Anxiety Remedies: चिंता एक मेंटल हेल्थ कंडिशन है जो लगातार और बहुत ज्यादा ओवरथिंक करने, डर या बेचैनी से होती है. यह अक्सर बेचैनी, थकान, फोकस करने में कठिनाई और मसल्स स्ट्रेस जैसे लक्षणों के साथ होता है. चिंता किसी की भी डेली लाइफ, रिलेशन और ऑलओवर हेल्थ पर बड़ा प्रभाव डाल सकती है. यहां हम कुछ टेक्नीक्स के बारे में बता रहे हैं जिन्हें फॉलो कर आप चिंता को कम कर सकते हैं और अपनी हेल्थ को बढ़ावा दे सकते हैं.
चिंता को कम करने के लिए 9 टिप्स | 9 tips to reduce anxiety
1. डीप ब्रीदिंग
डीप ब्रीदिंग आपको शांत करने और चिंता को कम करने में मदद कर सकती है. डीप ब्रीदिंग से बॉडी का रिलेक्सेशन रिस्पॉन्स एक्टिव हो जाता है, जिससे तेजी से हार्ट बीट जैसे चिंता के लक्षण कम हो जाते हैं. अपनी नाक से धीरे-धीरे सांस लें, कुछ सेकंड के लिए रोकें और अपने मुंह से पूरी सांस छोड़ें. कई बार दोहराएं.
2. प्रोग्रेसिव मसल्स रिलेक्सेशन
इस तकनीक में आपके शरीर में कई मसल्स ग्रुप्स को तनाव देना और फिर उन्हें फ्री करना, रिलेक्सेशन को बढ़ावा देना और आमतौर पर चिंता से जुड़े मसल्स स्ट्रेस को कम करना शामिल है.
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3. माइंडफुलनेस मेडिटेशन
माइंडफुलनेस आपका ध्यान वर्तमान पर केंद्रित करने में मदद करती है, जिससे अतीत या भविष्य से जुड़ी चिंता कम हो जाती है. बिना किसी निर्णय के अपने थॉट्स को ऑब्जर्व करके आप नेगेटिव या स्ट्रेसफुल एक्सपीरियंस पर चिंतन करने से बच सकते हैं.
4. फिजिकल एक्सरसाइज
एरोबिक एक्सरसाइज या योग जैसी फिजिकल एक्टिविटी एंडोर्फिन बनाने में मददगार है, जिसे "फील-गुड" हार्मोन भी कहा जाता है. ये एंडोर्फिन मूड को बढ़ावा देते हैं, नींद में सुधार करते हैं और चिंता को कम करते हैं. हफ्ते के ज्यादा दिनों में कम से कम 30 मिनट एक्सरसाइज करने का टारगेट रखें.
5. कॉग्नेटिव रिस्ट्रक्चरिंग
इस तकनीक में उन नेगेटिव थॉट्स को पहचानना शामिल है जो चिंता बढ़ा सकते हैं. इन थॉट्स को पॉजिटव थॉट्स के साथ बदलें, कॉग्नेटिव रिस्ट्रक्चरिंग एंजायटी को कम करने और मेंटल वेलबीइंग में सुधार करने में मदद कर सकता है.
6. जर्नलिंग
अपने थॉट्स और इमोशन्स को लिखना सेल्फ एक्सप्रेशन्स को बढ़ावा देता है. यह उन ट्रिगर्स की पहचान करने में मदद करता है जो चिंता का कारण बनते हैं.
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7. एक अच्छा रूटीन बनाएं
एक स्ट्रक्चर्ड डेली रूटीन से स्थिरता और कंट्रोल की भावना मिलती है, जो चिंता को कम करने में मदद कर सकती है. आप सेल्फ केयर एक्टिविटीज और शौक के लिए समय बांट सकते हैं.
8. सोशल सपोर्ट
फैमिली, दोस्तों या कम्यूनिटी ग्रुप्स के साथ जुड़ने से अपनेपन की भावना पैदा होती है और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा मिल सकता है. अलगाव की भावनाओं को कम करने में मदद मिलती है और चिंताओं को शेयर करने का एक रास्ता मिलता है.
9. कैफीन का सेवन न करें
कैफीन, निकोटीन और अल्कोहल जैसी चीजों को कम सेवन से चिंता के लक्षणों में सुधार हो सकता है. कैफीन हार्ट रेट बढ़ा सकता है, नींद में खलल डाल सकते हैं और बेचैनी या घबराहट की भावना पैदा कर सकते हैं.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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