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आपकी इस गलती से ग्लूकोमा बन जाता है अंधेपन का कारण, इन लोगों को सबसे ज्यादा खतरा, जानें अंधापन कैसे रोकें

Glaucoma Risk Factors: कई अध्ययनों, रिपोर्ट और अस्पतालों के आंकड़ों के अनुसार, जागरूकता की कमी और समय पर पहचान न हो पाने की वजह से भारत में ग्लूकोमा के कारण अंधापन की समस्या बढ़ रही है.

आपकी इस गलती से ग्लूकोमा बन जाता है अंधेपन का कारण, इन लोगों को सबसे ज्यादा खतरा, जानें अंधापन कैसे रोकें
Glaucoma Causes Blindness: अंधेपन को रोकने के लिए नियमित रूप से आंखों की जांच करानी चाहिए.

Eye Care Mistakes: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के एक नेत्र रोग विशेषज्ञ ने कहा कि 40 साल से ऊपर के लोगों को ग्लूकोमा से अंधेपन को रोकने के लिए नियमित रूप से आंखों की जांच करानी चाहिए. ग्लूकोमा एक ऐसी बीमारी है जो आंखों की रोशनी को धीरे-धीरे खत्म कर सकती है और अंधापन का कारण बन सकती है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर नेत्र विज्ञान के प्रोफेसर और आरपी सेंटर फॉर ऑप्थेल्मिक साइंसेज में ग्लूकोमा सर्विस के प्रमुख डॉ. तनुज दादा ने कहा कि अगर ग्लूकोमा का समय पर पता नहीं चले तो यह आंखों की रोशनी की हानि और अंधापन का कारण बन सकता है.

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ग्लूकोमा कब बनता है परमानेंट अंधेपन का कारण?

डॉ. तनुज दादा ने कहा, "ग्लूकोमा को 'आंखों की रोशनी का साइलेंट चोर' कहा जाता है, क्योंकि अगर इसका इलाज न किया जाए, तो यह परमानेंट अंधेपन का कारण बन सकता है. अगर आपकी उम्र 40 साल से ज्यादा है और आपको किसी प्रकार के लक्षण नहीं हैं, तो आपको हर दो साल में आंखों की जांच जरूर करानी चाहिए."

उन्होंने बताया कि ग्लूकोमा, जिसे काला मोतिया भी कहा जाता है, आंख की ऑप्टिक तंत्रिका की बीमारी है, जो दुनिया में स्थायी अंधेपन का सबसे बड़ा कारण है. विशेषज्ञ ने कहा, "ग्लूकोमा को 'आंखों की रोशनी का साइलेंट चोर' कहा जाता है, क्योंकि इस बीमारी में अक्सर कोई लक्षण नहीं दिखते हैं."

किन लोगों को ग्लूकोमा का सबसे ज्यादा खतरा?

ग्लूकोमा होने का खतरा जिन लोगों को है, उनमें "डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और जिनके परिवार में कोई व्यक्ति ग्लूकोमा से पीड़ित हो" शामिल हैं.

नेत्र रोग विशेषज्ञ ने कहा, "जो लोग स्टेरॉयड, क्रीम, आई ड्रॉप, टैबलेट या इन्हेलर का इस्तेमाल कर रहे हैं या जिनकी आंखों में कोई चोट लगी हो, उन्हें भी इस बीमारी का खतरा ज्यादा है."

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क्यों बढ़ रही अंधेपन की समस्या?

कई अध्ययनों, रिपोर्ट और अस्पतालों के आंकड़ों के अनुसार, जागरूकता की कमी और समय पर पहचान न हो पाने की वजह से भारत में ग्लूकोमा के कारण अंधापन की समस्या बढ़ रही है. भारत में कई मामलों में लगभग 90 प्रतिशत समय बीमारी का पता ही नहीं चल पाता है.

अंधेपन को रोकने के लिए क्या करें?

उन्होंने जीवन भर आंखों की सुरक्षा के लिए नियमित जांच, जल्दी पहचान और सही इलाज के महत्व पर जोर दिया. दादा ने कहा, "जो लोग खतरे में हैं, उन्हें ग्लूकोमा से बचने के लिए हर साल आंखों की जांच करवानी चाहिए. अगर आपकी उम्र 60 साल से ज्यादा है, तो यह जांच जरूर करवानी चाहिए. इस बीमारी से अंधेपन को रोकने के लिए यह बहुत जरूरी है."

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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