विज्ञापन

माता पिता के लिए बहुत काम ही हैं मनोज बाजपेयी की ये Parenting Tips, बच्चों के कदम चूमेंगी खुशियां और सक्सेस

Parenting Tips in Hindi: एक प्यारी सी बेटी के पिता मनोज बाजपेयी अक्सर पेरेंटिंग पर बात करते हैं और लोगों को टिप्स भी देते रहते हैं. मनोज बाजपेयी के पेरेंटिंग टिप्स काफी प्रैक्टिकल और काम के हैं.

माता पिता के लिए बहुत काम ही हैं मनोज बाजपेयी की ये Parenting Tips, बच्चों के कदम चूमेंगी खुशियां और सक्सेस

Parenting Tips in Hindi: मनोज बाजपेयी (Manoj Bajpayee) कई फिल्मों में शानदार अभिनय से लोगों का दिल जीत चुके हैं. पर्दे पर कई बार पिता की भूमिका में कमाल करने वाले मनोज बाजपेयी अपने असली जीवन में भी प्यारी सी बिटिया के पापा हैं. मनोज बाजपेयी को कई बार तस्वीरों में उनकी बेटी अवा के साथ देखा जाता है. वे अक्सर पेरेंटिंग पर बात करते हैं और उसके बारे में लोगों को टिप्स भी देते रहते हैं. मनोज बाजपेयी के पेरेंटिंग टिप्स (Parenting Tips) काफी प्रैक्टिकल और काम के हैं. हर माता पिता को इनसे मदद मिल सकती है. आइए जानते हैं पेरेंटिंग पर क्या हैं मनोज बाजपेयी की सलाह (Parenting Tips by Manoj Bajpayee)

मनोज बाजपेयी के पेरेंटिंग टिप्स (Parenting Tips by Manoj Bajpayee)

बच्चे आपके ट्रॉफी नहीं

मनोज बाजपेयी कहते हैं पेरेंट्स को बच्चे को अपने लिए ट्रॉफी नहीं समझना चाहिए. उन्हें बात बात पर अपने प्यार की दुहाई देना ठीक नहीं है. हर माता पिता बच्चे से प्यार करते हैं लेकिन उसे हमेशा जताते रहना बच्चों पर दबाव की तरह काम करता है.

यह भी पढ़ें : Yoga For Kids: बच्चों को बीमारी से दूर रखना है तो जरूर कराएं ये 3 योगासन, ऐसे करें अभ्यास  

बच्चे के जीवन में विलेन

बच्चे के जीवन में इस तरह टोकाटोकी न करें कि वह आपको विलेन समझने लगे. ऐसे में बच्चे जल्दी ही माता पिता को इग्नोर करने लगते हैं. उन्हें सही गलत की समझ विकसित होने दें और इसके लिए अपने जीवन का उदाहरण पेश करें.

ओवर प्रोटेक्टिव होना

बच्चों को प्यार दुलार की सीमा होनी चाहिए. माता पिता का ओवर प्रोटेक्टिव होना बच्चों के विकास के लिए ठीक साबित नहीं होता है और आगे चल कर उन्हें दुनिया की सच्चाई का सामना करने में परेशानी हो सकती है.

यह भी पढ़ें : Parenting Tips: रोना और उदास होना छोड़ देगा बच्चा, रहेगा हमेशा हंसता-खेलता, करें ये 5 काम

प्रैक्टिकल दुनिया का अनुभव

आजकल बच्चों का जीवन स्क्रीन्स तक सीमित हो गया है जिसके कारण उन्हें असल जीवन का अनुभव कम होता है. बच्चों को असली जीवन का भी अनुभव लेने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. प्रैक्टिकल दुनिया से कटे हुए बच्चे असली दुनिया की चुनौतियों का सामना होने पर घबरा जाते हैं और डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com