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This Article is From Aug 12, 2022

Prenatal Depression: गर्भवती महिलाओं में डिप्रेशन को रोकने के 5 तरीके, जानें कैसे दें मां को खुशनुमा माहौल

How To Prevent Prenatal Depression: अध्ययनों से पता चलता है कि मां और बच्चे पर प्रेगनेंसी के दौरान होने वाले अवसाद के छोटे और दीर्घकालिक प्रभाव भी होते हैं. इन सरल टिप्स के जरिए प्रेगनेंसी के दौरान होने वाले अवसाद को रोका जा सकता है.

Prenatal Depression: गर्भवती महिलाओं में डिप्रेशन को रोकने के 5 तरीके, जानें कैसे दें मां को खुशनुमा माहौल
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Ways To Prevent Prenatal Depression: प्रसवपूर्व अवसाद यानि डिलीवरी से पहले महिला डिप्रेशन का अनुभव कर सकती है. जब एक महिला अपनी गर्भावस्था के दौरान अवसाद का अनुभव करती है तो उसे प्रसवपूर्व अवसाद या प्रीनेटल डिप्रेशन (Prenatal Depression) कहते हैं. प्रेगनेंसी के दौरान होने वाले अवसाद (Depression During Pregnancy) की उतनी बात नहीं की जाती है जितनी बार प्रेगनेंसी के बाद होने वाले अवसाद की. हालाकि, यह बहुत ही सामान्य है. प्रेगनेंसी के दौरान ड्रिप्रेशन 7 में से 1 महिला को प्रभावित करता है. प्रीनेटल डिप्रेशन को गंभीरता से लिया जाना चाहिए क्योंकि अध्ययनों से पता चलता है कि मां और बच्चे पर प्रेगनेंसी के दौरान होने वाले अवसाद के छोटे और दीर्घकालिक प्रभाव भी होते हैं. प्रसव पूर्व अवसाद भी प्रसवोत्तर अवसाद (Postpartum Depression) के जोखिम को बढ़ाता है.

प्रीनेटल डिप्रेशन प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं में उदासी, चिंता और क्रोध का कारण बन सकता है. प्रीनेटल डिप्रेशन को बच्चे के स्वास्थ्य को प्रभावित करने से भी जोड़ा गया है. इसलिए, इसे पूरी तरह से रोकने के लिए सही उपाय करना जरूरी है.

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एक महिला क्या खाती है, वह कैसे कसरत करती है, उसकी लाइफस्टाइल और उसका वातावरण, ये सभी कारक हैं जो एक मां को प्रीनेटल डिप्रेशन में डालते हैं. यहां जानें की प्रीनेटल डिप्रेशन की संभावना को कम करने के लिए इन कारकों को कैसे बदला जा सकता है.

प्रसव पूर्व अवसाद को कैसे रोकें | How To Prevent Prenatal Depression

1. थेरेपी

एक हेल्थ प्रोफेशनल से बात करने से गर्भावस्था के दौरान आपके स्वास्थ्य और अनुभवों को बेहतर करने में मदद मिलती है. यह प्रोफेशनल गाइडेंस आपके शरीर के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी जरूरी है. कसल्टेंसी प्रीनेटल डिप्रेशन के जोखिम को कम करने के लिए प्रभावी सिद्ध हुई है. गर्भावस्था के दौरान अपने अनुभवों के बारे में सलाह लेने के लिए थेरेपी एक बेहतर तरीका हो सकती है.

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2. नियमित रूप से व्यायाम करें

एक्सरसाइज करने से शरीर को कई तरह के फायदे होते हैं. व्यायाम करने से मां की फिजिकल हेल्थ को मैनेज करने में मदद मिलती है और बच्चे के स्वास्थ्य में भी सुधार होता है. व्यायाम करने से मां के मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाने में मदद मिलती है. व्यायाम करने से सेरोटोनिन, डोपामाइन आदि जैसे हैप्पी हार्मोन रिलीज होते हैं जो मूड को बेहतर बनाने में मदद करते हैं. हैप्पी हार्मोन का यह स्राव अवसाद और चिंता के लक्षणों को भी कम कर सकता है. योग और ध्यान जैसे व्यायाम मानसिक स्वास्थ्य को और भी अधिक लाभ प्रदान करने के लिए सिद्ध हुए हैं.

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Prenatal Depression से दूर रहने के लिए डेली व्यायाम करें. Photo Credit: iStock

3. सीबीटी का प्रयास करें

सीबीटी कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी के बारे में है. सीबीटी समस्या को पहचानता है और सुधार करता है कि कोई खुद के प्रति कैसे सोचता है. नकारात्मक विचार जैसे 'मैं माता-पिता बनने में सक्षम नहीं हूं', आदि को पहचाना जा सकता है और सकारात्मक बनने की कोशिश की जा सकती है. यह सकारात्मक सेल्फ स्पीकिंग की वकालत करने में मदद करता है.

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4. कम्यूनिकेशन

बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के लिए पहला कदम संवाद करना है. जैसा कि शुरुआत में चर्चा की गई प्रसवपूर्व अवसाद पूरी तरह से सामान्य है. हार्मोन में बदलाव से भी मूड में बदलाव हो सकता है. यह जरूरी है कि अपने आसपास के लोगों से बात करें. अपने आसपास के लोगों के साथ अपने विचारों और भावनाओं को शेयर करने से आपको अपनी मानसिकता को सुधारने करने में मदद मिल सकती है.

5. सही खाएं

आप जो खाते हैं वह आपके मूड और भावनाओं को भी प्रभावित करता है. खाना खाने से शरीर में कुछ हैप्पी हार्मोन भी रिलीज होते हैं. ये हार्मोन मूड में सुधार, नींद के चक्र में सुधार और कई अन्य लाभों को सुविधाजनक बनाने में मदद करते हैं.

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इन सरल लाइफस्टाइल स्टेप को फॉलो करने से आप प्रसव पूर्व अवसाद से बच सकते हैं. मां का अच्छा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखता है. इन बातों का ध्यान रखें और मां को खुशनुमा माहौल दें.

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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