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Sexual Maturity: कब डेवलप होने लगती है सेक्सुअल फीलिंग्स? जानिए किस उम्र में सेक्सुअली मैच्योर हो जाते हैं बच्चे

Sexual Maturity: बच्चों में सेक्सुअल फीलिंग्स डेवलप होने से ठीक पहले ही माता-पिता को इस तरह के टॉपिक्स पर बातचीत शुरू कर देनी चाहिए.

Sexual Maturity: कब डेवलप होने लगती है सेक्सुअल फीलिंग्स? जानिए किस उम्र में सेक्सुअली मैच्योर हो जाते हैं बच्चे
Sexual Maturity: जानिए बच्चों में कब डेवलप होती है सेक्सुअल फीलिंग्स.

Sexual Maturity: भारत में सेक्स एक ऐसा टॉपिक है जिस पर खुल कर बात नहीं किया जाता है. अधिकतर भारतीय परिवारों में यह एक निषेध विषय है जिस पर चर्चा तो दूर नाम लेने पर भी रोक होती है. हालांकि, यह एक जरूरी विषय है जिसके संबंध में नई पीढ़ी को सही उम्र में तथ्यात्मक जानकारी देना जरूरी है. बच्चों के साथ इस तरह की बातें कब करनी चाहिए यह जानना भी आवश्यक है. बच्चों में सेक्सुअल फीलिंग्स डेवलप होने से ठीक पहले ही इस तरह के टॉपिक्स पर बातचीत शुरू कर देनी चाहिए. इस विषय पर तथ्यात्मक जानकारी के लिए एनडीटीवी ने सेक्सुअल हेल्थ एक्सपर्ट निधि झा से विशेष बातचीत की है.

कब डेवलप होती है सेक्सुअल फीलिंग्स? When Do Develop Sexual Feelings?

सेक्सुअल हेल्थ एक्सपर्ट डॉक्टर निधि झा बताती हैं कि प्यूबर्टी के समय ही बच्चों में सेक्सुअल फीलिंग्स डेवलप होने लगती है. पहले की तुलना में अब बच्चों को प्यूबर्टी ज्यादा जल्दी हिट कर जाती है. 12-13 की जगह 8-9 साल की ही उम्र में बच्चों में शारीरिक बदलाव दिखने लगते हैं. डॉ. निधि बताती हैं कि लड़कों की अपेक्षा लड़कियों को प्यूबर्टी जल्दी हिट करता है. हार्मोनल और शारीरिक बदलावों के कारण प्यूबर्टी के समय से ही बच्चों में सेक्सुअल फीलिंग्स डेवलप हो जाती है हालांकि, हर बच्चे में इन फीलिंग्स का लेवल अलग होता है. सेक्सुअल फीलिंग्स की तीव्रता काफी हद तक एक्सपोजर और इन विषयों को लेकर व्यक्ति विशेष के खुलेपन से भी प्रभावित होता है.

ये भी पढ़ें- Importance of Sex Education: क्यों जरूरी है सेक्स एजुकेशन? जानिए माता-पिता की भूमिका

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Photo Credit: iStock

इस उम्र में सेक्सुअली मैच्योर हो जाते हैं बच्चे- Children Become Sexually Mature At This Age:

भले ही सेक्सुअल फीलिंग्स प्यूबर्टी के समय यानि 8-9 साल की उम्र में डेवलप हो जाता है लेकिन, डॉ. निधि बताती है कि सेक्सुअल मैच्योरिटी 16-19 साल या उसके बाद ही आती है. इसीलिए पैरेंट्स को सेक्स एजुकेशन के दौरान इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि किन टॉपिक पर कब बात करना उपयुक्त होगा. प्यूबर्टी के समय शारीरिक बदलाव,  बॉडी पार्ट्स और उनमें होने वाले बदलावों के बारे में बताना जरूरी होता है.

वहीं 16 से 19 साल के उम्र के बच्चों को शारीरिक बदलावों से बढ़कर सेफ सेक्स को लेकर भी बातचीत करनी चाहिए. डॉ. निधि बताती हैं कि सरकारी डेटा के मुताबिक, भारत में प्री मैरिटल सेक्स के आंकड़े तेजी से बढ़ रहे हैं. ऐसे में माता-पिता को यह समझना जरूरी है कि उनकी सोच से पहले भी बच्चे सेक्सुअल एक्टिविटी में शामिल हो सकते हैं. इसीलिए सेफ सेक्स के बारे में उन्हें इंफॉर्म करना बेहद जरूरी है और इसकी शुरुआत घर से हो तो ज्यादा अच्छी बात है. माता-पिता इस तरह उन्हें एसटीआई और एसटीडी जैसी सेहत से जुड़ी समस्याओं से बचा सकते हैं. सेक्स को लेकर सही जानकारी के अभाव में बहुत बार बच्चे गलतियां कर बैठते हैं.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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