गर्भावस्था के दौरान एक महिला को विशेष देखभाल की जरूरत होती है.
नई दिल्ली:
कई बार बच्चा जब पैदा होता है तो उसका वजन काफी कम होता है, आपने ये भी देखा होगा कि माताओं में अवसाद की स्थिति उत्पन्न होने लगती है. दरअसल इसका मुख्य कारण प्रेगनेंसी के दौरान मस्तिष्क प्रोटीन की कमी होना होता है.
अभी हाल ही में एक शोध से पता चलता है कि मस्तिष्क से उत्पन्न होने वाला न्यूरोट्रोफिट कारक (बीडीएनएफ) यह सामान्य तौर पर मूड के निर्धारण के लिए जाना जाता है. यह प्लेसेंटा (नाल) और बच्चे के दिमाग के विकास के लिए भी जरूरी होता है. यह गर्भावस्था के दौरान लगातार बदलता रहता है.
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प्रोटीन के स्तर में कमी अवसाद के पीछे की वजह है. यह गर्भावस्था के दौरान एक आम बात है. ओहियो राज्य विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर लिसा एम. क्रिश्चियन ने कहा, "हमारे शोध से पता चलता है कि बीडीएनएफ स्तर में पूरे गर्भावस्था के दौरान ज्यादा बदलाव महिलाओं में अवसाद के लक्षण दिखाता है. साथ ही इससे कमजोर भ्रूण की वृद्धि का भी पता चलता है."
शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन के लिए 139 महिलाओं के गर्भावस्था के दौरान और गर्भावस्था के बाद के रक्त के नमूने लिए गए. इसमें बीडीएनएफ के स्तर को देखा गया. परिणाम में सामने आया कि बीडीएनएफ के स्तर के कम होने के कारण दूसरे और तीसरे तिमाही में ज्यादा अवसाद के लक्षणों की भविष्यवाणी की गई.
प्रेग्नेंसी के दौरान रखें अपनी सेहत का ख्याल, डाइट में शामिल करें ये चीज़ें
कुछ अवसाद रोधी दवाओं का प्रभाव बीडीएनएफ स्तर के बढ़ाने में देखा गया है. किश्चियन ने कहा, "यह कुछ गर्भवती महिलाओं के लिए सही हो सकता है, लेकिन इसमें जोखिम की संभावनाएं हैं और दूसरे प्रभाव हो सकते हैं." शोधकर्ताओं का कहना है कि बीडीएनएफ स्तर को बढ़ाने में व्यायाम प्रभावी तरीका है.
किश्चियन ने कहा, "चिकित्सक की सहमति से गर्भावस्था के दौरान शारीरिक रूप से सक्रिय रहकर बीडीएनएफ स्तर को बनाए रखा जा सकता है. यह एक महिला के मूड के लिए और बच्चे के विकास के लिए लाभकारी है." शोध का प्रकाशन पत्रिका 'साइको न्यूरो इंडोक्राइनोलॉजी' में किया गया है.
गर्भावस्था के दौरान मोटापा बढ़ने से मां और बच्चे दोनों को है खतरा
(न्यूज एजेंसी आईएएनएस से अनपुट)
अभी हाल ही में एक शोध से पता चलता है कि मस्तिष्क से उत्पन्न होने वाला न्यूरोट्रोफिट कारक (बीडीएनएफ) यह सामान्य तौर पर मूड के निर्धारण के लिए जाना जाता है. यह प्लेसेंटा (नाल) और बच्चे के दिमाग के विकास के लिए भी जरूरी होता है. यह गर्भावस्था के दौरान लगातार बदलता रहता है.
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प्रोटीन के स्तर में कमी अवसाद के पीछे की वजह है. यह गर्भावस्था के दौरान एक आम बात है. ओहियो राज्य विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर लिसा एम. क्रिश्चियन ने कहा, "हमारे शोध से पता चलता है कि बीडीएनएफ स्तर में पूरे गर्भावस्था के दौरान ज्यादा बदलाव महिलाओं में अवसाद के लक्षण दिखाता है. साथ ही इससे कमजोर भ्रूण की वृद्धि का भी पता चलता है."
शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन के लिए 139 महिलाओं के गर्भावस्था के दौरान और गर्भावस्था के बाद के रक्त के नमूने लिए गए. इसमें बीडीएनएफ के स्तर को देखा गया. परिणाम में सामने आया कि बीडीएनएफ के स्तर के कम होने के कारण दूसरे और तीसरे तिमाही में ज्यादा अवसाद के लक्षणों की भविष्यवाणी की गई.
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कुछ अवसाद रोधी दवाओं का प्रभाव बीडीएनएफ स्तर के बढ़ाने में देखा गया है. किश्चियन ने कहा, "यह कुछ गर्भवती महिलाओं के लिए सही हो सकता है, लेकिन इसमें जोखिम की संभावनाएं हैं और दूसरे प्रभाव हो सकते हैं." शोधकर्ताओं का कहना है कि बीडीएनएफ स्तर को बढ़ाने में व्यायाम प्रभावी तरीका है.
किश्चियन ने कहा, "चिकित्सक की सहमति से गर्भावस्था के दौरान शारीरिक रूप से सक्रिय रहकर बीडीएनएफ स्तर को बनाए रखा जा सकता है. यह एक महिला के मूड के लिए और बच्चे के विकास के लिए लाभकारी है." शोध का प्रकाशन पत्रिका 'साइको न्यूरो इंडोक्राइनोलॉजी' में किया गया है.
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(न्यूज एजेंसी आईएएनएस से अनपुट)
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