High Cortisol Side Effects: कोर्टिसोल एक स्टेरॉयड हार्मोन है. यह ब्लड शुगर, इम्यून सिस्टम और मेटाबॉलिज्म रेगुलेशन में बड़ी भूमिका निभा सकता है. जबकि कोर्टिसोल स्ट्रेस को मैनेज करने और शरीर में कई कार्यों को करने के लिए जरूरी है. कॉर्टिसोल एक जरूरी हार्मोन है जिसे शरीर में "स्ट्रेस हार्मोन" के रूप में जाना जाता है. यह एड्रेनल ग्लैंड द्वारा बनता है और स्ट्रेस के समय में हमारे शरीर की फीडबैक को कंट्रोल करने में मदद करता है. सामान्य परिस्थितियों में कॉर्टिसोल लेवल सुबह हाई होता है और रात में कम हो जाता है, लेकिन जब तनाव लंबे समय तक बना रहता है, तो इसका लेवल असामान्य रूप से बढ़ सकता है. लंबे समय तक हाई कॉर्टिसोल लेवल कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है.
हाई कोर्टिसोल सेहत को कैसे इफेक्ट करता है? | How Does High Cortisol Affect Health?
1. वजन बढ़ना
हाई कोर्टिसोल लेवल भूख को उत्तेजित करता है और खासतौर पेट के आसपास फैट को बढ़ा सकता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कोर्टिसोल फैट और कार्बोहाइड्रेट को बढ़ाता है.
2. ब्लड शुगर लेवल बढ़ना
कोर्टिसोल ग्लूकोनोजेनेसिस को बढ़ावा देकर ब्लड शुगर लेवल को बढ़ाता है. यह एक स्वाभाविक स्ट्रेस रिस्पॉन्स है, लेकिन लगातार तनाव बढ़ने से इंसुलिन रेजिस्टेंस हो सकता है, जो टाइप 2 डायबिटीज का एक पूर्व संकेत है.
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3. कमजोर इम्यून सिस्टम
कोर्टिसोल व्हाइट ब्लड सेल्स के उत्पादन को कम करके इम्यून सिस्टम को दबाता है, जिससे शरीर संक्रमण और बीमारियों के प्रति ज्यादा सेंसिटिव हो जाता है.
4. नींद में गड़बड़ी
कोर्टिसोल का बढ़ा हुआ लेवल प्राकृतिक नींद-जागने के चक्र को बाधित कर सकता है, जिससे सोना या सोते रहना मुश्किल हो जाता है. कोर्टिसोल शाम को कम होना चाहिए. स्लीप क्वालिटी में सुधार करने के लिए रेगुलर स्लीप रूटीन बनाए रखें और एक शांत, अंधेरे कमरे में सोएं.
5. पाचन संबंधी समस्याएं
हाई कोर्टिसोल पाचन प्रक्रिया को धीमा करके और पाचन तंत्र में ब्लड फ्लो को कम करके डायजेशन हेल्थ को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है, जिससे सूजन गैस जैसे लक्षण हो सकते हैं.
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6. हाई ब्लड प्रेशर
कोर्टिसोल शरीर में सोडियम और लिक्विड को बनाए रखने और ब्लड वेसल्स को संकुचित करके हाई ब्लड प्रेशर का कारण बन सकता है. ब्लड प्रेशर में यह वृद्धि हार्ट डिजीज के जोखिम को बढ़ा सकती है.
7. मूड स्विंग और चिंता
हाई कोर्टिसोल लेवल सेरोटोनिन और डोपामाइन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर पर इसके प्रभाव के कारण मूड स्विंग, चिंता और यहां तक कि अवसाद का कारण बन सकता है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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