
एक युवती की मां ने अर्न्स्ट एंड यंग इंडिया (Ernst & Young India) के चेयरमैन को एक दिल दहला देने वाला पत्र लिखा है, जिसमें दावा किया गया है कि उनकी बेटी कंपनी में शामिल होने के चार महीने बाद ही "बहुत ज्यादा काम" के कारण मर गई और उस ग्रुप से कोई भी उसके अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुआ. पत्र में, मां ने कंपनी के बड़े अधिकारियों से ऐसे वर्क कल्चर को सुधारने की भी जोरदार अपील की, जो "ज्यादा काम को ग्लोरिफाई करती है और इंसानों की इग्नोर करती है" और कहा कि उन्हें उम्मीद है कि उनकी बेटी की मौत एक चेतावनी होगी.
एक बयान जारी करते हुए, EY इंडिया ने कहा कि वह कर्मचारी की मौत से बहुत दुखी है और परिवार के पत्राचार को "बहुत गंभीरता और विनम्रता" के साथ ले रहा है.
ईवाई इंडिया के चेयरमैन राजीव मेमानी को लिखे पत्र में अन्ना सेबेस्टियन पेरायिल की मां अनीता ऑगस्टीन ने कहा कि उनका दिल भारी है और उनकी आत्मा टूट गई है, लेकिन यह पत्र इस उम्मीद में जरूरी था कि किसी और परिवार को वह सब न सहना पड़े जो उनके परिवार ने सहा.
ऑगस्टीन ने लिखा कि अन्ना ने पिछले साल 23 नवंबर को चार्टर्ड अकाउंटेंसी (सीए) की परीक्षा पास की और 19 मार्च को ईवाई ज्वॉइन किया.
"वह जीवन, सपनों और भविष्य के लिए उत्साह से भरी हुई थीं. ईवाई उनकी पहली नौकरी थी और वह ऐसी प्रतिष्ठित कंपनी का हिस्सा बनकर रोमांचित थीं, लेकिन चार महीने बाद, 20 जुलाई, 2024 को मेरी दुनिया तब ढह गई जब मुझे यह विनाशकारी समाचार मिला कि अन्ना का निधन हो गया है. वह सिर्फ 26 साल की थीं," उन्होंने लिखा.
अन्ना को एक योद्धा बताया, जिसने पढ़ाई में बेहतरीन थी, ऑगस्टीन ने कहा कि उसने स्कूल और कॉलेज में टॉप किया,एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज में बेहतर प्रदर्शन किया और सीए के एग्जाम में सफलता पाई.
जब वह EY पुणे में शामिल हुईं, तो अन्ना को बताया गया कि उनकी टीम में कई कर्मचारी बहुत ज्यादा काम होने के कारण इस्तीफा दे चुके हैं और उनके मैनेजर ने खुद उनसे उस धारणा को बदलने के लिए बने रहने के लिए कहा था.
"उन्होंने EY में अथक परिश्रम किया, अपनी मांगों को पूरा करने के लिए अपना सब कुछ झोंक दिया. हालांकि, काम का प्रेशर, नया एनवायरमेंट और लंबे घंटों ने उन्हें शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक रूप से बहुत परेशान किया. ज्वॉइंन करने के तुरंत बाद उन्हें चिंता, नींद न आना और तनाव महसूस होने लगा, लेकिन उन्होंने खुद को आगे बढ़ाया, उनका मानना था कि कड़ी मेहनत और दृढ़ता ही सफलता की कुंजी है," ऑगस्टीन ने याद करते हुए लिखा...
वह अपने कॉन्वोकेशन में भी देर से पहुंची:
ऑगस्टीन ने बताया कि "वह और उनके पति 6 जुलाई को अन्ना के CA दीक्षांत समारोह में पुणे गए थे और उनकी छोटी बेटी को उससे एक हफ्ते पहले रात 1 बजे के आसपास उनके पेइंग गेस्ट हाउस पर पहुंचने के बाद सीने में जकड़न की शिकायत हो रही थी. वे उन्हें पुणे के एक अस्पताल में ले गए और उनका इकोकार्डियोग्राम (ECG) सामान्य था, साथ ही एक हार्ट डिजीज स्पेशलिस्ट ने परिवार को बताया कि वह बहुत देर से खाना खा रही थीं और पर्याप्त नींद नहीं ले पा रही थीं, उन्होंने लिखा कि बात यह है कि उन्होंने एंटासिड दवाएं लिखीं, जिससे उनका डर दूर हो गया.
"हालांकि हम कोच्चि से आए थे, लेकिन उसने डॉक्टर से मिलने के बाद काम पर जाने पर जोर दिया, उसने कहा कि बहुत काम है और उसे छुट्टी नहीं मिलेगी. उस रात, वह फिर से देर से अपने पीजी में लौटी. रविवार, 7 जुलाई को, उसके दीक्षांत समारोह के दिन, वह सुबह हमारे साथ शामिल हुई, लेकिन वह उस दिन भी दोपहर तक घर से काम कर रही थी और हम दीक्षांत समारोह देर से पहुंचे," उन्होंने लिखा.
ऑगस्टीन ने बताया कि अन्ना का सपना था कि वह अपने माता-पिता को दीक्षांत समारोह में शामिल होने के लिए पैसे दे और उसने उनके लिए फ्लाइट की टिकट बुक कर दिए थे.
"आपको यह बताते हुए मेरा दिल टूट गया है कि उन दो दिनों के दौरान भी, जो हमारे बच्चे के साथ बिताए जाने वाले आखिरी दिन थे, वह काम के दबाव के कारण उनका आनंद नहीं ले पाई," उन्होंने लेटर में लिखा.
रात और संडे को काम करना:
ऑगस्टीन ने लिखा कि अन्ना के मैनेजर ने न केवल उनसे अपनी टीम के बारे में धारणा बदलने के लिए कहा था, बल्कि एक बड़े नेता ने एक ऑफिस पार्टी में मजाक में कहा था कि उस कलीग के साथ काम करने में उन्हें मुश्किल होगी.
उन्होंने कहा कि ऑफिशियल काम से परे मौखिक रूप से काम दिए जाते थे और वह अपनी बेटी से कहती थीं कि वह उन्हें न लें, लेकिन मैनेजर लगातार काम करते रहते थे.
"वह देर रात तक काम करती थीं, यहां तक कि वीकेंड पर भी, बिना सांस लेने का मौका दिए. उनके असिस्टेंट मैनेजर ने एक बार उन्हें रात में एक काम के लिए बुलाया जिसे अगली सुबह तक पूरा करना था, जिससे उन्हें आराम करने या ठीक होने का बिल्कुल भी समय नहीं मिला. जब उन्होंने अपनी चिंताएं व्यक्त कीं, तो उन्हें यह खारिज जवाब मिला, 'आप रात में काम कर सकती हैं; हम सभी यही करते हैं'," उन्होंने लिखा.
"अन्ना पूरी तरह थककर अपने कमरे में लौटती थी, कभी-कभी तो बिना कपड़े बदले ही बिस्तर पर गिर जाती थी और फिर उसे और रिपोर्ट मांगने वाले मैसेज की बौछार मिल जाती थी. वह अपना बेस्ट कर रही थी, टाइमलाइन को पूरा करने के लिए बहुत मेहनत कर रही थी. वह पूरी तरह से लड़ाकू थी, आसानी से हार मानने वाली नहीं थी. हमने उसे छोड़ने के लिए कहा, लेकिन वह सीखना चाहती थी और नया अनुभव प्राप्त करना चाहती थी. हालांकि, बहुत ज्यादा दबाव उसके लिए भी बहुत ज्यादा साबित हुआ," ऑगस्टीन ने निराशा जताते हुए कहा.
दिल टूटने वाली मां ने कहा कि अन्ना अभी-अभी अपने करियर की शुरुआत कर रही थी, इसलिए उसके पास सीमाएं निर्धारित करने या अनुचित मांगों का विरोध करने के लिए "अनुभव या क्षमता" नहीं थी. उसने कहा कि खुद को साबित करने के अपने प्रयासों में, अन्ना ने खुद को अपनी सीमाओं से परे धकेल दिया.
"काश मैं उसकी रक्षा कर पाती, उसे बता पाती कि उसकी हेल्थ और वेलबीइंग किसी भी चीज से ज्यादा मायने रखती है, लेकिन मेरी अन्ना के लिए बहुत देर हो चुकी है," उन्होंने लिखा.
बदलाव करने की अपील:
अन्ना के साथ जो हुआ उसे एक सिस्टामेटिक इश्यू बताते हुए ऑगस्टीन ने मेमानी से ग्रुप के वर्क कल्चर पर गौर करने की अपील की.
"अन्ना कभी भी अपने मैनेजर को दोष नहीं देती. वह इसके लिए बहुत दयालु थी, लेकिन मैं चुप नहीं रह सकती. नए लोगों पर इतना कठिन काम थोपना, उन्हें दिन-रात, यहां तक कि संडे को भी काम करवाना, किसी भी तरह से उचित नहीं है... आपको नए कर्मचारियों के प्रति कुछ सम्मान दिखाना चाहिए. इसके बजाय, मैनेजेंट ने इसका पूरा फायदा उठाया कि वह नई थी और उसे सौंपे गए और न सौंपे गए दोनों तरह के कामों से दबा दिया," मां ने लिखा.
"अन्ना का अनुभव उस वर्क कल्चर के बारे में बताता है जो बहुत ज्यादा काम को ग्लोरिफाई करती है. यह सिर्फ मेरी बेटी के बारे में नहीं है, यह हर उस यंग प्रोफेशनल्स के बारे में है जो उम्मीदों और सपनों से भरा हुआ EY में शामिल होता है, लेकिन अनरिअल उम्मीदों के बोझ तले दब जाता है... अन्ना की मौत EY के लिए एक चेतावनी होनी चाहिए. यह आपके ग्रुप के भीतर वर्क कल्चर पर विचार करने और अपने कर्मचारियों की हेल्थ और वेलबीइंग को प्राथमिकता देने के लिए सही कदम उठाने का समय है," साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा माहौल बनाया जाना चाहिए जहां कर्मचारी अपनी बात कहने में सुरक्षित महसूस करें, उन्हें अपने वर्क प्रेशर को मैनेज करने के लिए सहायता मिले और "जहां प्रोडक्टिविटी के लिए उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का बलिदान न किया जाए".
ऑगस्टीन ने कहा कि EY से कोई भी अन्ना के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुआ, जिसे परिवार ने बहुत दुखद पाया. इस बात पर जोर देते हुए कि यह सहानुभूति की कमी को दर्शाता है, उन्होंने कहा कि उन्होंने अंतिम संस्कार के बाद अन्ना के मैनेजर्स से संपर्क किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.
"मुझे नहीं पता कि कोई भी मां की भावनाओं को सही मायने में समझ सकता है जब वह अपने बच्चे को सुलाती है - वह बच्चा जिसे उसने अपनी बाहों में लिया, बढ़ते, खेलते, रोते और सपने शेयर करते देखा - जब तक कि उन्होंने उसी दर्द का अनुभव न किया हो. मुझे उम्मीद है कि मेरे बच्चे के अनुभव से वास्तविक बदलाव आएगा ताकि किसी अन्य परिवार को वह दुख और आघात न सहना पड़े जिससे हम गुजर रहे हैं. मेरी अन्ना अब हमारे साथ नहीं है, लेकिन उसकी कहानी अभी भी बदलाव ला सकती है."
EY का बयान:
EY इंडिया ने एक बयान में अन्ना की मौत को एक अपूरणीय क्षति बताया.
"हम जुलाई 2024 में अन्ना सेबेस्टियन के दुखद और असामयिक निधन से बहुत दुखी हैं, और हमारी गहरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिवार के साथ हैं. अन्ना पुणे में EY ग्लोबल की मेंबर फर्म एसआर बटलीबोई में ऑडिट टीम का हिस्सा थीं, जो चार महीने की छोटे टाइम के लिए थी, 18 मार्च 2024 को फर्म में शामिल हुईं. उनके होनहार करियर का इस दुखद तरीके से खत्म हो जाना हम सभी के लिए एक अपूरणीय क्षति है. हालांकि कोई भी उपाय परिवार द्वारा अनुभव किए गए नुकसान की भरपाई नहीं कर सकता है, लेकिन हमने हमेशा की तरह इस तरह के संकट के समय में सभी सहायता प्रदान की है और ऐसा करना जारी रखेंगे," बयान में कहा गया.
कंपनी ने आगे कहा, "हम परिवार के पत्राचार को अत्यंत गंभीरता और विनम्रता से ले रहे हैं. हम सभी कर्मचारियों की वेलबीइंग को इंपोर्टेंस देते हैं और भारत में EY मेंबर फर्मों में अपने 1,00,000 लोगों के लिए बेहतर वर्कप्लेस उपलब्ध कराने और उन्हें बेहतर बनाने के तरीके ढूंढते रहेंगे."
काम के बोझ का प्रेशर कैसे कम करें? | How To Reduce The Pressure of Workload?
आज की तेज-तर्रार दुनिया में काम का बोझ और उससे पैदा तनाव बहुत आम हो गया है. चाहे आप किसी ऑफिस में काम कर रहे हों या अपना खुद का व्यवसाय चला रहे हों, काम के प्रेशर से बचना लगभग असंभव सा लगता है, लेकिन सही रणनीतियों और उपायों को अपनाकर इस प्रेशर को कंट्रोल करना और अपने मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखना संभव है. आइए जानते हैं कुछ ऐसे उपाय जो आपको काम के बोझ का प्रेशर कम करने में मदद करेंगे.
1. टाइम मैनेजमेंट का ध्यान रखें
काम के प्रेशर का सबसे बड़ा कारण होता है सही टाइम मैनजमेंट न कर पाना. अपने कार्यों को प्राथमिकता के अनुसार व्यवस्थित करें. दिन की शुरुआत में यह तय करें कि कौन से कार्य ज्यादा जरूरी हैं. ऐसा करने से आप उन कामों पर ज्यादा ध्यान दे सकेंगे जो आपकी प्राथमिकता में हैं और कम जरूरी कार्य बाद में भी किए जा सकते हैं.
टिप्स:
- टू-डू लिस्ट बनाएं: दिन के सभी कार्यों की लिस्ट बनाएं और उन्हें प्राथमिकता के अनुसार बांटें.
- ब्रेक लें: लंबे समय तक एक ही काम करने से प्रोडक्टिविटी कम हो जाती है, इसलिए छोटे-छोटे ब्रेक लेना जरूरी है.
2. मल्टीटास्किंग से बचें
मल्टीटास्किंग से ऐसा लगता है कि आप एक साथ कई काम कर रहे हैं, लेकिन इससे आपका ध्यान बंट सकता है और कोई भी काम पूरी तरह से नहीं हो पाता. बेहतर होगा कि एक समय में सिर्फ एक ही काम पर फोकस करें. इससे काम तेजी से और अच्छे से पूरा होगा, जिससे प्रेशर भी कम होगा.
3. योग और ध्यान का सहारा लें
योग और ध्यान आपके मानसिक तनाव को दूर करने में काफी सहायक हो सकते हैं. दिन में कुछ समय निकालकर ध्यान और डीप ब्रीदिंग करें. यह आपके दिमाग को शांत करता है और काम से पैदा तनाव को कम करने में मदद करता है.
टिप्स:
- सुबह का समय सबसे अच्छा होता है: सुबह 10-15 मिनट ध्यान और प्राणायाम करने से दिनभर आप एनर्जी से भरे रहेंगे.
- बॉडी स्ट्रेच करने के लिए योगासन करें: इससे शरीर और ब्रेन दोनों को आराम मिलेगा.
4. टीमवर्क और सहयोग
हर काम को अकेले करने का प्रयास आपको और ज्यादा प्रेशर में डाल सकता है. अगर आप किसी टीम में काम करते हैं, तो अपने सहकर्मियों से मदद मांगें. टीमवर्क से न केवल काम तेजी से होता है, बल्कि बोझ भी बंट जाता है.
टिप्स:
- काम को बांटें: अगर आप किसी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं, तो उसे टीम में बाटें.
- सहयोगी रवैया अपनाएं: जब भी सहकर्मी किसी मदद की जरूरत में हों, उन्हें सहयोग दें. इससे आपका भी प्रेशर कम होगा और एक सकारात्मक माहौल बनेगा.
5. सकारात्मक सोच रखें
काम के बोझ को बढ़ाने में नकारात्मक सोच का भी बड़ा योगदान होता है. जब आप किसी काम को लेकर घबराते हैं या तनाव महसूस करते हैं, तो उसे करने में और भी ज्यादा कठिनाई होती है. इसके बजाय सकारात्मक सोच को अपनाएं. खुद पर विश्वास रखें और ध्यान दें कि आप काम को अच्छी तरह से कर सकते हैं.
6. फिजिकल एक्टिविटी करें
फिजिकल एक्टिविटी मानसिक तनाव को कम करने में मददगार होती है. जब भी आपको काम का बोझ महसूस हो, तो थोड़ी देर टहल लें या कोई हल्का व्यायाम करें. इससे न केवल आपका मन शांत होगा, बल्कि आपकी प्रोडक्टिविटी भी बढ़ेगी.
7. पर्याप्त नींद लें
अक्सर काम के बोझ के कारण हम अपनी नींद को अनदेखा कर देते हैं, लेकिन यह तनाव बढ़ाने का सबसे बड़ा कारण बन सकता है. नींद की कमी से आपकी मानसिक क्षमता घटती है और आप सही निर्णय नहीं ले पाते. इसलिए दिनभर की थकान को दूर करने के लिए पर्याप्त और अच्छी नींद लेना जरूरी है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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