
टाइप 1 डायबिटीज में आपका अग्न्याशय यानी पैंक्रियास (Pancreas) पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाती. इंसुलिन की कमी से शरीर में शुगर का स्तर असंतुलित हो जाता है, जो समय के साथ कई अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है. पैंक्रियास ट्रांसप्लांट एक ऐसा ऑपरेशन है जिसमें बीमार पैंक्रियास को मृत डोनर के हेल्दी पैंक्रियास से बदल दिया जाता है. जिसके बाद कई मरीजों को इंसुलिन पर निर्भरता से पूरी तरह निजात मिल सकती है.
पैंक्रियास ट्रांसप्लांट किसके लिए जरूरी? (Who Needs a Pancreas Transplant?)
पैंक्रियास ट्रांसप्लांट उन लोगों के लिए जरूरी है जिनकी टाइप 1 डायबिटीज लंबे समय से कंट्रोल नहीं हो पा रही है. अक्सर इन मरीजों को किडनी की भी समस्या होती है. इसलिए कभी-कभी पैंक्रियास और किडनी दोनों का ट्रांसप्लांट एक साथ किया जाता है. हेल्दी पैंक्रियास मिलने के बाद मरीज का शरीर खुद इंसुलिन बनाने लगता है और ब्लड शुगर कंट्रोल रहता है.
ट्रांसप्लांट से पहले क्या तैयारी करनी होती है?
ट्रांसप्लांट से पहले कई तरह की जांच की जाती हैं :
- ब्लड और यूरिन की जांच
- मेडिकल हिस्ट्री और फिजिकल एग्जाम
- इम्यूनोलॉजिकल टेस्ट ताकि सही डोनर मिल सके
- अल्ट्रासाउंड या MRI जैसे इमेजिंग टेस्ट
- मानसिक मूल्यांकन
अगर आपका ट्रांसप्लांट किया जा सकता है, तो आपका नाम नेशनल वेटिंग लिस्ट में डाल दिया जाता है. क्योंकि कभी-कभी सही डोनर मिलने में महीनों या साल भी लग सकते हैं. ट्रांसप्लांट का इंतजार करते समय आपको स्वस्थ रहने के लिए डॉक्टर की सलाह माननी चाहिए, जैसे रेगुलर चेकअप, धूम्रपान से परहेज, हल्की एक्सरसाइज और सही समय पर दवाइयां लेना.
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ऑपरेशन के बाद देखभाल
सफल ट्रांसप्लांट के बाद नया पैंक्रियास तुरंत इंसुलिन बनाना शुरू कर देता है. अस्पताल में मरीज को मॉनिटर किया जाता है, जिसके लिए आमतौर पर 2-3 हफ्ते अस्पताल में रहना पड़ता है. शुरुआती समय में शरीर में फ्लूइड, न्यूट्रिएंट और पेन किलर दिए जाते हैं.
रिस्क और बेनिफिट (Risks and Benefits) :
ट्रांसप्लांट में खून का थक्का (Blood Clot), संक्रमण (Infection), पैंक्रियास की सूजन या ऑर्गन रिजेक्शन जैसी समस्याएं हो सकती हैं. लेकिन सफल ट्रांसप्लांट से इंसुलिन की जरूरत कम या खत्म हो जाती है और डायबिटीज के कॉम्प्लिकेशन भी कम हो जाते हैं.
रिकवरी और लाइफस्टाइल :
ट्रांसप्लांट के बाद पूरी तरह रिकवरी में लगभग छह महीने लगते हैं. शुरुआती तीन हफ्ते में टांके हटाए जाते हैं और हल्की एक्सरसाइज छह हफ्ते बाद शुरू की जा सकती है. इसके बाद जीवन भर इम्यूनोसप्रेसेंट (Immunosuppressants) दवाइयां लेनी पड़ती हैं.
नोट :
पैंक्रियास ट्रांसप्लांट उन टाइप 1 डायबिटीज के मरीजों के लिए जरूरी है जिनकी ब्लड शुगर को इंसुलिन और दूसरे ट्रीटमेंट से लंबे समय से कंट्रोल करना बहुत मुश्किल हो रहा है और उन्हें गंभीर कॉम्प्लिकेशन का सामना करना पड़ रहा है. इस ट्रांसप्लांट के बाद सही देखभाल और डॉक्टर की सलाह के साथ, मरीज लंबी और हेल्दी लाइफ जी सकते हैं.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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