Holi, Holika Dahan 2020 Date and Time: होली कब है. यकीनन सबसे पहला सवाल आपके मन में यही चल रहा होगा. तो अगर आप भी जानना चाह हरे हैं कि साल 2020 में होली कब है (Holi Kab Hai), होलिका दहन का शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurt) क्या है, होली की कथा या कहानी क्या (Holi Story) है और हम होली क्यों मनाते हैं. तो इन सब सवालों के जवाब आपको मिलेंगे इसे लेख में. साल 2020 में होली कब है (Holi in 2020) तो आपको बता दें कि इस साल होलिका दहन (Holika Dahan 2020) 9 मार्च को है जोकि सोमवार के दिन पड़ रहा है. वहीं, दूसरी तरफ रंग की उमंग से भरे त्योहार होली (Festival of Colours) पर कोरोना (Coronavirus and Holi) के कहर का साया मंडरा रहा है, क्योंकि इस बार रंगों के त्योहार होली (Holi 2020) को लेकर बच्चे उत्साहित नहीं हैं. देश में कोरोनावायरस (Coronavirus in India) के मामले सामने आने पर बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सभी इस बीमारी के खतरे को लेकर आशंकित हैं.
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होली कब है (When Is Holi 2020)
होली का त्योहार वसंत ऋतु का प्रतीक है. इसे रंगों का त्योहार भी कहा जाता है. साल 2020 में छोटी होली (Chhoti Holi) 9 मार्च, जिसे कि होलिका दहन (Holika Dahan) भी कहा जाता है, को मनाई जाएगी तो खेलने वाली होली जिसे कि रंगों वाली होली (Rangwali Holi) या धुलेंडी (Dhulandi) भी कहा जाता है 10 मार्च को मनाई जाएगी. विक्रम सवंत हिन्दू कैलेंडर के अनुसार यह पर्व फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को आता है. अन्य हिन्दू त्योहारों की जगह होली बहुत उत्साह वाला त्योहार है, होली वसंत ऋतु के आने और सर्दियों के जाने का प्रतीक है. होली के मौके पर हम अपने प्रियजनों से मिलते है, उनको गुलाल लगाते हैं और स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद लेते हैं.
होलिका दहन का मुहूर्त (Holika Dahan 2020: Date, Muhurt and Timing)
जैसा कि हम बता चुके हैं साल 2020 में होलिका दहन 9 मार्च यानी सोमवार की रात में किया जाएगा. होलिका दहन के लिए 9 मार्च से फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि शुरू होगी.
फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत : सुबह 03:03 बजे से, 9 मार्च 2020
फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि का समापन : 11:17 बजे, 9 मार्च 2020
होलिका दहन करने के लिए मुहूर्त का कुल समय : तकरीबन 02 घण्टे 26 मिनट.
होलिका दहन 2020 का मुहूर्त : 06 बजकर 26 मिनट से रात 08 बजकर 52 मिनट तक, 9 मार्च, 2020
Holi, Holika Dahan 2020: रंगों वाली होली (Rangwali Holi) या धुलेंडी (Dhulandi) भी कहा जाता है 10 मार्च को मनाई जाएगी.
होली की व्रत कथा (Holi Vrat Katha in Hindi)
होली की कथा जो सबसे ज्यादा प्रचलित है वह प्रहलाद (Bhakt Prahlad) और उनके पिता हिरण्यकश्यप की कहानी (Hiranyakashyap Story) है. इस पौराणिक कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यप शक्तिशाली और अभिमानी राजा था, जो खुद को भगवान मनाता था. हिरण्यकश्यप चाहता था कि उसकी प्रजा समेत हर कोई उसी को भगवान माने और उसकी पूजा करे. हिरण्यकश्यप के ड़र से सबने ऐसा करना शुरू भी कर दिया, लेकिन खुद हिरण्यकश्यप के बेटे प्रहलाद ने पिता के आदेश का पालन नहीं किया. हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रहलाद ने उसकी पूजा करने से इनकार कर दिया और उसकी जगह भगवान विष्णु की पूजा करनी शुरू कर दी. इस बात से नाराज हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद को कई सजाएं दी जिनसे वह कभी भी प्रभावित नहीं हुआ. इसके बाद हिरण्यकश्यप और उसकी बहन होलिका ने मिलकर एक योजना बनाई की वह प्रहलाद के साथ चिता पर बैठेगी. होलिका के पास एक ऐसा कपड़ा था जिसे ओढ़ने के बाद उसे आग में किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचता, दूसरी तरह प्रहलाद के पास खुद को बचाने के लिए कुछ भी न था. जैसे ही आग जली, वैसे ही वह कपड़ा होलिका के पास से उड़कर प्रहलाद के ऊपर चला गया. इसी तरह प्रहलाद की जान बच गई और उसकी जगह होलिका उस आग में जल गई. यही कारण है होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है.
कोरोनावायरस के कहर के बीच इस बार फीका हो सकता है होली का रंग (Holi in the time of Coronavirus)
होली नजदीक है, मगर बाजारों में रंग, गुलाल और पिचकारी खरीदने वालों की की संख्या बहुत कम है. उधर, सरकार ने लोगों को भीड़भाड़ से बचने की सलाह देते हुए इस जानलेवा वायरस के प्रकोप की रोकथाम के लिए एहतियात बरतने की अपील की है. प्रधानमंत्री, गृहमंत्री समेत कई नेताओं ने होली मिलन समारोह से दूर रहने की घोषणा की है. देश की राजधानी दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में बच्चों में रंगोत्सव होली को लेकर पहले जैसा रोमांच नहीं है. होली से कुछ दिन पहले से ही जहां ऊंची-ऊंची इमारतों की छतों और बालकनी से बच्चे राहगीरों पर पानी भरे गुब्बारे फेंकना शुरू कर देते थे, वहां इस बार बच्चे ऐसी शरारत करने से भी परहेज बरत रहे हैं.
सेंट्रल दिल्ली के एक नामी स्कूल की तीसरी कक्षा में पढ़ने वाली अंबेश्री कहती है कि वह इस बार होली नहीं खेलेगी, क्योंकि होली में ठंडे पानी में रंग घोलकर लोग एक-दूसरे पर डालते हैं और कोरोना वायरस का संक्रमण ठंड में ज्यादा फैलता है.
दिल्ली-एनसीआर की कुछ सोसायटी के लोगों ने बताया कि कोरोनावायरस फैलने के खतरे के मद्देनजर उन्होंने इस साल होली के अवसर पर होलिका दहन, सामूहिक मिलन और होली रेन डांस जैसे आयोजन रद्द कर दिए हैं.
हालांकि, प्रख्यात हृदयरोग विषेषज्ञ डॉ. के.के. अग्रवाल का कहना है कि होली में रंग खेलने से कोरोनावायरस फैलने का कोई खतरा नहीं है, लेकिन अगर कोई कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज के संपर्क में आता है, तो फिर खतरा है. साथ ही, अगर किसी को खांसी-जुकाम या बुखार आता है तो वह होली न खेले.
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि कोरोनावायरस के प्रकोप को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि एहतियात बरतने की जरूरत है. गाजियाबाद में कोरोनावायरस संक्रमण का एक नया मामला सामने आने के बाद देश में अब तक इससे संक्रमित लोगों की संख्या 30 हो चुकी है.
चीन में सबसे पहले कहर बरपाने के बाद अब कोरोनावायरस के प्रकोप की चपेट में दुनिया के कई देश आ चुके हैं. विशेषज्ञ बताते हैं कि इसका कोई इलाज नहीं है, बल्कि इससे बचाव के उपाय किए जा सकते हैं. (इनपुट-आईएएनएस)
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