हम सभी अपने फेफड़ों पर प्रदूषण के प्रभाव को समझते हैं लेकिन हमें इस बात का एहसास नहीं है कि प्रदूषण हमारी आंखों पर भी प्रभाव डालता है. मौजूदा मौसम में आंखों में एलर्जी और ड्राई आई के मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है. एलर्जी अक्सर हवा में कणों और के साथ आंखों के सीधे संपर्क के कारण होती है. इस महीने में ह्यूमिडिटी और बारिश की कमी से नकारात्मक प्रभाव और बढ़ गया है. जो लोग दोपहिया वाहन चलाने या बाहरी क्षेत्र में काम करने के कारण प्रदूषण के संपर्क में आते हैं, वे लाल, खुजली वाली, पानी भरी या सूजी हुई आंखों के साथ घर लौट रहे हैं. वे अपनी आंखों में रेतीली सनसनी की शिकायत करते हैं और ज्यादातर शाम को आंखें गुलाबी या लाल रहती हैं. खुजली की शिकायत भी हो सकती है. आंखों की एलर्जी अक्सर एलर्जिक साइनसाइटिस और राइनाइटिस से जुड़ी होती है ये दोनों प्रदूषण से भी जुड़े होते हैं.
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आपको किन सावधानियों को फॉलो करना चाहिए?
- हमारी आंखों को प्रदूषण का खामियाजा न भुगतना पड़े इसके लिए दोपहिया वाहन चलाते समय या फील्ड जॉब में काम करते समय चश्मा पहनें.
- समय-समय पर आंखों को साफ बहते पानी से धोना एक अच्छी प्रैक्टिस है, लेकिन अगर दिन में बहुत बार ऐसा किया जाए तो यह वास्तव में लक्षणों के बिगड़ने का कारण बन सकता है. अपनी आंखों पर कभी भी पानी के छींटे न मारें, बल्कि हमेशा अपनी आंखों को कटोरे या हाथ में पानी डालकर धीरे-धीरे धोएं.
- ज्यादातर हल्के से मध्यम मामलों के लिए लुब्रिकेटिंग आई ड्रॉप्स या एंटी एलर्जिक आईड्रॉप्स का उपयोग एक अच्छा ट्रीटमेंट है. गंभीर मामलों के लिए इलाज में एंटी इंफ्लेमेटरी आईड्रॉप और यहां तक कि स्टेरॉयड के साथ-साथ लुब्रिकेंट और दवा का उपयोग भी शामिल है.
- लंबे समय तक काम करने वाले लोगों को आंखों में ड्राईनेस को कम करने के लिए लुब्रिकेंट आईड्रॉप्स का उपयोग करना चाहिए और स्क्रीन से ब्रेक लेना चाहिए.
- कुछ डायटरी कॉम्पोनेंट्स आंखों और शरीर पर प्रदूषण के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकते हैं. इनमें लिक्विड, विटामिन और एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर फल, जामुन और हरी पत्तेदार सब्जियों के साथ-साथ नट्स और बीज (जैसे अलसी के बीज) का ज्यादा सेवन शामिल है.
- कुछ घरेलू उपचार जैसे कि भाप लेना, गुलाब जल से आंख धोना या एक कप साफ पानी में आंखें डुबोना और आंख झपकाने के व्यायाम भी साइनस और आंखों पर प्रदूषण के प्रभाव को कम कर सकते हैं.
- याद रखें कि आपकी आंखें भी आपके फेफड़ों की तरह ही प्रदूषण के संपर्क में हैं, इसलिए सावधानियों का पालन करें.
(डॉ. दिग्विजय सिंह, निदेशक, नोबल आई केयर, गुरुग्राम)
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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