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मायोसाइटिस से जूझ रही हैं सामंथा रुथ प्रभु, क्या होती है ये बीमारी? लक्षण, कारण, इलाज और डाइट के बारे में जानें सबकुछ

जांच के बाद डॉक्टर्स ने बताया की सामंथा को मायोसाइटिस नाम की बीमारी है. मायोसाइटिस एक स्थिति है, जिसमें इम्यून सेल्स शरीर की मसल्स पर हमला करने लगती हैं. यहां जानिए इस बीमारी में क्या होता है, इसके लक्षण और इससे बचने के लिए क्या करना चाहिए आइए जानते हैं.

मायोसाइटिस से जूझ रही हैं सामंथा रुथ प्रभु, क्या होती है ये बीमारी? लक्षण, कारण, इलाज और डाइट के बारे में जानें सबकुछ
सामंथा रुथ प्रभु (Samantha Ruth Prabhu) को है एक खतरनाक ऑटोइम्यून डिजीज.

साउथ फिल्म इंडस्ट्री की फेमस एक्ट्रेस सामंथा रूथ प्रभु (Samantha Ruth Prabhu) कुछ दिन पहले एक शूटिंग के दौरान अचानक बेहोश होकर गिर गई थीं. उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने लगी थी इसलिए तुरंत सेट पर ही ऑक्सीजन टैंक मंगवाया गया और उन्हें हॉस्पिटल पहुंचाया गया. जांच के बाद डॉक्टर्स ने बताया की सामंथा को मायोसाइटिस नाम की बीमारी है. दरअसल, मायोसाइटिस एक कंडिशन है, जिसमें इम्यून सेल्स शरीर की मसल्स पर हमला करने लगती हैं, जिससे सूजन (inflammation) होती है. सूजन के कारण मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं. इसका सेहत पर बुरा असर देखने को मिलता है. यहां जानिए इस बीमारी में क्या होता है, इसके लक्षण और इससे बचने के लिए क्या करना चाहिए आइए जानते हैं.

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मायोसाइटिस क्या है? (What Is Myositis)

मायोसाइटिस एक बीमारी है जिसमें इम्यून सिस्टम शरीर की मसल्स पर हमला करता है, जिससे मसल्स में सूजन होती है. यह सूजन क्रॉनिक (लंबे समय तक बनी रहने वाली) और प्रोग्रेसिव (समय के साथ बढ़ने वाली) होती है, जिससे मांसपेशियों की ताकत में कमी और कमजोरी हो सकती है. इस बीमारी के कारण मांसपेशियों में दर्द, सूजन और कमजोरी आती है. यह बीमारी मुख्य रूप से महिलाओं में ज्यादा पाई जाती है और ये किसी भी उम्र में हो सकती है. समय रहते इलाज न मिलने पर यह मांसपेशियों के काम करने की क्षमता को स्थायी रूप से इफेक्ट कर सकती है. इसलिए जल्दी इसका इलाज करना बेहद जरूरी है.

मायोसाइटिस के लक्षण (Symptoms of Myositis)

यह बीमारी धीरे-धीरे शरीर को चपेट में लेती है और शुरुआत में इसके इपेक्ट क्लियर नहीं होते. शुरुआत में व्यक्ति को हल्का दर्द या असुविधा महसूस हो सकती है, लेकिन समय के साथ सूजन और मसल्स की कमजोरी बढ़ने लगती है. मायोसाइटिस के शुरुआती लक्षणों में मसल्स में हल्की थकावट और दर्द होता है. जो सामान्य रूप से नजर नहीं आता. जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, मसल्स की कमजोरी और दर्द की समस्या बढ़ने लगती है. खासकर शरीर के ऊपरी हिस्से जैसे कंधे, पीठ, गर्दन और कूल्हों में. इसके कारण व्यक्ति को सामान्य कामों को करने में कठिनाई होने लगती है. जैसे सीढ़ियां चढ़ना, बैठना, खड़ा होना या किसी भारी चीज को उठाना.

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कितनी तरह की होती है मायोसाइटिस बीमारी? (Types of Myositis) 

मायोसाइटिस के लक्षण और प्रभावित मांसपेशियों के आधार पर इसे कई प्रकारों में बांटा गया है. ये मुख्य रूप से बीमारी की गंभीरता और मांसपेशियों की कमजोरी के हिसाब से बांटे गए हैं.

1. डर्माटोमायोसाइटिस (Dermatomyositis)

इसमें मांसपेशियों के अलावा स्किन भी प्रभावित होती है. इसके कारण स्किन पर लाल या बैंगनी रंग के निशान पड़ जाते हैं, जो ज्यादातर चेहरे, गर्दन, और सीने पर नजर आते हैं. इसके अलावा, स्किन रूखी और खुरदुरी हो सकती है. इसमें बहुत ज्यादा थकान महसूस होती है और गर्दन, कमर साथ ही कंधों में मांसपेशियों की कमजोरी हो सकती है. इंफ्लेमेशन के कारण कुछ लोगों को खाना निगलने में कठिनाई होती है और उनकी आवाज भारी हो सकती है. ऐसे में मांसपेशियों की कमजोरी और काम करने की क्षमता में परमानेंट कमी हो सकती है.

2. इंक्लूजन-बॉडी मायोसाइटिस (IBM)

मायोसाइटिस का एकमात्र प्रकार है जो पुरुषों में ज्यादा देखने मिलता है. इसमें मांसपेशियों में सूजन के साथ-साथ अंतर्निहित संरचनाएं (इंक्लूजन बॉडीज) बनती हैं, जिसके कारण व्यक्ति को मांसपेशियों की कमजोरी महसूस होती है. खासकर हाथों, कंधों और जांघों में. इस स्थिति में चलने-फिरने में परेशानी होती है और अगर व्यक्ति बैठा होता है, तो उठने में समस्या होती है. निगलने और बात करने में भी परेशानी हो सकती है क्योंकि गले और चेहरे की मसल्स प्रभावित होती हैं.

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3. जुवेनाइल मायोसाइटिस:

जब किसी 18 साल से कम उम्र के बच्चे में मायोसाइटिस पाया जाता है तो इसे जुवेनाइल मायोसाइटिस कहा जाता है. जुवेनाइल मायोसाइटिस में स्किन पर सूजन और बैंगनी रंग के निशान दिखाई देते हैं. जो आमतौर पर शरीर के ऊपरी हिस्से जैसे चेहरे, गर्दन और कंधों पर होते हैं. इसके अलावा, पेट में दर्द, सिर में शैंपू करते समय या कंघी करने में परेशानी और गर्दन के मसल्स की कमजोरी जैसे लक्षण होते हैं. गर्दन की मांसपेशियों की कमजोरी इतनी गंभीर हो सकती है कि बच्चा अपना सिर उठाने या हिलाने-डुलाने में सक्षम नहीं होता. इसकी वजह से नॉर्मल एक्टिविटीज में भी परेशानी हो सकती है जैसे बैठना या चलना. जुवेनाइल मायोसाइटिस में बच्चों की मांसपेशियों की ताकत धीरे-धीरे कम होने लगती है, जिससे उनकी शारीरिक काम करने क्षमता पर असर पड़ता है.

4. पॉली मायोसाइटिस:

पॉली मायोसाइटिस एक प्रकार की ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें मसल्स में सूजन और कमजोरी होती है. इसकी शुरुआत आमतौर पर कमर के ऊपर के मसल्स से होती है. जैसे कंधे और गर्दन के मसल्स और फिर यह धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैल सकती है. इससे पीड़ित व्यक्ति को मसल्स में दर्द और कमजोरी का सामना करना पड़ता है. जिससे नॉर्मल एक्टीविटीज में परेशानी होती है. पॉली मायोसाइटिस के सभी मामलों में लक्षण अलग-अलग होते हैं और यह अक्सर दूसरी ऑटोइम्यून बीमारियों के साथ जुड़ा होता है. जैसे लुपस या रुमेटॉयड आर्थराइटिस. इसके कारण मांसपेशियों में सूजन, दर्द और कमजोरी बनी रहती है. मरीज को अक्सर बुखार महसूस होता है और वजन में अचानक कमी आ सकती है.

5. टॉक्सिक मायोसाइटिस:

टॉक्सिक मायोसाइटिस एक बहुत ही रेयर प्रकार की मायोसाइटिस है, जो कुछ दवाओं के साइड इफेक्ट्स या टॉक्सिन्स के कारण होती है. खासकर कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवाओं, जैसे स्टेटिन्स, के कारण इसका जोखिम बढ़ सकता है. इसके लक्षण सामान्य मायोसाइटिस से मिलते-जुलते होते हैं. जैसे मसल्स में सूजन, दर्द, कमजोरी और थकान. इस प्रकार की मायोसाइटिस में दवाओं या टॉक्सिन्स के प्रभाव को रोकने के लिए उपचार जरूरी होता है. ताकि मांसपेशियों की कार्यक्षमता पर अधिक असर न पड़े.

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किस वजह से होती है मायोसाइटिस बीमारी? (What Causes Myositis?)

मायोसाइटिस के कारण अभी तक पूरी तरह से समझे नहीं जा सके हैं, लेकिन यह एक ऑटोइम्यून बीमारी मानी जाती है. जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम गलती से अपनी ही मांसपेशियों पर हमला करता है. जब इम्यून सिस्टम मांसपेशियों को पहचानने में गलती करता है तो सूजन होती है. जिससे मांसपेशियों में कमजोरी, दर्द और काम करने की क्षमता में कमी आती है.

कई मामलों में, मायोसाइटिस अन्य मेडिकल कंडीशन के कारण भी पैदा हो सकता है. उदाहरण के लिए अगर किसी व्यक्ति को अन्य ऑटोइम्यून बीमारियां जैसे लुपस, रुमेटॉयड आर्थराइटिस या सारकॉइडोसिस हैं तो उसे मायोसाइटिस बढ़ने का खतरा ज्यादा होता है. इन बीमारियों में इम्यून सिस्टम पहले से ही शरीर के कई अंगों पर हमला कर रहा होता है जिससे मांसपेशियों में भी सूजन आ सकती है.

मायोसाइटिस बीमारी का इलाज क्या है? (Treatment of Myositis)

जैसे कि इस बीमारी के होने का कारण पता नहीं चल पाया है वैसे ही अभी तक इस बीमारी का इलाज भी नहीं मिला है. डॉक्टर्स इस बीमारी के लक्षण के आधार पर कुछ एक्सरसाइज और दवाओं की मदद से इस बीमारी को कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं. इस बीमारी के इलाज में डॉक्टर्स पेशेंट को स्टेरॉइड्स, इम्यूनो सप्रेसेंट और इंट्रावेनस इम्यूनोग्लोबुलिन देते हैं. कुछ डॉक्टर्स अपने मरीज की इफेक्टिव मसल्स को मजबूत और फ्लेक्सिबल बनाए रखने के लिए कुछ एक्सरसाइज सजेस्ट करते है. साथ ही इस बीमारी को कंट्रोल करने के लिए खास डाइट भी फॉलो करने की सलाह देते है.

मायोसाइटिस में कैसी होनी चाहिए डाइट? (What Should Be The Diet In Myositis?)

मायोसाइटिस बीमारी में डॉक्टर्स अपने पेशेंट को सख़्त एंटीनफ्लेमेट्री डाइट फ़ॉलो करने की सलाह देते हैं. इस डाइट को फ़ॉलो करने से वज़न कंट्रोल में रहता है और मायोसाइटिस बीमारी को भी कंट्रोल करने में मदद मिलती है. एंटी-इंफ्लेमेटरी डाइट में शामिल होती हैं.

1. सब्जियां और फल: डॉक्टर्स सलाह देते है कि खाने में सभी कलर्स के फल और सब्जियां शामिल होनी चाहिए. इनमें ख़ास तौर पर खट्टे फल, बेरीस और पत्तेदार सब्जियां बहुत जरूरी होती है.
2. साबुत अनाज: खाने में साबुत अनाज जैसे गेहूं, जई, रई, बाजरा और ब्राउन राइस का इस्तेमाल करना चाहिए.
3. दालें: डॉक्टर्स के अनुसार मायोसाइटिस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को अपनी डाइट में सभी तरह की दालें, चना, ब्लैक बीन्स और राजमा शामिल करना चाहिए.
4. सूखे मेवे और सीड्स: मायोसाइटस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को अपने भोजन में बादाम, अखरोट, चिया सीड्स और फ्लैक्स सीड्स शामिल करने चाहिए.
5. स्पाइसेस और हर्ब्स: भोजन में अदरक, लहसुन, हल्दी, इलायची, काली मिर्च और दालचीनी को शामिल करना बेहद जरूरी होता है. इसके अलावा दही, पनीर और केला भी अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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