Simple and Useful Parenting Tips : बच्चे बहुत शरारती और चंचल होते हैं. जिसके कारण पेरेंट्स के सामने अपने बच्चों को लेकर अनेक चुनौतियां होती हैं. इन चुनौतियों में सबसे बड़ी चुनौती है, बच्चों को अनुशासित बनाने की, अधिकतर माता-पिता के मन में यह सवाल रहता है, कि बच्चों को अनुशासन कैसे सिखाएं? कई बार छोटे बच्चे पब्लिक प्लेस में अनुशासनहीनता कर देते हैं. ऐसे में अभिभावकों की चिंता जायज है. अभिभावकों को चाहिए कि बचपन से ही बच्चों को अनुशासन सिखाएं. तो चलिए जानते है बच्चों को डिसिप्लिन सिखाने के कुछ सरल और मददगार टिप्स.
बच्चों को अनुशासन सिखाने की टिप्स (Tips to Teach Your Kids Discipline)
1. स्वयं रहें अनुशासित
बच्चे अपने से बड़ों को देखकर ही चीजें सीखते हैं. ऐसे में बच्चों को अनुशासित बनाने के लिए आपका अनुशासित होना बेहद जरूरी हो जाता है. बातचीत में अपशब्दों का प्रयोग, दूसरों की बुराई करना. यह सभी काम बच्चों के सामने नहीं करने चाहिए. ऐसा करने से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है. बच्चों को यह बताने से अच्छा है कि उसे इसका उदाहरण देकर समझाएं कि उसे क्या करना चाहिए. आपका व्यवहार उसे ख़ुद आपके जैसा बनने के लिए प्रेरित करता है.
2. तर्क के साथ दें बच्चों के प्रश्नों का जवाब
बच्चों के मन में बहुत सारे प्रश्न होते हैं. ऐसे में यदि आपका बच्चा आप से कोई प्रश्न करता है. तो आपको उसका तार्किक समाधान देना चाहिए. ऐसा करने से बच्चा आपकी कही बात को समझ पाता है. बच्चे को उसके प्रश्नों पर डांटकर चुप कराने से वह आपकी बातों को अपनाने के लिए प्रेरित नहीं होता.
3. प्रशंसा करें
छोटे बच्चों को उनकी गलती और ग़लत आचरण पर रोकना जितना ज़रूरी है. उतना ही ज़रूरी है, उनके सही काम करने पर उनकी प्रशंसा करना. बच्चों को अच्छी आदतों के लिए प्रोत्साहित करना बेहद ज़रूरी है. जब वह कोई अच्छा काम करे तो उसकी प्रशंसा करें. ऐसा करने से बच्चों के अंदर आत्मविश्वास और उत्साह बढ़ता है. उन्हें सही और ग़लत के बीच अंतर समझने में आसानी होती है.
4. पहली गलती पर रोके
बच्चों का व्यवहार कैसा हो, इसमें सबसे बड़ी भूमिका माता-पिता की होती है. छोटे बच्चों की गलती को माता-पिता या परिवार के अन्य लोग हंस कर टाल देते हैं. बच्चों की आवाज में अपशब्द सुनकर भी लोगों को हंसी आ जाती है, लेकिन यह बच्चे की स्वभाव में नकारात्मकता भर सकता है. बड़ों को चाहिए कि बच्चों की किसी गलत बात का समर्थन न करें. ऐसे में बच्चे की पहली गलती पर ही उसे रोक देना चाहिए. ऐसा करने के लिए आपको ग़ुस्सा करने की या उसे डांटने की ज़रूरत नहीं है. आप धीमी आवाज़ में ही उसे ये बता सकते हैं, कि जो वह कर रहा है वह सही नहीं है. ऐसे में बच्चा अपनी गलती समझता है और उसे दोहराने से बचता है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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