
फ्लू वायरस से छह गुना बढ़ जाता है हृदयाघात का खतरा (प्रतिकात्मक तस्वीर)
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भारत में 2017 में सामने आए एच1एन1 के 38,220 मामले
इनमें से 2,186 लोगों की हुई मौत
बुजुर्गों को इससे ज़्यादा खतरा
स्वाइन फ्लू यानी इनफ्लुएंजा बुखार का वायरस हवा में फैलता है. खांसने, छींकने, थूंकने से वायरस लोगों तक पहुंचता है. स्वाइन फ्लू के लक्षणों में नाक का लगातार बहना, छींक आना, कफ, कोल्ड और लगातार खांसी रहना, मांसपेशियों में दर्द या अकड़न, बुखार के साथ सिर में तेज दर्द, नींद न आना, ज्यादा थकान और गले में लगातार खराश रहना है.
कनाडा स्थित एक गैर लाभकारी संस्था इंस्टीट्यूट फॉर क्लिनिकल एवैल्युएटिव साइंसेस (आईसीईएस) के वैज्ञानिक जेफ क्वोंग ने कहा, "हमारे नतीजे महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इनफ्लुएंजा और हार्ट अटैक के बीच संबंध से टीकाकरण की आवश्यकता बढ़ जाती है."

उन्होंने कहा, "यह अध्ययन उन अंतर्राष्ट्रीय दिशा-निर्देशों का समर्थन करता है जिनमें हार्ट अटैक के ज्यादा खतरों वाले मरीजों को इनफ्लुएंजा के टीके लगवाने की सलाह दी गई है."
यह शोध न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित हुआ है. शोधकर्ताओं ने वर्ष 2009 से लेकर 2014 के बीच 332 ऐसे मरीजों की पहचान की जिन्हें हार्ट अटैक के कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. सभी मरीजों की जांच से पता चला है कि वे इनफ्लुएंजा से पीड़ित थे.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आकलन के आधार पर दुनियाभर में हर साल मौसमी इनफ्लुएंजा से पीड़ित 50 लाख गंभीर मामले प्रकाश में आते हैं जिनमें तीन लाख से पांच लाख लोगों की मौत हो जाती है.
भारत में 2017 में एच1एन1 से पीड़ित 38,220 मामले सामने आए जिनमें से 2,186 लोगों की मौत हो गई. यह आंकड़ा वर्ष 2016 के मुकाबले काफी ज्यादा रहा. 2016 में कुल 1,786 मामले प्रकाश में आए जिनमें मरने वालों की सख्या 265 थी.
INPUT- IANS
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