आम को 'आम' समझना सही नहीं है, आम बिल्कुल खास है. कुदरत का तोहफा है. कुछ मशहूर लोग तो आम का स्वाद लेने को जिंदगी के सबसे बड़े और खास अनुभवों में एक करार देते हैं. आम पर इतनी चर्चा हम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि रसीले आम का सीजन आ गया है. उत्तर प्रदेश का दशहरी, बिहार में जर्दालू, मुंबई में अल्फांसो, बेंगलुरु में बंगनपल्ली तो पश्चिम बंगाल में मालदा की महक और मिठास के दुनिया भर के लोग दीवाने हैं. फलों का राजा तो आम है, लेकिन इसी आम से कुछ लोग दूरी बनाते हैं और वो हैं मधुमेह या डायबिटीज के मरीज. ICMR की एक स्टडी के मुताबिक भारत में 11 फीसदी लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं, वहीं 15 फीसदी प्री डायबिटिक स्टेज में हैं. देश में डायबिटीज, हाइपरटेंशन और मोटापा के मामले भी पहले के मुकाबले तेजी से बढ़ रहे हैं.
खासकर, डायबिटीज से पीड़ित लोगों और उनके परिजनों के मन में आम को लेकर कई तरह के सवाल आते रहते हैं. उनकी शंकाओं पर हम सीधे एक्सपर्ट से बात करते हैं. आइए, बीएलके-मैक्स हॉस्पिटल, दिल्ली के सेंटर ऑफ डायबिटीज के सीनियर डाइटिशियन डॉक्टर अशोक कुमार झिंगन और एशियन हॉस्पिटल, फरीदाबाद की हेड डायटिशियन कोमल मलिक से आम और डायबिटीज बारे में साइंटिफिक और मेडिकली प्रूव्ड फैक्ट्स के बारे में विस्तार से जानते हैं.
एक्सपर्ट से जानिए, डायबिटीज और आम से जुड़े सवालों के जवाब (Answers to questions related to diabetes and mango)
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सवाल- मुझे शुगर है, क्या मैं आम खा सकता हूं?
जवाब- डायबिटीज के मरीजों का सबसे बड़ा सवाल खाने-पीने से जुड़ा ही होता है. डायबिटीज के मरीज भी आम खा सकते हैं. हां, इसकी मात्रा कम रखनी चाहिए. डायबिटीज के मरीज ग्लाइसेमिक इंडेक्स के बारे में जानते हैं कि क्या खाने से कितना शुगर बढ़ता है. आम का ग्लाइसेमिक इंडेक्स लो होता है यानी इसको खाने से शुगर लेवल धीरे-धीरे बढ़ता है. इसलिए नियंत्रित मात्रा में आम खाया जा सकता है.
आम में विटामिन सी, कैल्शियम, फाइबर होता है. साथ ही यह एंटीऑक्सीडेंट भी होता है. इसलिए यह फायदेमंद है. बस डायबिटीज के मरीजों को आम खाते समय सावधानी रखनी चाहिए. जैसे खाली पेट आम न खाएं. रात में सोने से पहले डेजर्ट या मिठाई की तरह आम न खाएं. एक आम में 67 ग्राम कार्बोहाइड्रेट होता है. इसलिए बेहतर होगा कि मरीज आधा आम ही खाएं और जब आम खाएं तो दूसरे फलों को न खाएं.
सवाल- आम मेरे शुगर लेवल को कैसे प्रभावित करता है?
जवाब- ग्लाइसेमिक इंडेक्स या जीआई स्केल के जरिए पता किया जाता है कि खाने की कोई भी चीज हमारे शुगर लेवल को कैसे प्रभावित करता है. 1 से 100 तक वैल्यू पर काउंट करते वक्त हम इसे लो, मिडियम और हाई तीन कैटेगरी में बांटते हैं. आम में लो टू मॉडरेट या मीडियम कैटेगरी ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है. यानी इसका जीआई 1 से 55 वैल्यू तक रिकॉर्ड किया जाता है. इसलिए आम हमारे शुगर लेवल को धीरे-धीरे प्रभावित करता है. फिर भी डायबिटीज के मरीज के लिए इसे संभलकर और सीमित मात्रा में खाने की सलाह दी जाती है.
सवाल- मैं शुगर के बॉर्डर लाइन पर हूं, क्या मैं आम खा सकता हूं?
जवाब- हां. शुगर के बॉर्डर लाइन पर खड़े लोग यानी प्री-डायबिटिक भी सीमित मात्रा में आम खा सकते हैं. साथ ही आम को खाने के समय और सावधानी का ख्याल रखना चाहिए. ऐसे लोगों को खासतौर पर अपने वजन का भी ध्यान रखना चाहिए. क्योंकि मोटापा से डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए हाई कैलोरीज वाली चीजों को फूड के बजाय स्नैक्स की तरह खाना चाहिए. आम खाते वक्त भी इसी का ध्यान रखना चाहिए.
सवाल- जिन्हें शुगर नहीं है, क्या उन्हें भी आम खाने से परहेज करना चाहिए?
जवाब- अगर आप डायबिटीज से पीड़ित या प्री-डायबिटिक स्टेज में नहीं हैं तो एक नॉर्मल साइज आम रोज खा सकते हैं. सामान्य लोगों के लिए 200-250 ग्राम फ्रूट खाना हेल्दी डाइट है. आम तो सीजनल फूड है. इसलिए इसको सीमित मात्रा में इंजॉय करना चाहिए. यह बॉडी के लिए बिल्कुल हेल्पफुल है. इसलिए आम खाने से नहीं, उसकी अधिक क्वांटिटी से परहेज करना चाहिए.
सवाल- क्या शुगर में रोटी या दूध के साथ आम खाया जा सकता है?
जवाब- कर्ड, नट्स और मिल्क के साथ आम को मिलाकर खाना बिल्कुल सेफ और स्वादिष्ट होता है. इसको बिल्कुल खाया जा सकता है. डायबिटीज के मरीजों को मैंगो शेक वगैरह में चीनी से बचना चाहिए. पल्प को सीधे लेने से बचना चाहिए. रोटी वगैरह के साथ मिलाने में कार्बोहाइड्रेट का ध्यान रखना चाहिए. यहां सबसे बड़ी एहतियात आम के मात्रा को लेकर ही बरतनी चाहिए.
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