Health Tips: दिल का मतलब सिर्फ एक ऐसा अंग नहीं है जो जज्बातों को समझता है. दिल का मतलब है एक ऐसा पंप जो पूरे शरीर को नई जान से भर देता है. दिल यानी कि हार्ट ही वो ऑर्गन है जो ब्लड को पंप कर लंग्स तक भेजता है. ये ब्लड लंग्स से ऑक्सीजन लेकर आता है और फिर दिल ही इसे पंप कर शरीर के अंगों में भेजता है. इसलिए बहुत जरूरी है कि दिल की सेहत बरकरार रहे. लेकिन इन दिनों ऐसे केस देखने को मिल रहे हैं कि कम उम्र के बच्चे भी दिल की बीमारियां और हार्ट अटैक का शिकार हो रहे हैं. एनडीटीवी ने इस संबंध में दिल के मर्ज से जुड़े सीनियर डॉक्टर पद्म भूषण से सम्मानित कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. टीएस क्लेर से चर्चा की और जाना कि क्यों कम उम्र के लोगों के दिल पर भी अटैक का खतरा मंडराने लगा है.
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अनहेल्दी लाइफ और स्मोकिंग | Unhealthy Life And Smocking
डॉ. टीएस क्लेर के मुताबिक हार्ट हेल्थ के लिए सबसे खतरनाक है अनहेल्दी लाइफस्टाइल और स्मोकिंग की आदत. डॉ. क्लेर ने कहा कि कुछ साल पहले तक ऐसा था कि 50 से 55 साल के बाद ही हार्ट अटैक का खतरा बढ़ता था. लेकिन पिछले पंद्रह साल में काफी बदलाव आ चुका है. अब कम उम्र के लोग भी हार्ट अटैक का शिकार हो रहे हैं. डॉ क्लेर ने इस की वजह बताई लोगों के खान पान में अंतर और स्मोकिंग की आदत. खान पान से भी ज्यादा स्मोकिंग की आदत कम उम्र में हार्ट अटैक की वजह बन रही है. डॉ. क्लेर ने कहा कि अब युवतियां और महिलाएं भी स्मोकिंग करने लगी हैं. जिसकी वजह से महिलाओं में भी हार्ट अटैक के केस ज्यादा तेजी से बढ़ रहे हैं.
ये फूड्स हैं खतरनाक
डॉ. क्लेर के मुताबिक अनहेल्दी लाइफस्टाइल इसकी एक बड़ी वजह है. उन का कहना है कि आर्टिफिशियल फूड हार्ट अटैक का तेजी से कारण बन रहे हैं. जैसे पिज्जा, फ्राइड चिकन जैसे खाने. ये खाने कैलोरी, फैट्स, कार्ब्स में बहुत ज्यादा रिच होते हैं और बैड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाते हैं. इसलिए इनसे दिल की सेहत को खतरा होता है.
स्मोकिंग करने से नुकसान
डॉ. क्लेर का कहना है कि अब कम उम्र में ही स्मोकिंग करने की लत बढ़ गई है. कई युवा इसे कूल समझ कर या स्टाइल समझ कर कम उम्र से ही सिगरेट पीने लगते हैं. कॉलेज गोइंग गर्ल्स भी इस मामले में पीछे नहीं हैं. ये उनके लिए मैटर ऑफ प्राइड बन गया है. इस उम्र के युवा ये नहीं समझते कि स्मोकिंग सबसे ज्यादा कैंसर, ओरल कैंसर का कारण बनती है. और दिल के साथ साथ पूरे शरीर को नुकसान पहुंचाती हैं.
डॉ. क्लेर ने कहा कि सिगरेट का मूल कंपोनेंट होता है निकोटिन. इसके अलावा भी कुछ केमिकल्स होते हैं जो शरीर के लिए नुकसानदायक होते हैं. उन्होंने कहा कि स्मोकिंग का धुआं सबसे पहले फेफड़ों तक ही जाता है. फेफड़े इस धुएं के रसायन को एब्जॉर्ब कर लेते हैं. इसके बाद जो खून फेफड़ों में आता है वो सिगरेट के केमिकल्स को अपने साथ लेकर जाता है. इस तरह से उस खून के माध्यम से वो केमिकल शरीर के हर सेल, हर टिशू और हर अंग तक पहुंचता है. इसका सबसे बुरा असर हार्ट हेल्थ पर ही पड़ता है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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