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नेत्रदान न करने से भारत में नहीं हो पाता अंधेपन के 75 प्रतिशत मामलों का इलाज, जानें क्यों बढ़ रहे हैं केस

भारत के कुछ क्षेत्र स्वास्थ्य सेवा की पहुंच, एनवायरमेंटल कंडिशन और सामाजिक आर्थिक स्थिति जैसे कई कारकों के कारण कॉर्नियल अंधेपन के लिए ज्यादा प्रोन हैं.

नेत्रदान न करने से भारत में नहीं हो पाता अंधेपन के 75 प्रतिशत मामलों का इलाज, जानें क्यों बढ़ रहे हैं केस
ज्यादातर रोगियों को प्रभावित आंख में धुंधली दृष्टि का अनुभव होता है.

एक विशेषज्ञ ने गुरुवार को कहा कि भारत में कॉर्नियल अंधेपन के 75 प्रतिशत मामलों का उपचार नहीं हो पाता है, क्योंकि नेत्र दानकर्ताओं की कमी है. भारत में कॉर्नियल अंधापन दृष्टि दोष का दूसरा सबसे बड़ा कारण है, जिससे वर्तमान में 1.1 मिलियन लोग पीड़ित हैं. हालांकि, इनमें से केवल 25,000 मामले ही हर साल पूरे हो पाते हैं.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?

फरीदाबाद के अमृता अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ ने कहा, "इससे कॉर्नियल अंधेपन से पीड़ित हर चार में से केवल एक व्यक्ति ही जरूरी सर्जरी करवा पाता है, जबकि 75 प्रतिशत मामलों का उपचार नहीं हो पाता है." बढ़ती उम्रदराज आबादी, कॉर्नियल संक्रमण और चोटों की बढ़ती घटनाएं कुछ ऐसे कारण हैं, जिनकी वजह से भारत में कॉर्नियल अंधेपन में बढ़ोत्तरी हो रही है.

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अमृता अस्पताल की नेत्र विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. मीनाक्षी धर ने कहा, "बच्चों में विटामिन-ए की कमी, केराटोकोनस और कॉर्नियल डिस्ट्रोफी जैसी डिजनरेटिव कंडिशन, कॉर्निया का जन्मजात धुंधलापन और सर्जरी के बाद की जटिलताएं दुनिया भर में कॉर्नियल अंधेपन के कुछ अन्य कारण हैं. लक्षण कॉर्नियल डैमेज के अंतर्निहित कारण के आधार पर अलग हो सकते हैं."

इन राज्यों में ज्यादा मामले:

ज्यादातर रोगियों को प्रभावित आंख में धुंधली दृष्टि का अनुभव होता है. आंखों के संक्रमण के कारण आमतौर पर एक्यूट फेज में आंखों में काफी दर्द, पानी आना, लालिमा और गंभीर फोटोफोबिया होता है. आंखों की जांच के दौरान कॉर्निया पर दिखाई देने वाले निशान अक्सर देखे जा सकते हैं." भारत के कुछ क्षेत्र स्वास्थ्य सेवा की पहुंच, एनवायरमेंटल कंडिशन और सामाजिक आर्थिक स्थिति जैसे कई कारकों के कारण कॉर्नियल अंधेपन के लिए ज्यादा प्रोन हैं. डॉक्टरों ने कहा कि उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में कॉर्नियल अंधेपन सहित दृश्य हानि का हाई रेट दर्ज की गई है.

क्या है इलाज?

कॉर्नियल अंधापन कृषि क्षेत्रों में भी आम है जहां आंखों की चोटों से फंगल संक्रमण हो सकता है. जबकि एडवांस केस में कॉर्नियल ट्रांसप्लांट सबसे निश्चित विकल्प है. अन्य उपचारों में लेजर थेरेपी, स्क्लेरल कॉन्टैक्ट लेंस, एमनियोटिक झिल्ली प्रत्यारोपण और स्टेम सेल थेरेपी शामिल हैं.

इसके अलावा हाइजीन, इंफेक्शन का इलाज, टीकाकरण और स्वास्थ्य शिक्षा जैसे निवारक उपाय कॉर्नियल अंधेपन के जोखिम को काफी कम कर सकते हैं. डॉक्टर ने कहा कि कॉर्नियल कंडिशन का शीघ्र निदान और उपचार जरूरी है.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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