सूर्य ग्रहण की टाइमिंग के बारे में बात करें तो 2020 का पहला सूर्य ग्रहण 21 जून को सुबह 9:15 पर आंशिक सूर्य ग्रहण शुरू हो गया था.जबकि सुबह 10:17 पर पूर्ण सूर्य ग्रहण का समय था. यह सूर्य ग्रहण 3:04 मिनट पर खत्म होगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य ग्रहण के सूतक काल (Sutak Kal) के प्रारंभ होने से सूर्य ग्रहण के खत्म होने तक गर्भवती महिलाओं (Pregnant Women) को कुछ बातों का विशेष ध्यान देना होता है. ग्रहण के दौरान गर्भावस्था से जुड़े ऐसे कई मिथक है जो वैज्ञानिक दृष्टि से सत्य नहीं हैं.
Surya Grahan 2020: 21 जून को लगेगा साल का पहला सूर्य ग्रहण, बरतें ये सावधानियां, जानें ग्रहण का समय और सूतक काल!
ग्रहण के दौरान गर्भावस्था से जुड़े मिथक | Myths Related To Pregnancy During Eclipse
आमतौर पर सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण के साथ होता है. लेकिन सूर्य ग्रहण के साथ दो चंद्र ग्रहण भी असमान्य नहीं है. ग्रहण एक पैरा कॉस्मिक घटना है. जिसका मनुष्यों पर असर बैज्ञानिक रूप से सिद्ध नहीं हुआ है. कुछ अध्ययनों का कहना है कि ग्रहण के दौरान इंसानी बर्ताव और ब्लड प्रेशर में कुछ बदलाव हो सकते हैं लेकिन यह साबित नहीं हुए हैं. गर्भावस्था के दौरान एक पुरानी कहावत है कि अगर सूर्य या चद्र ग्रहण में किरण गर्भवती महिला पर पड़ती है तो बच्चे को नुकसान हो सकता है. पुरानी कहानियां कहती हैं कि ग्रहण के दौरान बच्चों पर सूर्य, चंद्र के किरणें पड़ने से बच्चों में फांक तालु, पैदाइसी निशान, और यहां तक की मृत्यु की आशंका हो सकती है. हो सकता है कि पहले के समय में जांच विकृतियों को कंट्रोल करने के लिए कोई अल्ट्रासाउंडड नहीं थे, इसलिए दोष ग्रहण को दिया जाता था. क्योंकि अब हाई टेक्नोलोजी और उन्नत अल्ट्रासाउंड की वजह से हमें गर्भावस्था के दौरान होने वाले कॉम्प्लिकेशन का पता समय समय पर चलता रहता है. इसलिए ये मिथक गलत साबित हुए हैं, लेकिन फिर भी कुछ लोग इन मिथकों को मानते हैं.
लोग ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को स्नान करने, सोने, खाने पीने या किसी नुकीली चीज का इस्तेमाल करने से रोकते हैं. इस धारणा का कोई भी वैज्ञानिक आधार नहीं है. माना जाता है कि उस दौरान कोई भी खानागर्भवती महिलाओं को घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी जाती है.
द्वारका में मणिपाल हॉस्पिटल की डॉक्टर याशिका गुड़ेसर का कहना है कि अब महिलाएं और पुरुष दोनों काम कर रहे हैं. ग्रहण जैसे मौकों पर छुट्टी लेने मुश्किल है. एकल परिवार होने की वजह से इस तरहके मिथक थोपने से लोगों को काफी तनावहो सकता है. इसलिए हमें ऐसे मिथकों से बचना चाहिए. हमें अपनी दिनचर्या जारी रखनी चाहिए. खाने पीने से परहेज नहीं करना चाहिए खासकर गर्भवती महिलाओं को 2 से 3 घंटे से ज्यादा खाली पेट नहीं रखना चाहिए. इससे मां के स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है. साथ ही सोने की मनाही से भी परहेज करना चाहिए. एक गर्भवती महिला के लिए जितना पौष्टिक खाना जरूरी होता है उतनी ही एक अच्छी नींद भी जरूरी है.
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(डॉ. याशिका गुड़ेसर एचओडी ओबीजीवाई मणिपाल हॉस्पिटल द्वारका)
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