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कमजोर लिवर समेत इन बीमारियों के लिए काल है ये हरे पत्ते, जानिए कैसे करना है सेवन

सांठी में मौजूद फ्लेवोनोइड्स, एल्कलॉइड्स और ग्लाइकोसाइड्स जैसे बायोएक्टिव यौगिक इसके औषधीय गुणों को बढ़ाते हैं, जिससे यह फार्मास्युटिकल और कॉस्मेटिक दोनों तरह के अनुप्रयोगों के लिए उपयोगी हो जाता है.

कमजोर लिवर समेत इन बीमारियों के लिए काल है ये हरे पत्ते, जानिए कैसे करना है सेवन

प्रकृति में ऐसे अनमोल खजाने छिपे हैं जिनकी तुलना किसी सिंथेटिक उत्पाद से नहीं की जा सकती, और सांठी उन्हीं में से एक है. इसे "स्प्रेडिंग हॉगवीड" के नाम से भी जाना जाता है, जो इसके जमीन पर फैलने वाली प्रकृति को दर्शाता है. भारत में यह पौधा व्यापक रूप से पाया जाता है और सदियों से पारंपरिक आयुर्वेदिक चिकित्सा में इसका उपयोग विभिन्न रोगों के इलाज के लिए किया जाता रहा है.

इसे "सांठी" या "लाल सांठी" भी कहते हैं, वहीं इसका वैज्ञानिक नाम 'ट्राइएंथेमा पोर्टुलाकास्ट्रम' है. इसके औषधीय गुण अविश्वसनीय रूप से शक्तिशाली होते हैं. यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है जिनका लिवर दर्द निवारक और स्टेरॉयड के अत्यधिक सेवन से कमजोर हो गया है. इसके कई स्थानीय और क्षेत्रीय नाम हैं, जिनमें पसाले सोप्पु (कन्नड़); अम्बातिमादु (तेलुगु); पुरुनी, पुरिनी साबूदाना (ओरिया); श्वेतमुला, उपोथाकी (संस्कृत); पुनर्नवा (मराठी); और मुकरताई (तमिल).

सुश्रुत संहिता में सांठी को मूत्रवर्धक के रूप में उल्लेख है. इसका उपयोग सूजन, पाचन समस्याओं और अन्य बीमारियों से मुकाबले करने के लिए भी किया जाता है. इसकी जड़ों का उपयोग लिवर संबंधी दिक्कतों को दूर करता है. अस्थमा और महिलाओं में अनियमित मासिक धर्म (एमेनोरिया) संबंधी समस्याओं का इलाज भी करता है. जड़ के चूर्ण का काढ़ा यौन स्राव की समस्याओं में भी लिया जाता है.

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इसमें फाइबर पाया जाता है, जो शरीर के मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करने में मदद करता है. वहीं, चिकित्सकों का कहना है कि जो लोग वजन घटाना चाहते हैं, वे एक सीमित मात्रा में सांठी का सेवन कर सकते हैं. इसके इस्तेमाल से ब्लड में ग्लूकोज का स्तर नियंत्रित होता है, जिससे डायबिटीज से बचा जा सकता है. इसके एंटीडायबिटिक गुण ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद करते हैं.

पत्तियों की मांसल प्रकृति के कारण इन्हें घाव-पट्टी या पुल्टिस के रूप में घाव भरने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इस पौधे का उपयोग पारंपरिक रूप से बुखार, गठिया, त्वचा रोगों और पाचन संबंधी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए भी किया जाता रहा है.

सांठी में मौजूद फ्लेवोनोइड्स, एल्कलॉइड्स और ग्लाइकोसाइड्स जैसे बायोएक्टिव यौगिक इसके औषधीय गुणों को बढ़ाते हैं, जिससे यह फार्मास्युटिकल और कॉस्मेटिक दोनों तरह के अनुप्रयोगों के लिए उपयोगी हो जाता है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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