Liver Cancer: लिवर कैंसर एक खतरनाक बीमारी है. इसे Hepatocellular Cancer (HCC) भी कहा जाता है. GLOBOCAN 2022 के डेटा के मुताबिक इस बीमारी से होने वाली मौतों की बात करें तो ये तीसरे स्थान पर है. भारत में इस बीमारी के हर साल 38,000 से ज्यादा नए मामले सामने आते हैं. Indian Council of Medical Research (ICMR) के अनुसार इस बीमारी का पता काफी एडवांस स्टेज में ही लग पाता है, इससे मौत का खतरा बढ़ जाता है.
लीवर कैंसर के कारण (Causes of liver cancer)
इस बीमारी के पीछे कई कारण हो सकते हैं. Hepatitis B और Hepatitis C वायरस का लंबे समय तक संक्रमण इसका सबसे बड़ा कारण है. इसके अलावा, ज्यादा शराब पीना, मोटापा, टाइप 2 डायबिटीज और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी स्थितियां भी लीवर कैंसर के जोखिम को बढ़ाती हैं.
Hepatitis B से बचाव के लिए वैक्सीन बहुत कारगर है. इसके अलावा, अब Non-Alcoholic Fatty Liver Disease (NAFLD) के कारण भी लीवर कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं. यह समस्या तब होती है जब लीवर में फैट जमा हो जाता है और अगर इसे समय पर रोका न जाए, तो यह सिरोसिस और कैंसर में बदल सकता है.
लीवर कैंसर से बचाव के उपाय और डाइट का महत्व (Liver cancer prevention measures and importance of diet)
लाइफस्टाइल में बदलाव लीवर कैंसर से बचाव में अहम भूमिका निभा सकते हैं. सही डाइट और वजन को नियंत्रित रखना बेहद जरूरी है.
• क्या खाएं: फल, सब्जियां और साबुत अनाज जैसे ब्राउन राइस और ओट्स लीवर की सेहत के लिए फायदेमंद हैं. ये डिटॉक्सिफिकेशन में मदद करते हैं और एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर होते हैं.
• क्या न खाएं: ज्यादा फैट, शुगर और प्रोसेस्ड मीट से दूर रहें क्योंकि ये मोटापा और लीवर से जुड़ी बीमारियों का कारण बन सकते हैं.
• हेल्दी फैट्स जैसे नट्स, बीज, एवोकाडो और ऑलिव ऑयल लीवर की सूजन को कम करने में मदद करते हैं.
लीवर कैंसर का इलाज
HCC का इलाज बीमारी की स्टेज और मरीज की हालत के आधार पर किया जाता है. इसका सही इलाज एक Multi-Disciplinary Team (MDT) की देखरेख में ही संभव है, जिसमें सर्जन, मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट और पेलिएटिव केयर विशेषज्ञ शामिल होते हैं.
BCLC स्टेजिंग सिस्टम का उपयोग करके HCC को अलग-अलग स्टेज में बांटा जाता है:
BCLC A: जब ट्यूमर छोटा हो (3 सेमी से कम) और लीवर सही से काम कर रहा हो. ऐसे मामलों में ट्यूमर को सर्जरी, रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन या एथेनॉल इंजेक्शन से हटाया जाता है. जरूरत पड़ने पर लीवर ट्रांसप्लांट भी किया जा सकता है.
BCLC B: जब ट्यूमर बड़ा हो लेकिन लीवर तक ही सीमित हो. इस स्टेज में Transarterial Chemoembolization (TACE) का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें कीमोथेरेपी को सीधे ट्यूमर तक पहुंचाया जाता है और खून की सप्लाई रोक दी जाती है. इसके साथ Immunotherapy और Targeted Therapy से बेहतर रिजल्ट मिलते हैं.
BCLC C: जब ट्यूमर खून की नसों या अन्य अंगों तक फैल चुका हो, लेकिन लीवर काम कर रहा हो. इसका इलाज Targeted Tablets (जैसे Sorafenib, Lenvatinib) या Immunotherapy से किया जाता है.
BCLC D: जब बीमारी एडवांस स्टेज में हो और लीवर सही से काम न कर रहा हो. ऐसे मामलों में Systemic Therapy के साइड इफेक्ट्स ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते हैं. पैलिएटिव केयर से मरीज को दर्द और तकलीफ से राहत दी जाती है.
सावधानी है सबसे बड़ा बचाव
लीवर कैंसर के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए सही खानपान और लाइफस्टाइल में सुधार करना जरूरी है. नियमित व्यायाम, वजन नियंत्रित रखना और हेल्दी डाइट अपनाकर NAFLD और लीवर कैंसर के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है. लीवर कैंसर का सही और समय पर इलाज तभी संभव है जब इसे शुरुआती स्टेज में पकड़ लिया जाए. ऐसे में आधुनिक इलाज के जरिए मरीजों की जिंदगी को बेहतर बनाया जा सकता है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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