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हेल्दी लाइफस्टाइल और Awareness ब्रेन स्ट्रोक से निपटने में अहम- एक्सपर्ट

Brain Stroke: भारत के युवाओं में ब्रेन स्ट्रोक के बढ़ते मामले देखने को मिल रहे हैं. इन मामलों में पिछले पांच वर्षों में 25 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली है.

हेल्दी लाइफस्टाइल और Awareness ब्रेन स्ट्रोक से निपटने में अहम- एक्सपर्ट
Brain Stroke: ब्रेन स्ट्रोक के सबसे ज्‍यादा मामले 25-40 वर्ष की उम्र के लोगों में देखने को मिल रहे हैं.

ब्रेन हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है. एक्सपर्ट ने देश में ब्रेन स्ट्रोक और अन्य संबंधित बीमारियों के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए सही डाइट और व्यायाम के साथ-साथ एक हेल्दी लाइफस्टाइल पर जोर दिया है.  आपको बता दें कि न्यूरोलॉजिकल विकारों में स्ट्रोक, सिरदर्द विकार, मिर्गी, सेरेब्रल पाल्सी, अल्जाइमर और अन्य मनोभ्रंश, मस्तिष्क और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र कैंसर, पार्किंसंस रोग, मल्टीपल स्केलेरोसिस, मोटर न्यूरॉन रोग और अन्य न्यूरोलॉजिकल विकार शामिल हैं.

नारायणा हेल्थ के एचओडी और निदेशक एवं क्लिनिकल लीड इंटरवेंशनल न्यूरोलॉजी डॉ. विक्रम हुडेड ने आईएएनएस को बताया, भारत के युवाओं में ब्रेन स्ट्रोक के बढ़ते मामले देखने को मिल रहे हैं. इन मामलों में पिछले पांच वर्षों में 25 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली है. सबसे ज्‍यादा मामले 25-40 वर्ष की उम्र के लोगों में देखने को मिल रहे हैं. यह मुख्‍य रूप से अनएक्टिव लाइफस्टाइल, खराब डाइट हैबिट, धूम्रपान और सीटी लाइफ से जुड़े हाई स्ट्रेस के कारण होता है.

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डॉक्टर ने हाई ब्लड प्रेशर और शुगर की ओर भी इशारा किया है. इसके अलावा जेनेटिक बीमारियां, स्लीपिंग डिसऑर्डर,हृदय संबंधी अज्ञात बीमारियां, हाई स्ट्रेस और प्रदूषण जैसे कारण भी इस खतरनाक बीमारी को जन्‍म देते हैं.

डॉ. हुडेड ने कहा, इन खतरों से बचने के लिए युवाओं को हेल्दी लाइफस्टाइल के साथ रेगुलर फिजिकल एक्टिविटी से जुड़े रहना जरुरी है. साथ ही तनाव को कम करने के उपाय भी बेहद जरुरी हैं. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अनुमान के अनुसार, भारत में कुल बीमारियों में न्यूरोलॉजिकल विकारों का योगदान 10 प्रतिशत है. बढ़ती उम्र की वजह से देश में बीमारों की संख्या बढ़ रही है.

नई दिल्ली स्थित इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर के निदेशक और न्यूरोलॉजी प्रमुख डॉ. ए.के. साहनी ने आईएएनएस को बताया, बढ़ती उम्र के साथ, स्पेशलीर 50 वर्ष के बाद मस्तिष्क में डोपामाइन के कम स्राव के कारण मस्तिष्क के कुछ एरिया में न्यूरोडीजेनेरेटिव परिवर्तन होने लगते हैं.

कोलकाता स्थित नारायण अस्पताल के कंसल्टेंट-न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. अरिंदम घोष ने बताया, सिर में चोट लगने से बचने, पोषक तत्वों और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर बैलेंस डाइट लेने, धूम्रपान से बचने, तनाव दूर करने के उपाय जैसे ध्यान, व्यायाम या सैर करने और डायबिटीज, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और डिस्लिपिडेमिया जैसी बीमारियों का पर्याप्त ध्यान रखने जैसे उपायों को बढ़ाने से कई तरह की न्यूरोलॉजिकल बीमारियों से बचा जा सकता है.

भारत में हर साल लगभग 185,000 स्ट्रोक के मामले सामने आते हैं, जिसमें से हर 40 सेकंड में एक स्ट्रोक और हर 4 मिनट में स्ट्रोक से एक मौत होती है. इन चिंताजनक आंकड़ों के बावजूद भी देश के कई अस्‍पतालों में आवश्यक बुनियादी ढांचे की कमी है.

दिल्ली में श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट के न्यूरोलॉजी निदेशक डॉ. राजुल अग्रवाल ने आईएएनएस को बताया, “न्यूरोलॉजी सेवाओं को मजबूत करने की आवश्यकता है और वहीं विशेषज्ञ प्रभावी उपचारात्मक सुविधाएं बढ़ाने की मांग करते हैं. उन्होंने कहा, “हाई इमेजिंग तकनीक, ब्रेन-मशीन इंटरफेस और डीप ब्रेन स्टिमुलेशन जैसी हालिया तकनीकी सफलताएं इन बीमारियों का पता लगाने और इनके उपचार में बदलाव ला रही है. जो इन समस्‍याओं से जूझ रहे लोगों के लिए उम्‍मीद की नई किरण है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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