Aankh Kyu Phadakti Hai: आँखों का फड़कना (आई ट्विचिंग) लोगों के बीच चिंता का एक आम कारण है. कई लोग इसको शुभ और अशुभ मानते हैं और आंखों को फड़कने पर किसी घटना होने का अंदेशा लगाते हैं. लेकिन मेडिकल भाषा में यह पलकों या आँखों के आसपास की मांसपेशियों की अनैच्छिक (अपने-आप होने वाली) हरकत को दर्शाता है. ज़्यादातर मामलों में यह एक हानिरहित लक्षण होता है और जीवन में कभी-न-कभी लगभग हर व्यक्ति को इसका अनुभव हो सकता है. लेकिन कभी-कभी यह आँखों या शरीर में छिपी किसी गंभीर समस्या का संकेत भी हो सकता है. अग्रवाल आई हॉस्पिटल के डॉक्टर कार्तिकेय ( सीनियर कंस्लटेंट वीटोरेटिना) ने आँखों के फड़कने के कारणों के बारे में बताया है.
आँखों के फड़कने का कारण ( Aankh Kyu Phadakti Hai)
स्ट्रेस और चिंता
आँखों के फड़कने का सबसे आम कारण शरीर में ज्यादा स्ट्रेस और चिंता है. नींद की कमी और अधिक कैफीन का सेवन, जो अक्सर तनाव और चिंता के साथ जुड़े होते हैं वो इस समस्या को और बढ़ा सकते हैं.
ऐसे मामलों में तनाव कम करने के उपाय अपनाने और कॉफी/कैफीन का सेवन घटाने से आँखों के फड़कने में राहत मिलती है.
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एलर्जी और ड्राई आई
एलर्जी और ड्राई आई (सूखी आँखें) भी आँखों की दो आम समस्याएँ हैं, जो आँखों के फड़कने का कारण बनती हैं. ये दोनों समस्याएँ अक्सर साथ-साथ पाई जाती हैं और वायु प्रदूषण बढ़ने के कारण शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में अधिक देखी जाती हैं. डिजिटल डिवाइसेज़ और स्क्रीन के बढ़ते उपयोग से भी एलर्जी और ड्राई आई की समस्या बढ़ती है, जिससे आँखों का फड़कना और ज़्यादा हो सकता है. एलर्जी से पीड़ित छोटे बच्चों में विशेष रूप से आँखों का फड़कना देखा जा सकता है, और कई बार यह बच्चों में आँखों की एलर्जी का एकमात्र लक्षण भी हो सकता है. कभी-कभी छिपी हुई रिफ्रैक्टिव एरर (नज़र का नंबर) या चश्मे से जुड़ी समस्या भी आँखों के फड़कने का कारण बन सकती है. बच्चों में “हैबिचुअल” आई ट्विचिंग पर भी ध्यान देना चाहिए, जहाँ आँखों के फड़कने का कोई स्पष्ट कारण नहीं होता और बच्चा आदतन आँखें फड़काने लगता है.
आंख फड़कने के अन्य कारण
जब ऊपरी और निचली पलक दोनों एक साथ बार-बार और समूहों में फड़कने लगें, तो इस स्थिति को ब्लेफेरोस्पाज़्म कहा जाता है. इसी तरह, यदि आँखों के फड़कने के साथ चेहरे का आधा हिस्सा भी फड़कने लगे और मुँह का कोना हिलने लगे, तो इसे हेमीफेशियल स्पाज़्म कहा जाता है. इन दोनों ही स्थितियों में नेत्र रोग विशेषज्ञ की सलाह लेना आवश्यक है. इनमें उपचार की ज़रूरत होती है और कुछ मामलों में यह किसी गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारी का संकेत भी हो सकता है. कभी-कभार मल्टीपल स्क्लेरोसिस या एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस जैसी कुछ न्यूरोलॉजिकल बीमारियाँ भी पलकों के फड़कने का कारण बन सकती हैं. इसलिए, यदि तनाव, चिंता, नींद की कमी और ड्राई आई को ठीक करने के बाद भी आँखों का फड़कना बना रहे, तो उचित परामर्श के लिए अपने नेत्र रोग विशेषज्ञ से अवश्य मिलें.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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