Work pressure: अर्न्स्ट एंड यंग नाम की कंपनी में काम करने वाली 26 साल की चार्टर्ड अकाउंटेंट की मौत के बाद से देशभर में वर्कप्लेस स्ट्रेस और वर्क प्रेशर के जानलेवा असर पर बहस छिड़ गई है. सोशल मीडिया पर लोगों की सेहत पर टॉक्सिक वर्क कल्चर को लेकर गंभीर चर्चा हो रही है. इन सबके बीच बड़ा सवाल यह है कि क्या काम के दबाव से कर्मचारी की मौत संभव है? वर्क प्रेशर या उससे होने वाले स्ट्रेस को हम कैसे माप सकते हैं? कब हमें इसके बारे में सतर्क और सावधान होने की जरूरत है और सबसे अहम कि हम इन हालातों से कैसे निपट सकते हैं?
क्या काम के दबाव से कर्मचारी की मौत संभव है? (Is it possible for an employee to die due to work pressure?)
दरअसल, वर्क लोड, वर्क प्लेस का टॉक्सिक वातावरण और काम के लंबे घंटे यानी वर्क प्रेशर किसी भी इंसान के लिए जानलेवा कारण हो सकते हैं. हालांकि, यह फौरन जान नहीं लेता. ज्यादातर बार इसका बुरा असर धीरे-धीरे सामने आता है. लंबे समय तक तनाव के कारण हृदय रोग, टाइप 2 डायबिटीज, हाइपरटेशन और हाई लिपिड लेवल की शुरुआत हो सकती है. इससे बालों के झड़ने, मुंहासे, एलर्जी, अस्थमा, थायरॉयड विकार, महिलाओं में मासिक धर्म से जुड़ी समस्याएं, ऑटो-इम्यून डिजीज और कमजोर इम्यूनिटी की दिक्कत बढ़ जाती है. वहीं, अवसाद आपके खराब पाचन तंत्र और यौन रोग को भी बढ़ावा दे सकता है. अगर समय रहते इलाज नहीं हुआ तो इनमें से कई दिक्कतें अलग-अलग या एक साथ भी जान लेने के लिए काफी है.
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वर्क प्रेशर से होने वाले स्ट्रेस को मापने के मेडिकल तरीके क्या हैं? (What are the medical ways to measure stress caused by work pressure?)
मेडिकल साइंस के मुताबिक, चिंता या तनाव एक अमूर्त चीज है और हर इंसान में इसका पैमाना अलग-अलग होता है. इसे मापने का एकमात्र तरीका यह स्टडी करना है कि शरीर इस पर कैसे रिएक्ट करता है. इसीलिए कोई भी परीक्षण वर्क प्रेशर से होने वाले स्ट्रेस को सीधे नहीं माप सकता है. हालांकि, इसके लिए हार्ट रेट और रिदम में बदलाव (यानी दिल की धड़कनों के बीच समय में अंतर), EEG (इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राफी) के माध्यम से मस्तिष्क तरंगों और अनियमित पैटर्न का अध्ययन और ब्लड टेस्ट के जरिए हाई कोर्टिसोल लेवल टेस्ट करने जैसे मेडिकल तरीके सुझाए जाते हैं.
कैसे जानें कि वर्क लोड या प्रेशर बढ़ने पर हो रहा जानलेवा स्ट्रेस? (How to know that increasing work load or pressure is causing life-threatening stress?)
एक्सपर्ट मेडिकल प्रोफेशनल्स के मुताबिक, काम के दौरान बार-बार सिरदर्द, हाइपर एसिडिटी, गैस्ट्रिक गड़बड़ी, कब्ज या दस्त, मांसपेशियों में तनाव, माइग्रेन, तनाव, जोड़ों में दर्द और पैनिक अटैक्स हो रहे हों तो फौरन सावधान हो जाना चाहिए. इसके अलावा अपनी नींद के पैटर्न में बदलाव पर ध्यान दें. सोने में कठिनाई, रात में बार-बार जागना, सुबह जल्दी जागना या काफी ज्यादा सोना वगैरह भी अलार्मिंग सिचुएशनंस हैं. इसके साथ ही लगातार थकान, ऊर्जा का कम स्तर और अचानक कम या ज्यादा भूख लगने और वजन में बड़ा बदलाव भी बढ़ते वर्क लोड या प्रेशर के खतरनाक इशारे हैं.
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इमोशन ट्रैकर्स से कैसे जानें कि बदतर हो रहे हैं हालात? (How can we know that the situation is getting worse?)
आमतौर पर वर्कलोड या प्रेशर के शिकार कर्मचारियों में मूड स्विंग या बार-बार चिड़चिड़ापन दिखता है. कुछ लोग थोड़े से दबाव में भी असहज हो जाते हैं. उनको काम पर ध्यान केंद्रित करने या कोई भी फैसला लेने में कठिनाई होती है. बेवजह चिंता या घबराहट और विनाश की आशंका या डर की भावना घेर लेती है. काम में दिलचस्पी और मोटिवेशन की कमी के अलावा उनके दैनिक गतिविधियों में भी आलस और लापरवाही दिखने लगती है.
शराब, स्मोकिंग, ड्रग्स की जानलेवा लत के शिकार
इसके अलावा उनमें कुछ और व्यवहारिक दिक्कतें भी दिखती हैं. जिनमें अकेले और अलग रहने, शराब, स्मोकिंग, ड्रग्स की लत, काम के तनाव को घर पर लाने, छुट्टी में परिवार या शौक को वक्त नहीं देने और आखिरकार नौकरी को छोड़ देने को अकेला उपाय मानने जैसी बातें शामिल हैं. इसलिए, इमोशन ट्रैकर्स से बदतर हो रहे हैं हालात के बारे में जानकर उसको हैंडल करना बेहद जरूरी है.
वर्क लोड को हैंडल करने के तरीके क्या हैं? (What are the ways to handle the workload?)
एक्सपर्ट साइकियाट्रिस्ट कहते हैं, " वर्क लोड को हैंडल करने के लिए फिजिकल रिस्पॉन्स या तनाव को लेकर अपने रिएक्शंस पर ध्यान देना बेहतर तरीका है." हालांकि, यह कहना आसान है, लेकिन करना मुश्किल है क्योंकि यह खुद की देखभाल का इकलौता तरीका है. वर्क प्रेशर को मैनेज करने के लिए कार्यों को टाइम स्लॉट में विभाजित करने, टू-डू लिस्ट या मोबाइल ऐप जैसे टूल का इस्तेमाल करने, प्रोफेशनल काम और पर्सनल टाइम के बीच स्पष्ट सीमाएं तय करने जैसे कई उपाय बेवजह के स्ट्रेस से बचा सकते हैं.
एक्सट्रा वर्क के लिए विनम्रता से 'नहीं' कहना सीखें
खुद की बेहतर देखभाल करने के तरीके के तौर पर काम को घर ले जाने या काम के घंटों के बाद ऑफिशियल ईमेल का जवाब देने से बचें. बर्नआउट को रोकने के लिए अगर आप पहले से ही अपनी पूरी क्षमता तक काम कर चुके हैं तो एक्सट्रा वर्क के लिए विनम्रता से 'नहीं' कहना सीखें. मॉर्निंग या पोस्ट डिनर वॉक या किसी तरह की शारीरिक व्यायाम करके एंडोर्फिन रिलीज करें. साफ-सुथरा खाना खाएं, समय से सोएं और गहरी सांस लेने की एक्सरसाइज करें और आखिर में, उस पर ध्यान केंद्रित करें जिसे आप नियंत्रित कर सकते हैं. जो आप नहीं कर सकते उसे भूल जाएं.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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