COVID होने के बाद कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी थकान को करती है कम और बढ़ाती है एकाग्रता : अध्ययन

कोविड-19 संक्रमण के बाद ज्यादातर लोगों में स्थायी लक्षण विकसित हो जाते हैं. सबसे आम लक्षण बहुत ज्यादा और पुरानी थकान है, जिसे अक्सर लॉन्ग-कोविड या पोस्ट-कोविड सिंड्रोम के रूप में जाना जाता है.

COVID होने के बाद कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी थकान को करती है कम और बढ़ाती है एकाग्रता : अध्ययन

कोविड-19 के बाद सबसे आम लक्षण बहुत ज्यादा और पुरानी थकान है.

कोविड-19 पोस्ट-वायरल थकान से पीड़ित लोगों को कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी से लाभ मिलता है, जो थकान और कंसंट्रेशन की समस्याओं को कम करता है. एम्स्टर्डम यूएमसी में मेडिकल साइकोलॉजी के प्रोफेसर और प्रमुख शोधकर्ता हैंस नूप ने पाया कि "बिहेवियर थेरेपी के बाद, रोगियों में न केवल कम लक्षण थे बल्कि शारीरिक और सामाजिक रूप से भी वे बेहतर महसूस कर रहे थे. वे सुधार छह महीने बाद भी मौजूद थे." एम्स्टर्डम UMC, RadboudUMC और तीन और संस्थानों से एक अध्ययन जारी किया, कोविड-19 संक्रमण के बाद ज्यादातर लोगों में स्थायी लक्षण विकसित हो जाते हैं. सबसे आम लक्षण बहुत ज्यादा और पुरानी थकान है, जिसे अक्सर लॉन्ग-कोविड या पोस्ट-कोविड सिंड्रोम के रूप में जाना जाता है.

बिस्तर से उठने के बाद आप भी शरीर में दर्द महसूस करते हैं तो 5 चीजों पर आज से ही ध्यान देना शुरू करें

ReCOVer अध्ययन में, जो ZonMw द्वारा फाइनेंस्ड था, कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी लेने वालों की तुलना कन्वेंशनल ट्रीटमेंट लेने वालों से की गई थी. ट्रीटमेंट के एक स्पेसिफिक कोर्स में जीपी या एक्सपर्ट सुपरविजन, फिजियोथेरेपी और ऑक्यूपेशनल थेरेपी शामिल होगी.

कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी कैसे मददगार?

कोविड-19 के बाद लगातार थकान वाले रोगियों के लिए कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी लक्षणों से अलग तरीके से निपटकर थकान को कम करने पर फोकस्ड है. "मरीजों के साथ हम देखते हैं, उदाहरण के लिए वे अपनी नींद-जागने की लय को कैसे सुधार सकते हैं. हम उन्हें छोटे, सेफ स्टेप्स के साथ फिर से एक्टिव होने में भी मदद करते हैं" नूप ने कहा.

मोटापा बढ़ा सकता है महिलाओं में स्‍तन कैंसर का खतरा, जानें क्‍या करें...

ज्यादातर पार्टिसिपेंट्स ने इलाज के बाद काफी कम थकान और बेहतर एकाग्रता का अनुभव किया. उन्होंने सामाजिक और शारीरिक रूप से भी बेहतर महसूस किया. परिणाम भी समय के साथ स्थिर साबित हुए. छह महीने के बाद रेगुलर केयर लेने वालों की तुलना में अंतर अभी भी मौजूद थे.

नूप ने कहा, "कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी भी एक सेफ ट्रीटमेंट प्रतीत होता है. हमारे शोध से पता चलता है कि लक्षण खराब नहीं हुए और नए लक्षण कम बार सामने आए."

Spinal Cord Recovery Story: सिरफिरे आश‍िक ने बना दिया था जिंदा लाश,आज मिसाल है सारिका

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com



(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)