भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के वैज्ञानिकों ने कैंसर सेल्स का संभावित रूप से पता लगाने और उन्हें मारने के लिए एक नई अप्रोच तैयार की है. खासकर वे सेल्स जो एक सॉलिड ट्यूमर मास बनाती हैं. 'एसीएस एप्लाइड नैनो मैटेरियल्स' में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, उन्होंने सोने और तांबे के सल्फाइड से बने हाइब्रिड नैनोकण बनाए हैं, जो गर्मी का उपयोग करके कैंसर सेल्स को मार सकते हैं और साउंड वेव का उपयोग करके उनका पता लगा सकते हैं.
शुरुआती पहचान और उपचार जरूरी
बेंगलुरु स्थित आईआईएससी ने सोमवार को एक बयान में कहा कि कैंसर के खिलाफ लड़ाई में शुरुआती पहचान और उपचार जरूरी है. कॉपर सल्फाइड नैनोपार्टिकल्स ने पहले कैंसर डायग्नोस में उनके प्रयोग के लिए ध्यान आकर्षित किया है, जबकि गोल्ड नैनोपार्टिकल्स, जिन्हें कैंसर सेल्स को टारगेट करने के लिए केमिकल रूप से रिवाइज किया जा सकता है, ने कैंसर विरोधी प्रभाव दिखाया है.
वर्तमान अध्ययन में, आईआईएससी टीम ने इन दोनों को हाइब्रिड नैनोपार्टिकल्स को कनेक्ट करने का निर्णय लिया. आईआईएससी के इंस्ट्रुमेंटेशन एंड एप्लाइड फिजिक्स (आईएपी) विभाग में सहायक प्रोफेसर और पेपर के लेखकों में से एक जया प्रकाश कहते हैं, "इन पार्टिकल्स में फोटोथर्मल, ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और फोटोकॉस्टिक गुण होते हैं." पीएचडी छात्र माधवी त्रिपाठी और स्वाति पद्मनाभन को-फर्स्ट ऑथर हैं.
"नैनोपार्टिकल्स कुछ कैंसर को डायग्नोस करने में मददगार"
जब इन हाइब्रिड नैनोपार्टिकल्स पर प्रकाश डाला जाता है, तो वे प्रकाश को एब्जॉर्ब करते हैं और गर्मी पैदा करते हैं, जो कैंसर सेल्स को मार सकती है. विज्ञप्ति में बताया गया है कि ये नैनोपार्टिकल्स सिंगल ऑक्सीजन परमाणु भी पैदा करते हैं जो सेल्स के लिए विषैले होते हैं. जया प्रकाश बताते हैं, "हम चाहते हैं कि ये दोनों तंत्र कैंसर कोशिका को मारें." शोधकर्ताओं का कहना है कि नैनोपार्टिकल्स कुछ कैंसर को डायग्नोस करने में भी मदद कर सकते हैं.
स्टैंडअलोन सीटी और एमआरआई स्कैन जैसी मौजूदा विधियों में इमेज को समझने के लिए ट्रेंड रेडियोलॉजी प्रोफेशनल्स की जरूरत होती है. नैनोपार्टिकल्स की फोटोकॉस्टिक प्रोपर्टी उन्हें प्रकाश को एब्जॉर्ब करने और अल्ट्रासाउंड तरंगें पैदा करने की अनुमति देती है, जिसका उपयोग पार्टिकल्स के उन तक पहुंचने के बाद हाई कंट्रास्ट के साथ कैंसर कोशिकाओं का पता लगाने के लिए किया जा सकता है.
सटीक इमेज रिजॉल्यूशन
कणों से पैदा होने वाली अल्ट्रासाउंड तरंगें ज्यादा सटीक इमेज रिजॉल्यूशन देती हैं क्योंकि प्रकाश की तुलना में जब साउंड वेव टिश्यू से गुजरती हैं तो कम बिखरती हैं. ये नोट किया गया कि अल्ट्रासाउंड तरंगों से बनाए गए स्कैन भी बेहतर क्लियरिटी प्रदान कर सकते हैं और ट्यूमर में ऑक्सीजन सेचुरेशन को मापने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे उनकी पहचान को बढ़ावा मिलता है.
कंटेंट इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर और एक अन्य संबंधित लेखक अशोक एम रायचूर कहते हैं, "आप इसे टेस्ट या ट्रीटमेंट के मौजूदा सिस्टम के साथ इंटिग्रेटेड कर सकते हैं."
उदाहरण के लिए, एंडोस्कोप का उपयोग करके नैनोपार्टिकल्स पर प्रकाश डालकर उन्हें गर्मी पैदा करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है, जिसका उपयोग आमतौर पर कैंसर की जांच के लिए किया जाता है.
आईआईएससी टीम ने कॉपर सल्फाइड सरफेस पर सोने के छोटे बीज जमा करने के लिए एक न्यू रिडक्शन विधि का उपयोग किया. परिणामी हाइब्रिड नैनोपार्टिकल्स - आकार में 8 एनएम से कम - संभावित रूप से टिश्यू के अंदर आसानी से ट्रेवल कर सकते हैं और ट्यूमर तक पहुंच सकते हैं.
अभी और अध्ययन की जरूरत...
शोधकर्ताओं का मानना है कि नैनोपार्टिकल्स का छोटा आकार उन्हें मानव शरीर को बिना जमा हुए स्वाभाविक रूप से छोड़ने की अनुमति देगा, हालांकि ये निर्धारित करने के लिए व्यापक अध्ययन किया जाना चाहिए कि क्या वे मानव शरीर के अंदर उपयोग करने के लिए सुरक्षित हैं.
वर्तमान अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला में फेफड़ों के कैंसर और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर सेल लाइनों पर अपने नैनोपार्टिकल्स का टेस्ट किया है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं