
- भारत में दर्द निवारक दवाओं का बाजार तेजी से बढ़कर लगभग सोलह हजार करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है
- बदलती जीवनशैली और तनाव के कारण सिरदर्द और बदन दर्द जैसी समस्याओं के लिए दवाओं की मांग बढ़ी है
- भारत में पचास प्रतिशत से अधिक लोग बिना डॉक्टर की सलाह के दर्द निवारक दवाओं का सेवन कर रहे हैं
Indian Pain Relief Market Is Booming : भारत में दवाइयों का चलन जितनी तेजी से बढ़ रहा है, उसमें दर्द निवारक दवाएं सबसे आगे हैं. एक समय था जब ऐसी दवाएं केवल गंभीर दर्द या डॉक्टर की सलाह पर ली जाती थीं, लेकिन आज वे आम जीवन का हिस्सा बन गई हैं. बाज़ार में इनकी मांग इतनी तेज़ी से बढ़ी है कि अब हर हफ़्ते औसतन पांच नए ब्रांड लॉन्च हो रहे हैं. इसका सबसे बड़ा उदाहरण डोलो-650, मेफ्टाल-स्पास, सेरिडॉन और क्रोसिन जैसे ब्रांड हैं, जो अब हर घर की दवाई की अलमारी में आसानी से मिल जाते हैं. रिपोर्ट्स बताती हैं कि भारत का दर्द निवारक बाज़ार ₹16,000 करोड़ तक पहुंच चुका है. यह आंकड़ा हैरान करने वाला इसलिए भी है क्योंकि महज़ पांच साल पहले यह लगभग आधा था.
तेजी से बढ़ा भारत में दर्द निवारक दवा का बाजार (Indian Pain Relief Market Is Booming)
क्यों बढ़ी इतनी जरूरत?
1. इस उछाल के पीछे कई कारण हैं. सबसे पहले, लोगों की जीवनशैली बदल गई है. ऑफिस में घंटों काम, तनाव, खानपान में अनियमितता और नींद की कमी से सिरदर्द, बदन दर्द और थकान जैसी समस्याएं आम हो गई हैं. ऐसे में लोग तुरंत राहत पाने के लिए बिना सोचे-समझे गोली खा लेते हैं.
2. दूसरा बड़ा कारण है कि दवाइयां अब बेहद आसानी से मिल जाती हैं. मेडिकल स्टोर से लेकर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म तक, सब जगह दर्द निवारक दवाएं बिना किसी पर्ची के उपलब्ध हैं. यही वजह है कि 52% भारतीय बिना डॉक्टर की राय लिए दवाइयों का सेवन कर रहे हैं. यह आंकड़ा चिंता पैदा करता है.
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खतरे की घंटी
दर्द निवारक दवाएं तुरंत राहत तो देती हैं, लेकिन इनके लगातार सेवन से गंभीर नुकसान हो सकता है. लिवर और किडनी पर बुरा असर, पेट की अंदरूनी परत को नुकसान और लंबे समय तक इस्तेमाल से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा भी बना रहता है.
डोलो-650 जैसे पैरासिटामोल बेस्ड दवाएं ज्यादा मात्रा में लेने पर लिवर को जहरीला कर सकती हैं. इसी तरह, मेफ्टाल जैसी दवाएं महिलाओं में मासिक दर्द से राहत तो देती हैं, लेकिन इनके लगातार सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर असर पड़ सकता है.
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सरकार और रेगुलेटरी एजेंसियां क्या कर रही हैं?
अब भारत सरकार और दवा कंट्रोलिंग अथॉरिटी इस मुद्दे पर गंभीरता से ध्यान दे रहे हैं. कई लोकप्रिय दवाओं की समीक्षा हो रही है और उनके दुष्प्रभावों पर रिसर्च किया जा रहा है. कुछ दवाएं तो पहले ही बाज़ार से हटाई जा चुकी हैं. साथ ही डॉक्टरों और फार्मासिस्टों को निर्देश दिए गए हैं कि वे बिना पर्ची के गंभीर दवाइयों को न बेचें. हालांकि, इन नियमों का पालन हर जगह नहीं हो रहा.
समाधान क्या है?
इस समस्या का हल सिर्फ़ सरकार या डॉक्टरों के पास नहीं है. लोगों को भी जागरूक होना पड़ेगा. हर दर्द के लिए गोली खाना समझदारी नहीं है. हल्के सिरदर्द या बदन दर्द के लिए आराम, पानी, या घरेलू उपाय भी अपनाए जा सकते हैं. हेल्दी लाइफ स्टाइल, बैलेंस्ड डाइट, योग और रेगुलर एक्सरसाइज से शरीर को मजबूत बनाया जा सकता है ताकि दर्द की नौबत ही न आए.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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