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मच्छरों से फैलने वाली बीमारियों पर लगेगी लगाम, वैज्ञानिकों ने बनाया ऐसा स्मार्ट सिस्टम

वर्तमान में इसे दक्षिण चीन के ग्वांगडोंग प्रांत की कई बस्तियों में लगाया गया है. यह सिस्टम यह भी बताता है कि किस क्षेत्र में कब और कहां दवाई छिड़कनी चाहिए और किन इलाकों में ज्यादा खतरा है.

मच्छरों से फैलने वाली बीमारियों पर लगेगी लगाम, वैज्ञानिकों ने बनाया ऐसा स्मार्ट सिस्टम
यह सिस्टम यह भी बताता है कि किस क्षेत्र में कब और कहां दवाई छिड़कनी चाहिए.

चिकनगुनिया के भीषण प्रकोप के बीच चीन के वैज्ञानिकों ने मच्छरजनित बीमारियों से निपटने के लिए एक इंटेलिजेंट मॉस्किटो सर्विलांस सिस्टम बनाया. यह तकनीक मच्छरों की गतिविधियों पर नजर रखती है और बीमारी फैलने से पहले चेतावनी देती है, जिससे समय पर कार्रवाई की जा सके.  इस तकनीक को साउदर्न मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर चेन शियाओगुआंग की अगुवाई में तैयार किया गया है. वर्तमान में इसे दक्षिण चीन के ग्वांगडोंग प्रांत की कई बस्तियों में लगाया गया है. यह सिस्टम यह भी बताता है कि किस क्षेत्र में कब और कहां दवाई छिड़कनी चाहिए और किन इलाकों में ज्यादा खतरा है.

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नई तकनीक में दो स्मार्ट डिवाइस

चेन ने बताया, "पारंपरिक तरीके जैसे मच्छरदानी या सामान्य जाल केवल कुछ खास प्रकार के मच्छरों को पकड़ते हैं, जिससे पूरी जानकारी नहीं मिल पाती. नई तकनीक में दो स्मार्ट डिवाइस एक साथ काम करती हैं. पहली ऑटोमैटिक मॉनिटर, जो इंसान जैसी खुशबू से खून न पीने वाले मच्छरों को आकर्षित करता है और दूसरी स्मार्ट ओविपोजिशन बकेट्स, जो खून पीकर अंडे देने वाली मादा मच्छरों को पकड़ती हैं."

मच्छरों के बढ़ने की चेतावनी देगा डिवाइस

इस तकनीक की मदद से मच्छरों की निगरानी पारंपरिक जालों की तुलना में चार गुना ज्यादा प्रभावी हो गई है. टेस्ट में देखा गया कि पहले ही हफ्ते में यह तकनीक उन क्षेत्रों में मच्छरों की संख्या तेजी से बढ़ने की तत्काल चेतावनी देने में सक्षम रही और हेल्थ एजेंसियों को सटीक रोकथाम उपाय सुझाए.

क्लाउड-बेस्ड अलर्ट 

चेन ने कहा कि मैन्युअल तरीके से मच्छर पकड़ने में देरी होती थी, जिससे समय पर इलाज संभव नहीं हो पाता था. लेकिन, अब क्लाउड-बेस्ड अलर्ट के जरिए तुरंत प्रतिक्रिया दी जा सकती है. इस तकनीक के इस्तेमाल से कुछ क्षेत्रों में वयस्क मच्छरों की संख्या में लगभग 40 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है.

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यह सिस्टम फिलहाल ग्वांगडोंग के फोशान शहर के कई हिस्सों में लगाया जा चुका है. प्रोफेसर चेन की टीम का उद्देश्य है कि तकनीक के माध्यम से मच्छरजनित बीमारियों की रोकथाम को और तेज बनाया जा सके.

मिलेगी मच्छरों खतरे की जानकारी

इसी दिशा में, हॉन्गकॉन्ग की लिंगनान यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने भी हॉन्गकॉन्ग का पहला लाइव जियोएआई प्लेटफॉर्म तैयार किया है, जो ज्योग्राफिक इनफार्मेशन सिस्टम (जीआईएस) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ऑफ थिंग्स (एआईओटी) को मिलाकर बनाया गया है. यह प्लेटफॉर्म न केवल मच्छर खतरे की जानकारी देता है, बल्कि आने वाले खतरे की भविष्यवाणी भी करता है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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