि इस बीमारी में बच्चे का पूरा इलाज नहीं हो पाता.

सेरेब्रल पाल्सी का क्या मतलब है? पीड़ित को कैसी तकलीफ होती है

शारीरिक और मानसिक बीमारियों का समूह मिलकर सेरेब्रल पाल्सी की बीमारी कहलाता है. इसमें पीड़ित का बैलेंस और पोस्चर ही नहीं, बल्कि चलने-फिरने की क्षमता पर भी बुरा असर पड़ता है. बचपन की सबसे आम मोटर डिजीज सेरेब्रल पाल्सी में सेरेब्रल का मतलब दिमाग से जुड़ा है. वहीं, पाल्सी मतलब मांसपेशियों का इस्तेमाल करने में परेशानी या कमजोरी है. दिमाग के असामान्य विकास या उसमें रुकावट की वजह से होने वाली इस बीमारी के चलते पीड़ित अपनी मांसपेशियों पर काबू नहीं रख पाता.

पीड़ित बच्चे की को-मॉरबिटी में इन थेरेपी से मिलती है राहत

सेरेब्रल पाल्सी की बीमारी में बच्चे को नियमित तौर पर फिजियोथेरेपी, ऑक्युपेशनल एवं स्पीच थेरेपी के अलावा एक्यूप्रेशर की मदद से राहत दी जाती है. हालांकि, इससे पीड़ित बच्चे की को-मॉरबिटी या दूसरी दिक्कत जैसे हाथ-पैर की जकड़न, कब्ज, मांसपेशियों में खिंचाव वगैरह में आराम मिल पाता है. बच्चे में दिमागी तौर पर इससे कोई फायदा नहीं होता और उसे लगातार मेडिकल निगरानी और परिवार की देखभाल की जरूरत होती है.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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