एक नए अध्ययन ने सिज़ोफ्रेनिया को एक मानसिक विकार को जोड़ा गया है, जिसमें लोगों को भ्रम होता है और ऐसी चीजों को को देखते और सोचते हैं जो वास्तविकता में होती ही नही हैं. एक शोध में इस बीमारी के जोखिम को बढ़ाने वाले दो जीन का पता लगाया है. जो इस मानसिक विकार को और जोखिम भरा बना सकते हैं.
नेचर जेनेटिक्स के 13 मार्च के ऑनलाइन अंक में प्रकाशित निष्कर्षों में कहा गया है कि हालिया अध्ययन और अधिकांश अन्य बड़े पैमाने पर मानव आनुवंशिकी अध्ययन में मुख्य रूप से यूरोपीय (EUR) वंश के व्यक्ति शामिल थे और EUR पॉपुलेशन के परिणाम अभी तक स्पष्ट नहीं हुए हैं.
माउंट सिनाई में इकान स्कूल ऑफ मेडिसिन द्वारा निर्देशित मल्टी सेंटर स्टडी में सामने आया कि इन असामान्य रूप से हानिकारक उत्परिवर्तनों द्वारा प्रदान किए गए सिज़ोफ्रेनिया का जोखिम जातीय समूहों के अनुसार देखने को मिला है. इस स्टडी में शायद कुछ नए ट्रीटमेंट्स के बारे में सुझाव मिल सकता है.
हेल्दी कंट्रोलस वाले सिज़ोफ्रेनिया वाले लोगों के जीन्स के सीकनेंस की तुलना करके जांचकर्ताओं ने पाया कि इसमें दो रिस्की जीन्स SRRM2 और AKAP11 हैं.
स्टडी के मुख्य लेखक डोंगजिंग लियू ने कहा कि,“जीन के एक सबसेट पर ध्यान केंद्रित करते हुए हमने रेयर डैमेजिंग वैरिएंट्स की खोज की जो संभावित रूप से सिज़ोफ्रेनिया के लिए नई दवाएं बनाने का कारण बन सकती हैं.”
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, सिज़ोफ्रेनिया मानसिक विकार का कारण बनता है जो विकलांगता से जुड़ा होता है और इसके साथ ही व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक, शैक्षिक और व्यावसायिक कामकाज सहित जीवन के सभी क्षेत्रों को प्रभावित कर सकता है.
सिज़ोफ्रेनिया दुनिया भर में लगभग 24 मिलियन लोगों या 300 लोगों में से 1 (0.32%) को प्रभावित करता है. यह दूसरी मानसिक बीमारियों की तरह सामान्य नहीं है. इसकी शुरुआत किशोरावस्था में होती है और वहीं यह महिलाओं की तुलना में पुरुषों को पहले प्रभावित करता है.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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