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बीएमआई ही नहीं है मोटापे का कारण, जानिए किसी को कब माना जाता है मोटा, डाइट और एक्सरसाइज के बाद क्या है वेट लॉस का तरीका

देश में मोटापे की व्यापकता 40.3 प्रतिशत है यह अनुमान लगाया गया है कि 20 से 69 साल की आयु के भारतीय वयस्कों में मोटापे की व्यापकता 2040 तक तीन गुना बढ़ जाएगी.

बीएमआई ही नहीं है मोटापे का कारण, जानिए किसी को कब माना जाता है मोटा, डाइट और एक्सरसाइज के बाद क्या है वेट लॉस का तरीका
मोटापे की बढ़ती दरों के समानांतर, डायबिटीज का बोझ भी दुनिया भर में बहुत ज़्यादा है.

हाल ही में जर्नल ऑफ द एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडिया (जेएपीआई) में एंडोक्रिनोलॉजिस्ट, डायबेटोलॉजिस्ट, कार्डियोलॉजिस्ट, गायनोकोलॉजिस्ट और बैरिएट्रिक सर्जन के एक समूह द्वारा प्रकाशित एक पेपर में बीएमआई पर आधारित नए मोटापे की गाइडलाइन्स को रिकंमेंड किया गया. मोटापा शरीर में एक्स्ट्रा चर्बी का इस हद तक जमा होना है कि यह स्वास्थ्य के लिए जोखिम पैदा करता है. हाल ही में भारत भर में एक क्लस्टर सैम्पल में 100,531 वयस्कों के डेटा का मूल्यांकन करने वाले एक राष्ट्रव्यापी क्रॉस-सेक्शनल अध्ययन के अनुसार, देश में मोटापे की व्यापकता 40.3 प्रतिशत है यह अनुमान लगाया गया है कि 20 से 69 साल की आयु के भारतीय वयस्कों में मोटापे की व्यापकता 2040 तक तीन गुना बढ़ जाएगी.

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मोटापे की बढ़ती दरों के समानांतर, डायबिटीज का बोझ भी दुनिया भर में बहुत ज़्यादा है और बढ़ रहा है, जिसका मुख्य कारण अनहेल्दी लाइफस्टाइल है. 2019 के अनुमानों से पता चला है कि भारत में 77 मिलियन लोगों को डायबिटीज है और 2045 तक यह संख्या बढ़कर 134 मिलियन से ज़्यादा हो जाने की उम्मीद है, जिनमें से लगभग 57 प्रतिशत लोगों का डायग्नोस नहीं हो पाया है. अंतरराष्ट्रीय लेवल पर प्रशंसित बैरिएट्रिक सर्जन और ओबेसिटी एंड मेटाबोलिक सर्जरी सोसाइटी ऑफ इंडिया (OSSI), इंटरनेशनल एक्सीलेंस फेडरेशन (IEF) और ऑल इंडिया एसोसिएशन फॉर एडवांसिंग रिसर्च इन ओबेसिटी (AIAARO) के पूर्व अध्यक्ष डॉ. शशांक शाह ने कहा, "इंटरनेशनल लेवल पर इन नए दिशा-निर्देशों को पहले ही लागू किया जा चुका है और संबंधित समस्याओं के आधार पर मोटापे का इलाज शुरू कर दिया गया है.

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25 किलोग्राम/मी2 से ज्यादा बीएमआई वाले व्यक्ति को मोटा माना जाता है: डॉ. शशांक शाह.

भारत को डायबिटीज की राजधानी के रूप में जाना जाता है और यह दुनिया के सबसे युवा देशों में से एक है. मोटापा और ज्यादा वजन आज दुनिया भर में महामारी के अनुपात में पहुंच गया है और भारत इसका अपवाद नहीं है. यह स्थिति कैंसर, टाइप 2 डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर आदि सहित सभी मेटाबॉलिक रोगों की जननी है और घुटनों के गठिया जैसे यांत्रिक विकार, चिंता और अवसाद जैसे मानसिक विकारों का तो जिक्र ही नहीं. व्यक्ति, समुदाय और देश पर आर्थिक बोझ बहुत बड़ा हो सकता है."

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किसी को कब मोटा माना जा सकता है?

बॉडी मास इंडेक्स (BMI) मोटापे को परिभाषित करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला सामान्य उपाय है. दिशा-निर्देशों के अनुसार, भारत में, किसी व्यक्ति को तब ज्यादा वजन वाला माना जाता है जब उसका बीएमआई 23-25 ​​किलोग्राम/मी2 के बीच होता है, जबकि 25 किलोग्राम/मी2 से ज्यादा बीएमआई वाले व्यक्ति को मोटा माना जाता है. हालांकि, भारतीय आबादी कमर के आसपास, खासकर आंतरिक अंगों के आसपास अतिरिक्त चर्बी जमा होने की संभावना रखती है.

यह डायबिटीज जैसे मेटाबॉलिक रोगों के लिए शुरुआती बिंदु हो सकता है, जिसे आंत का मोटापा या पेट का मोटापा भी कहा जाता है.

शारीरिक निष्क्रियता और उम्र बढ़ने का भारत में मोटापे से जरूरी संबंध है. महिलाओं में पेट का मोटापा आमतौर पर जीवन के तीसरे और चौथे दशक के दौरान विकसित होता है. दुर्भाग्य से, भारतीय आबादी जो पेट के मोटापे और चयापचय सिंड्रोम से पीड़ित है, उनके बॉडी मास इंडेक्स के बावजूद हृदय रोग के लिए हाई जोखिम में है, डॉ शशांक ने कहा.

मोटापे की इस तरह की ग्रेडिंग क्यों जरूरी है?

इसका एक बेहतरीन उदाहरण यह है कि हम डायबिटीज के कई रोगियों को कम वजन के साथ देखते हैं. आइए एक 45 वर्षीय महिला को लें, जिसका वजन केवल 67 किलोग्राम और ऊंचाई 152 सेमी (5 फीट) है, बीएमआई 30 किलोग्राम / एम 2 है. उसे गंभीर डायबिटीज, न्यूरोपैथी, स्लीप एपनिया, गंभीर जोड़ों का दर्द, दोनों घुटनों के जोड़ों का ऑस्टियोआर्थराइटिस था, जिससे दर्द के कारण उसकी डेली एक्टिविटीज सीमित हो जाती थीं. उसे सांस लेने में तकलीफ थी, वह इंसुलिन ले रही थी और उसके पति के साथ उसके निजी संबंध भी बिगड़ गए थे और वह भावनात्मक रूप से बेहद उदास थी. अगर आप उसे 67 किलोग्राम वजन और 30 किलोग्राम/एम2 के बीएमआई के साथ देखते हैं, तो वर्तमान वर्गीकरण के साथ वह गंभीर मोटापे की श्रेणी में नहीं आती है, लेकिन अगर आप हमारी वर्तमान ग्रेडिंग सिस्टम को देखें, तो उसकी मेटाबॉलिक, कार्यात्मक और मनोवैज्ञानिक अक्षमताएं ज्यादा गंभीर हैं, इसलिए उसे ग्रेड 3 या गंभीर मोटापे की रोगी कहा जाएगा और उसे आक्रामक उपचार की जरूरत होगी, शायद मेटाबॉलिक और बेरियाट्रिक सर्जरी के रूप में. इस महिला ने सर्जरी की डायबिटीज ठीक हो गया, दर्द ठीक हो गया, सांस लेने में तकलीफ ठीक हो गई. वह सामान्य जीवन जीने लगी, उसकी कार्यात्मक क्षमता बढ़ गई, मनोवैज्ञानिक आत्मविश्वास में सुधार हुआ, चयापचय संबंधी विकारों में भी सुधार हुआ.

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मोटापे से जूझ रहे लोगों के लिए डाइट और व्यायाम विफल होने पर बैरिएट्रिक सर्जरी अंतिम उपाय है. कौन लोग करा सकते हैं ये सर्जरी? जानिए...

- मोटापे से संबंधित किसी भी को-मॉर्बिडिटी के साथ या उसके बिना 35 किग्रा/एम2 से ज्यादा का बीएमआई.
- मोटापे से संबंधित एक से ज्यादा को-मॉर्बिडिटी के साथ 32.5 किग्रा/एम2 से ज्यादा का बीएमआई
- मोटापे से संबंधित दो से ज्यादा को-मॉर्बिडिटी के साथ 30 किग्रा/एम2 से ज्यादा का बीएमआई.
- इलाज के बावजूद अनियंत्रित टाइप 2 डायबिटीज के साथ 27.5 किग्रा/एम2 से ज्यादा का बीएमआई.
- 80 सेमी से ज्यादा कमर की परिधि (डब्ल्यूसी) वाली महिलाएं और 90 सेमी से ज्यादा डब्ल्यूसी वाले पुरुष, जिन्हें मोटापे से संबंधित को-मॉर्बिडिटी हैं.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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