International Day of Persons with Disabilities 2025: दुनिया में हर साल 3 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस मनाया जाता है. इस दिन का उद्देश्य यह बताना है कि दिव्यांग लोग किसी बोझ या दया के पात्र नहीं हैं, बल्कि वे समाज की ताकत हैं. असली विकलांगता शरीर में नहीं, सोच में होती है. दुनिया के कई प्रसिद्ध लोग, चाहे वे खिलाड़ी हों, वैज्ञानिक हों या कलाकार, किसी न किसी शारीरिक चुनौती के बावजूद अपनी क्षमता को नई ऊंचाइयों तक ले गए. यह बदलाव केवल इच्छाशक्ति से नहीं, बल्कि सही थेरेपी और वैज्ञानिक तकनीकों की मदद से भी संभव हुआ है.
आज तकनीक और फिजिकल साइंस की प्रगति ने साबित कर दिया है कि डिसएबिलिटी को कमजोरी नहीं, बल्कि सुपर पावर में बदला जा सकता है. सही फिजिकल थेरेपी न केवल शरीर की एक्टिविटी बढ़ाती है, बल्कि आत्मविश्वास, मानसिक शक्ति और रोजमर्रा के कामों को करने की क्षमता को भी कई गुना बढ़ा देती है. तो आइए जानते हैं ऐसी 7 फिजिकल थेरेपीज के बारे में, जो किसी भी दिव्यांग व्यक्ति के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती हैं.ॉ
1. न्यूरो फिजियोथेरेपी - दिमाग और शरीर का कनेक्शन मजबूत
यह थेरेपी उन लोगों के लिए बेहद कारगर है जिन्हें स्ट्रोक, सिर की चोट, सेरेब्रल पाल्सी या पार्किंसन जैसी समस्याएं होती हैं. यह दिमाग के उन हिस्सों को एक्टिव करती है जो शरीर को चालना, पकड़ना या बैलेंस बनाए रखने का संकेत देते हैं. कई लोग, जो पहले चलने में असमर्थ थे, नियमित न्यूरो थेरेपी से फिर से चलने लगे हैं.
2. ऑक्यूपेशनल थेरेपी - रोजमर्रा की जिंदगी आसान
कपड़े पहनना, खाना खाना, लिखना, घर के छोटे-छोटे काम करना, यह सब उन लोगों के लिए चुनौती बन जाता है जिन्हें शारीरिक अक्षमताएं हैं. ऑक्यूपेशनल थेरेपी व्यक्ति की क्षमता, माहौल और जरूरत के हिसाब से रूटीन बनाती है, जिससे वह आत्मनिर्भर बन सके.

3. हाइड्रोथेरेपी - पानी की ताकत से शरीर को आजादी
पानी में किया गया व्यायाम शरीर के वजन को कम महसूस कराता है, इसलिए यह थेरेपी चलने-फिरने में दिक्कत वाले लोगों के लिए वरदान है. इससे मांसपेशियां मजबूत होती हैं और दर्द कम होता है. कई एक्सपर्ट इसे बॉडी का नेचुरल जिम कहते हैं.
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4. गेट ट्रेनिंग थेरेपी - फिर से चलना सीखें
यह थेरेपी चलने की प्रक्रिया को दोबारा सक्रिय करती है. कुछ इक्विपमेंट, वॉकिंग बेल्ट और तकनीकी मशीनें शरीर की चाल को सुधारती हैं. इससे व्हीलचेयर पर निर्भर व्यक्ति धीरे-धीरे बैसाखी या स्टिक के सहारे चलना शुरू कर सकता है.
5. स्पीच और स्वैलोइंग थेरेपी - आवाजा से पहचान तक
कुछ दिव्यांग व्यक्तियों को बोलने, उच्चारण करने और निगलने में परेशानी होती है. यह थेरेपी वॉयस मसल्स पर काम करती है और उनकी भाषा क्षमता को सुधारती है. कई बच्चे और वयस्क इसी थेरेपी से पहली बार बोल पाते हैं.
6. रोबोटिक फिजियोथेरेपी - साइंस की मदद से सुपर ह्यूमन ट्रेनिंग
एक्सोस्केलेटन सूट, रोबोटिक आर्म और AI बेस्ड मशीनें आज फिजिकल थेरेपी को अगले लेवल पर ले गई हैं. ये डिवाइस शरीर की मूवमेंट को सपोर्ट करती हैं और न्यूरल कनेक्शन को तेजी से सक्रिय करती हैं. यह सचमुच इंसान को सीमाओं से परे ले जाने वाला भविष्य है.
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7. म्यूजिक एंड डांस थेरेपी - रिद्म से रिकवरी
संगीत दिमाग की नसों को शांत करता है और शरीर में नई ऊर्जा भर देता है. डांस थेरेपी से बैलेंस, कोर्डिनेशन और मूवमेंट में सुधार होता है. बच्चे इस थेरेपी से बेहद पॉजिटिव रिजल्ट दिखाते हैं.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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