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AIIMS Delhi में देश का पहला बड़ा वर्कशॉप, जब दवाएं बेअसर हों, तब पार्किन्सन के मरीजों के लिए उम्मीद बने DBS!

भारत में इस एडवांस इलाज को और ज्यादा सुलभ व प्रभावी बनाने की दिशा में एम्स दिल्ली ने 19–20 दिसंबर 2025 को देश का पहला DBS वर्कशॉप आयोजित किया.

AIIMS Delhi में देश का पहला बड़ा वर्कशॉप, जब दवाएं बेअसर हों, तब पार्किन्सन के मरीजों के लिए उम्मीद बने DBS!
डीप ब्रेन स्टिम्युलेशन एक आधुनिक न्यूरोलॉजिकल तकनीक है.

पार्किन्सन रोग एक ऐसा न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जो धीरे-धीरे इंसान की रोजमर्रा की जिंदगी को जकड़ लेता है. शुरुआत में हाथों में हल्की कंपकंपी, चलने में सुस्ती या शरीर में अकड़न दिखाई देती है, लेकिन समय के साथ यह बीमारी इतनी बढ़ जाती है कि लिखना, कप पकड़ना, चलना या संतुलन बनाए रखना भी मुश्किल हो जाता है. दवाओं से कुछ समय तक राहत मिलती है, लेकिन जैसे-जैसे बीमारी आगे बढ़ती है, दवाओं का असर कम होने लगता है. ऐसे हालात में मरीज और उनके परिवार के सामने सबसे बड़ा सवाल होता है अब आगे क्या?

इसी सवाल का एक मजबूत जवाब बनकर सामने आई है डीप ब्रेन स्टिम्यूलेशन (DBS) तकनीक. भारत में इस एडवांस इलाज को और ज्यादा सुलभ व प्रभावी बनाने की दिशा में एम्स दिल्ली ने 19–20 दिसंबर 2025 को देश का पहला DBS वर्कशॉप आयोजित किया. यह सिर्फ एक ट्रेनिंग प्रोग्राम नहीं, बल्कि पार्किन्सन के हजारों मरीजों के लिए एक नई उम्मीद की शुरुआत है.

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क्या है डीप ब्रेन स्टिम्युलेशन (DBS)? | What is Deep Brain Stimulation (DBS)? 

डीप ब्रेन स्टिम्युलेशन एक आधुनिक न्यूरोलॉजिकल तकनीक है, जिसमें दिमाग के एक खास हिस्से में बहुत पतली इलेक्ट्रोड डाली जाती है. ये इलेक्ट्रोड हल्के इलेक्ट्रिक सिग्नल भेजती हैं, जिससे कंपकंपी, जकड़न और मूवमेंट की दिक्कतें काफी हद तक कम हो जाती हैं.

यह इलाज खासतौर पर उन मरीजों के लिए कारगर माना जाता है, जिनमें दवाएं अब प्रभावी नहीं रहीं या जिनके साइड इफेक्ट्स बढ़ गए हों.

हालांकि DBS असरदार है, लेकिन इसे करना आसान नहीं होता. इसमें सटीक इमेजिंग, कुशल न्यूरोसर्जरी, डिवाइस प्रोग्रामिंग और लंबे समय तक फॉलो-अप केयर की जरूरत होती है. इसी वजह से एम्स दिल्ली ने इस तकनीक को देशभर के डॉक्टरों तक सही तरीके से पहुंचाने के लिए यह विशेष वर्कशॉप आयोजित की.

देशभर के डॉक्टरों को मिली एडवांस ट्रेनिंग

इस ऐतिहासिक वर्कशॉप में 200 से ज्यादा डॉक्टरों और विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया. कार्यक्रम का नेतृत्व किया प्रो. मंजरी त्रिपाठी, जो एम्स दिल्ली के न्यूरोलॉजी विभाग की प्रमुख हैं. उनके साथ वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. आचल श्रीवास्तव भी मौजूद रहे.

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AIIMS की मूवमेंट डिसऑर्डर टीम:

डॉ. एलावरसी ए., डॉ. अनिमेश दास, डॉ. रूपा राजन, डॉ. दिव्या एम.आर. और डॉ. दिव्यानी ने पूरे वर्कशॉप की अकादमिक रूपरेखा तैयार की. खास बात यह रही कि डॉ. एलावरसी और डॉ. अनिमेश को कनाडा (लंदन) से न्यूरोमॉड्यूलेशन और मूवमेंट डिसऑर्डर में स्पेशल ट्रेनिंग मिला है. इसी अनुभव के आधार पर शुरुआती और एडवांस दोनों लेवल के सेशन डिजाइन किए गए.

AIIMS की मल्टीडिसिप्लिनरी ताकत:

वर्कशॉप में एम्स दिल्ली की टीमवर्क क्षमता साफ दिखाई दी.

न्यूरोरैडियोलॉजी टीम (प्रो. शैलेश गायकवाड़ और प्रो. अजय गर्ग) ने सटीक इमेजिंग तकनीकों पर मार्गदर्शन दिया.
फंक्शनल न्यूरोसर्जरी टीम, जिसका नेतृत्व प्रो. सरत चंद्रा ने किया, ने DBS इम्प्लांटेशन की प्रैक्टिकल ट्रेनिंग दी.
न्यूरोएनेस्थीसिया टीम ने मरीजों की सुरक्षा और आराम से जुड़ी अहम जानकारियां साझा कीं.

इसके अलावा, दुनिया भर से आए पांच अंतरराष्ट्रीय DBS विशेषज्ञों ने हैंड्स-ऑन डिवाइस प्रोग्रामिंग, इमेज-गाइडेड DBS और केस-बेस्ड क्लिनिकल डिस्कशन पर गहन प्रशिक्षण दिया. नए डॉक्टरों के लिए अलग से बेसिक सेशन भी रखे गए, ताकि वे इस तकनीक को सही तरीके से समझ सकें.

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मरीजों के लिए क्यों खास है यह पहल?

AIIMS के एक्सपर्ट्स ने वर्कशॉप में यह भी बताया कि DBS कब जरूरी होता है, किस मरीज को इसका सबसे ज्यादा फायदा मिलता है और कैसे सरकारी योजनाओं की मदद से मरीज इस महंगे इलाज को भी अपेक्षाकृत आसान तरीके से करा सकते हैं.

यह वर्कशॉप न सिर्फ डॉक्टरों की क्षमता बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि इससे आने वाले समय में भारत में पार्किन्सन के मरीजों को बेहतर, सुरक्षित और सुलभ इलाज मिल सकेगा.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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