विशेषज्ञों ने कहा है कि डायबिटीज से पीड़ित महिलाओं में गर्भाशय फाइब्रॉएड्स होने का जोखिम बढ़ सकता है, लेकिन अभी तक यह पूरी तरह से साबित नहीं हो सका है. फाइब्रॉएड गर्भाशय में होने वाला अहानिकारक ट्यूमर है, जो अक्सर महिलाओं में उनके प्रसव के सालों के दौरान होता है. देश की युवा महिलाओं में गर्भाशय फाइब्रॉएड की घटना एक प्रमुख स्त्री रोग संबंधी चिंता बनकर सामने आ रही है. मगर इसके सही कारण का अभी तक पता नहीं चल पाया है. इस स्थिति से अक्सर जुड़े कारकों में जेनेटिक और कुछ लाइफस्टाइल फैक्टर्स शामिल हैं.
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क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
गुरुग्राम के क्लाउडनाइन ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स में प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की निदेशक डॉ. चेतना जैन ने बताया, "ऐसा माना जाता है कि डायबिटीज गर्भाशय फाइब्रॉएड से जुड़ा है, लेकिन अभी तक यह सिद्ध नहीं हुआ है. यह बेहद ही जटिल प्रश्न है, जिसकी खोज के लिए ज्यादा शोध की जरूरत है."
डॉक्टर ने कहा, "ऐसे सबूत हैं जो बताते हैं कि डायबिटीज से जुड़े कारक जैसे इंसुलिन रेजिस्टेंस, मोटापा और पुरानी सूजन, फाइब्रॉएड में योगदान कर सकते हैं. हालांकि, इस संबंध की सटीक जानकारी सामने नहीं आई हैं. इस संबंध को साफ करने के लिए ज्यादा शोध की जरूरत है."
40 और 50 के दशक में सबसे कॉमन है गर्भाशय फाइब्रॉएड:
शोध से पता चला है कि 50 साल की आयु तक 20 से 80 प्रतिशत महिलाओं में गर्भाशय फाइब्रॉएड विकसित हो जाता है. ये 40 और 50 के दशक की शुरुआत में महिलाओं में सबसे आम है. कुछ शोधों में कहा गया है कि डायबिटीज से पीड़ित महिलाओं में गर्भाशय फाइब्रॉएड का खतरा ज्यादा होता है. वहीं, आयु और ऑलओवर मेटाबॉलिज्म स्वास्थ्य जैसे अन्य कारक भी फाइब्रॉएड के विकास में बड़ी भूमिका निभाते हैं.
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फाइब्रॉएड के कारण प्रजनन क्षमता में कमी:
इसके साथ ही दर्द, हैवी पीरियड्स और कभी-कभी फाइब्रॉएड के कारण प्रजनन क्षमता में कमी जैसी कई समस्याएं डायबिटीज की उपस्थिति से और भी बदतर हो सकती हैं. डॉ जैन ने कहा, "डायबिटीज से गर्भाशय फाइब्रॉएड का एक संभावित संबंध है, लेकिन इसे सीधे अभी जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. यह आमतौर पर हार्मोनल मेटाबॉलिज्म और सूजन प्रक्रियाओं के संयोजन के कारण है जो दोनों स्थितियों में आम हैं."
आर्टेमिस हॉस्पिटल्स में चीफ एंडोक्रिनोलॉजी डॉ. धीरज कपूर ने बताया कि गर्भाशय फाइब्रॉएड गर्भाशय में गैर-कैंसरयुक्त वृद्धि है. उन्होंने बताया, "डायबिटीज और गर्भाशय फाइब्रॉएड के विकास के बीच इंसुलिन रेजिस्टेंस एक कारण हो सकता है."
रिस्क को कैसे कम कर सकते हैं:
इतना ही नहीं, टाइप 2 डायबिटीज से जुड़ा मोटापा भी फाइब्रॉएड के लिए एक जोखिम कारक है. विशेषज्ञों ने कहा कि डाइट, एक्सरसाइज और दवा के माध्यम से ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने से डायबिटीज से पीड़ित लोगों में फाइब्रॉएड के जोखिम को कम करने में काफी मदद मिल सकती है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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