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बर्नआउट को डिप्रेशन समझने की भूल न करें, दोनों में है बहुत अंतर, जानें दोनों के कारण लक्षण और ट्रीटमेंट

Difference Between Burnout And Depression : बर्नआउट को डिप्रेशन यह दोनों कंडीशन सीरियस मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम हैं, जिनमें से दोनों का इलाज और मैनेजमेंट अलग तरीके से किया जाता है. बर्नआउट और डिप्रेशन के बीच अंतर को पहचानना बहुत जरूरी है. ताकि व्यक्ति को सही इलाज मिल सके.

बर्नआउट को डिप्रेशन समझने की भूल न करें, दोनों में है बहुत अंतर, जानें दोनों के कारण लक्षण और ट्रीटमेंट

Difference Between Burnout And Depression : आजकल की तेज़-तर्रार लाइफ स्टाइल और लगातार बदलते वर्कप्लेस के वातावरण में, बर्नआउट और डिप्रेशन जैसी मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम आम होती जा रही हैं. यह दोनों मेंटल कंडीशन अक्सर एक-दूसरे के समान दिखाई देती हैं, लेकिन इनके बीच स्पष्ट अंतर है. ये दोनों ही कंडीशन व्यक्ति के मेंटल, फिजिकल और इमोशनल कंडीशन पर गहरा असर डाल सकती हैं. इस आर्टिकल में, हम बर्नआउट और डिप्रेशन के बीच के फर्क को समझने की कोशिश करेंगे, ताकि हम इन्हें पहचानने और सही इलाज के लिए सही कदम उठा सकें.

बर्नआउट क्या है? (What is Burnout?)

बर्नआउट, जिसे सामान्य भाषा में 'काम से थकावट' के रूप में जाना जाता है, एक कंडीशन है जो लगातार काम के प्रेशर, रिस्पॉन्सबिलिटी और हाई एक्सपेक्टेशन के कारण पैदा होती है. यह एक मेंटल, फिजिकल और इमोशनल थकावट की कंडीशन है, जो अक्सर वर्कप्लेस पर बहुत ज्यादा स्ट्रेस के कारण होती है. यह कंडीशन लंबे समय तक काम करने, नींद और आराम की कमी होने पर उत्पन्न होती है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे एक "बिजनेस इवेंट" के रूप में परिभाषित किया है, जो किसी के वर्कप्लेस पर बहुत ज्यादा प्रेशर और मेंटल एग्जॉशन के कारण उत्पन्न होती है. बर्नआउट के लक्षणों में थकावट, मेंटल भ्रम, काम में रुचि की कमी और इमोशनली थक जाना शामिल हैं. इस कंडीशन में व्यक्ति का परफॉर्मेशन भी इफेक्ट हो सकता है, जिससे काम में कमी और डिस्सेटिस्फाई फील होता है.

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डिप्रेशन क्या है?

वहीं, डिप्रेशन (डिप्रेशन) एक मेंटल हेल्थ डिस्ऑर्डर है, जो व्यक्ति के मूड, फीलिंग्स और मेंटल स्टेट को प्रभावित करता है. यह एक पर्मानेंट कंडीशन हो सकती है, जिसमें व्यक्ति खुद को डिप्रेस्ड फील करता है, सेल्फ रिस्पेक्ट में कमी आती है और उसे खुद और अपनी जिंदगी से निराशा का सामना करना पड़ता है. डिप्रेशन के लक्षणों में उदासी, फ्रस्टेशन, डिसकैरेजमेंट, सोने में परेशानी और आत्महत्या के विचार भी हो सकते हैं.

डिप्रेशन एक सीरियस मेंटल कंडीशन होती है, जिसका इलाज समय पर किया जाना जरूरी होता है, क्योंकि यह व्यक्ति के मेंटल और फिजिकल हेल्थ पर गंभीर असर डाल सकता है. डिप्रेशन कई बार जेनेटिक कारणों, जीवन में किसी बड़े नुकसान या इंसीडेंट से उत्पन्न हो सकता है और यह व्यक्ति के आत्म-सम्मान में बहुत कमी ला सकता है.

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बर्नआउट और डिप्रेशन में अंतर ( Difference Between Burnout And Depression)

यह तो साफ है कि बर्नआउट और डिप्रेशन दोनों मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम हैं, लेकिन इनके कारण, लक्षण, और प्रभाव में अंतर होता है. बर्नआउट आमतौर पर किसी काम या जिम्मेदारी के बहुत ज्यादा प्रेशर से उत्पन्न होता है, जबकि डिप्रेशन का कारण मेंटल या इमोशनल इम्बैलेंस हो सकता है, जो जीवन के अलग-अलग पहलुओं से जुड़ा होता है. बर्नआउट में व्यक्ति अक्सर खुद को थका हुआ, असहाय और ज्यादा काम से दबा हुआ महसूस करता है, जबकि डिप्रेशन में व्यक्ति को अपने जीवन में कोई ऑब्जेक्टिव नहीं दिखता और उसे आत्म-सम्मान की कमी महसूस होती है. 

बर्नआउट के कारण

बर्नआउट के मुख्य कारणों में बहुत ज्यादा काम का बोझ, लगातार काम करना, समय की कमी, और वर्कप्लेस की स्ट्रेसफुल कंडीशन शामिल हैं. जब किसी व्यक्ति को लगातार हाई एक्सपेक्टेशन का सामना करना पड़ता है और वह काम में बैलेंस बनाए रखने में असमर्थ महसूस करता है, तो उसकी मेंटल और फिजिकल कंडीशन बिगड़ने लगती है. इसके अलावा, बहुत ज्यादा स्ट्रेस, काम के प्रेशर और पर्सनल लाइफ में बैलेंस की कमी भी बर्नआउट का कारण बन सकती है.

डिप्रेशन के कारण

वहीं, डिप्रेशन के कई कारण हो सकते हैं. यह जिनेटिक, बायलॉजिकल और एन्वॉर्मेंटल रीजन से उत्पन्न हो सकता है. इसके कारण जीवन में किसी बड़े नुकसान का सामना करना, रिश्तों में परेशानी, फाइनेंशियल स्ट्रेस या किसी दूसरी सीरियस मेंटल और इमोशनल कॉन्फ्लिक्ट हो सकते हैं. डिप्रेशन को पहचानने के लिए यह जरूरी है कि व्यक्ति के मूड और फीलिंग्स में लगातार बदलाव आए और उसकी मेंटल स्टेट को लेकर सीरियस टेंशन हो.

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बर्नआउट और डिप्रेशन के लक्षण

बर्नआउट और डिप्रेशन के लक्षणों में कुछ समानताएं होती हैं, जैसे मेंटल एग्जॉशन, उत्साह की कमी, और सामाजिक अलगाव. लेकिन बर्नआउट में आमतौर पर व्यक्ति को अपने काम करने की क्षमता में कमी महसूस होती है, जबकि डिप्रेशन में व्यक्ति को अपनी लाइफ के ऑब्जेक्टिव में कमी महसूस होती है. बर्नआउट में कोई व्यक्ति खुद को इमोशनली थका हुआ महसूस करता है, जबकि डिप्रेशन में व्यक्ति को अपने आत्म-सम्मान में कमी और निराशा का सामना करना पड़ता है.

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बर्नआउट और डिप्रेशन का इलाज

बर्नआउट का इलाज स्ट्रेस को पहचानने और उसे कंट्रोल करने से शुरू होता है. वर्कप्लेस पर समय सीमा तय करना, ब्रेक लेना और अपने काम करने की क्षमता को बढ़ाने के लिए सही तरीके अपनाना जरूरी है. इसके अलावा, जीवन में आराम और फिर से एनर्जी प्राप्त करने के लिए समय-समय पर छुट्टियां लेना भी मददगार हो सकता है. 

वहीं, डिप्रेशन का उपचार ज्यादा इंटेंस हो सकता है. इसे मेंटल हेल्थ स्पेशलिस्ट के जरिए दूर करना और इलाज की जरूरत होती है. डिप्रेशन के लिए डॉक्टर अक्सर दवाओं, मेंटल थैरेपी और लाइफ स्टाइल में सुधार की रिकमंडेशन करते हैं.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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