Parenting Tips: अक्सर देखा जाता है कि अच्छी पढ़ाई और एन्वायरमेंट मिलने के बावजूद भी बच्चे पब्लिक स्पीकिंग करने में घबराते हैं और खुलकर बात नहीं कर पाते हैं. पब्लिक स्पीकिंग यानि कई सारे लोगों के बीच बोलना बड़ों के लिए भी चुनौतीपूर्ण हो सकती है, तो बच्चों के लिए तो ये एक बिल्कुन नया एक्सपीरियंस होता है. लेकिन आज की तेज रफ्तार दुनिया में ये स्किल बच्चों को आना बेहद जरूरी है. ये न सिर्फ उन्हें आने वाले फ्यूचर के लिए तैयार करता है, बल्कि उन्हें अपने मन के विचारों को खुलकर लोगों के सामने लाने में भी मदद करता है. बाद में जब बच्चे बड़े होते हैं और नौकरी या करियर में बड़ी प्रेजेंटेशन देनी होती है तब ये पब्लिक स्पीकिंग उनके बहुत काम आती है. अगर आपका बच्चा भी पब्लिक स्पीकिंग से डरता है, तो आप अभी से इन आसान तरीकों के जरिए उसकी मदद कर सकते हैं.
1. रोज नई बातें करने की आदत डालें—सिर्फ ‘हेलो' तक बात सीमित न रखें
बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका है कि उनसे रोज बातचीत करें. उनसे पूछें कि उनका दिन कैसा था, उन्हें क्या अच्छा लगता है और स्कूल में उन्होंने नया क्या सीखा इस तरह के सवाल आप उनसे पूछ सकते हैं. उनकी बातों को ध्यान से सुनें और उन्हें प्रोत्साहित करें. जब बच्चों को लगता है कि उनकी बातों को ध्यान से सुना जा रहा है तो वो खुलकर बोलने लगते हैं. आप उन्हें कहानी सुनाने या किसी चीज़ को अपने शब्दों में समझाने के लिए भी कह सकते हैं. इससे वो अपनी बातको समझाना और साफ बोलना सीखते हैं. एक ऐसा माहौल बनाएँ जहां बच्चा बिना डर या गलत समझे जाने के डर के बोल सके.
2. छोटे-छोटे कदमों से शुरुआत करें
पब्लिक स्पीकिंग बच्चों के लिए डरावनी हो सकती है, इसलिए शुरुआत छोटे लेवल से करें. पहले उन्हें अपनी फैमिली के सामने बोलने के लिए आगे लाएं और उनको प्रोत्साहित करें. आप “शो एंड टेल” जैसे मजेदार गेम खेल सकते हैं. इसमें बच्चा अपना पसंदीदा खिलौना या किताब देकर उसके बारे में कुछ बोलेगा. धीरे-धीरे आप इस एक्सरसाइज का टाइम और लोगों की संख्या भी बढ़ाएं. बच्चा जो भी काम कर रहा है उसके लिए उसकी तारीफ करें. ऐसा करने से बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ता है और उनका डर कम होता है.
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3. साथ में किताबें पढ़ें
किताबें पढ़ना बच्चों की वोकैबलरी और बोलने की क्षमता दोनों को बेहतर बनाता है. ऐसी कहानियाँ चुनें जो उन्हें दिलचस्प लगें. कहानी पढ़ने के बाद उनसे सवाल करें कि कहानी में क्या हुआ था और उनका फेवरेट कैरेक्टर कौन था?
4. पॉज़िटिव बॉडी लैंग्वेज सिखाएँ
आत्मविश्वास सिर्फ बोलने में नहीं, बल्कि बॉडी लैंग्वेज में भी दिखता है. बच्चे को सिखाएँ कि बोलते समय सीधा खड़ा रहें, आंखों में देखकर ही बात करें और चेहरे पर हमेशा हल्की मुस्कान रखें. ये छोटे-छोटे इशारे उन्हें ज्यादा आत्मविश्वासी दिखाते हैं. उन्हें जोर से और साफ बोलने की प्रैक्टिस कराएं. इसके लिए आप साथ में पढ़कर सुनाना या छोटे-छोटे टंग ट्विस्टर बोलने की प्रैक्टिस कर सकते हैं. अगर बच्चा घबरा जाए, तो उन्हें बताएं कि ठहरना और गहरी सांस लेना बिल्कुल ठीक है. यह चिंता कम करता है और बोलने में मदद करता है.
5. ग्रुप एक्टिविटीज में पार्टिसिपेट कराएं
ड्रामा क्लब, डिबेट टीम, या स्टोरीटेलिंग जैसी गतिविधियाँ बच्चों की पब्लिक स्पीकिंग को काफी सुधारती हैं. यहां उन्हें दूसरों के सामने बोलने का अभ्यास मिलता है और उनका सेल्फ कॉंफिडेंस बढ़ता है. बच्चे को स्कूल के इवेंट्स, प्रेज़ेंटेशंस या कम्युनिटी प्रोग्राम्स में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें. जितना ज्यादा वे बोलने की प्रैक्टिस करेंगे, उतना ही कंफर्टेबल फील करेंगे.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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