
Premanand health update : पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर एक वीडियो आग की तरह फैल रहा है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि वृंदावन के जाने-माने संत प्रेमानंद महाराज अस्पताल में भर्ती हैं. वीडियो में उन्हें लाल चेहरे और सूजी हुई आंखों के साथ दिखाया गया है, जिससे उनके लाखों भक्तों की चिंता बढ़ गई है. हर कोई यही सोच रहा है कि आखिर महाराज जी को क्या हुआ है? क्या ये डायलिसिस का असर है? लेकिन ठहरिए, कहानी में एक बड़ा ट्विस्ट है.
दरअसल, ये वीडियो काफी पुराना है और अब सोशल मीडिया पर दोबारा वायरल हो रहा है. जब महाराज जी के एक भक्त ने उनसे इस बारे में पूछा, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, "देखिए, तीन दिन से हम भी बड़े जोरों से एकांतिक वार्तालाप कर रहे हैं. एकांतिक भी तो देख लेना चाहिए. हमें लगता है कि ये मोबाइल ही झूठ बुलवाता है." महाराज जी के इस जवाब ने भक्तों को बड़ी राहत दी है.
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क्या प्रेमानंद महाराज पूरी तरह ठीक हैं?
जी हां, प्रेमानंद महाराज बिल्कुल ठीक हैं और अपने आश्रम, केली कुंज में ही हैं. वो रोजाना की तरह अपने प्रवचन और भक्तों से बातचीत कर रहे हैं. आश्रम की तरफ से भी साफ कर दिया गया है कि सोशल मीडिया पर जो वीडियो वायरल हो रहा है, वो पुराना है और भक्तों को किसी भी अफवाह पर ध्यान नहीं देना चाहिए. बस, उनकी सुबह 4 बजे वाली पदयात्रा कुछ समय के लिए बंद की गई है, बाकी सब पहले जैसा ही चल रहा है.
ये तो बात हो गई प्रेमानंद जी महाराज की सेहत के सच का. अब आइए बात करते हैं आखिर डायलिसिस होने पर मरीज को किन-किन परेशानियों से गुजरना पड़ता है.
थकान और कमजोरीडायलिसिस के मरीजों में थकान बहुत आम है. शरीर से खून निकालकर उसे साफ करके वापस डालना, एक थका देने वाला काम होता है. इसके अलावा, किडनी खराब होने के कारण शरीर में कई तरह के टॉक्सिन जमा होते रहते हैं, जो थकान बढ़ाते हैं.
मांसपेशियों में ऐंठन और दर्दडायलिसिस के दौरान शरीर से अतिरिक्त पानी और कुछ मिनरल्स भी बाहर निकल जाते हैं, जिसकी वजह से मांसपेशियों में क्रैंप्स और दर्द होना आम है. यह दर्द अक्सर पैरों में, खासकर पिंडलियों में होता है.
खुजलीकिडनी खराब होने पर शरीर से टॉक्सिन पूरी तरह से बाहर नहीं निकल पाते. ये टॉक्सिन त्वचा में जमा होने लगते हैं, जिससे बहुत ज्यादा खुजली होती है. त्वचा सूखी और बेजान लगने लगती है. मरीज इतनी खुजली से परेशान हो जाते हैं कि कई बार उनकी रातों की नींद हराम हो जाती है और त्वचा पर निशान भी पड़ जाते हैं.
भूख न लगनाडायलिसिस के मरीजों को अक्सर भूख कम लगती है. इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे शरीर में टॉक्सिन का जमा होना, दवाएं और मानसिक तनाव. इसके अलावा, उन्हें अपने खाने-पीने पर बहुत ध्यान देना पड़ता है. उन्हें नमक, पोटेशियम और फास्फोरस वाली चीजें कम खाने की सलाह दी जाती है. लिक्विड फूड के सेवन पर भी रोक लगाई जाती है.
नींद की समस्याथकान, मांसपेशियों में ऐंठन, खुजली और मानसिक तनाव, ये सब मिलकर मरीजों की नींद खराब करते हैं. उन्हें रात को सोने में दिक्कत होती है, और अगर सो भी जाते हैं तो बार-बार नींद खुलती है. अच्छी नींद न मिल पाने के कारण दिनभर चिड़चिड़ापन और कमजोरी महसूस होती है.
अवसाद और चिंतामरीजों को लगता है कि उनका जीवन पूरी तरह से बदल गया है. उन्हें अपनी आजादी छिनती हुई महसूस होती है. इस वजह से कई मरीजों को अवसाद (डिप्रेशन) और चिंता (एंजाइटी) घेर लेती है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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