- हरियाणा के ब्राह्मणवाला गांव पंचायत ने गांव के युवाओं को अपनी ही युवती या बहू से शादी न करने का आदेश दिया है
- पंचायत ने कहा, नियम तोड़ने वाले जोड़े को पत्नी के साथ गांव से जाना होगा और सहायता करने वालों पर भी कार्रवाई होगी
- पंचायत का तर्क है कि यह फैसला गांव के गिरते नैतिक मूल्यों और सामाजिक ताने-बाने को बचाने के लिए लिया गया है
हरियाणा के फतेहाबाद जिले के गांव ब्राह्मणवाला से एक बेहद हैरान करने वाला मामला सामने आया है. गांव की ग्राम पंचायत ने एक विवादित फैसला सुनाते हुए ऐलान किया है कि अब गांव का कोई भी युवक उसी गांव की किसी युवती या बहू के साथ शादी या प्रेम संबंध नहीं रख सकेगा. यदि कोई इस नियम का उल्लंघन करता है, तो उसे अपनी पत्नी के साथ गांव छोड़कर जाना होगा.
'तालिबानी' नहीं, सामाजिक मर्यादा बचाने का फैसला: पंचायत
पंचायत का तर्क है कि यह फैसला किसी कट्टरपंथी विचारधारा के तहत नहीं, बल्कि गांव के गिरते नैतिक मूल्यों और सामाजिक ताने-बाने को बचाने के लिए लिया गया है. ग्रामीणों और सरपंच प्रतिनिधि के अनुसार, हाल के दिनों में गांव के युवाओं के बीच गांव की ही बहू-बेटियों के साथ प्रेम प्रसंग और गुपचुप शादी करने के मामले बढ़े हैं, जिससे समाज में गलत संदेश जा रहा है.
पंचायत के फैसले की मुख्य बातें
- गांव का कोई भी युवक गांव की ही बेटी या बहू से विवाह नहीं कर सकेगा.
- नियम तोड़ने वाले जोड़े को तुरंत गांव छोड़ना होगा
- जो लोग ऐसे जोड़ों की सहायता करेंगे, पंचायत उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई करेगी
- पंचायत ने स्पष्ट कहा है कि आदेश न मानने वाले किसी भी अनहोनी के लिए खुद जिम्मेदार होंगे
क्यों लिया गया यह सख्त निर्णय?
सरपंच प्रतिनिधि जीवन सिंह ने बताया कि समाज में नैतिक पतन हो रहा है. युवा वर्ग गलत दिशा में जा रहा है और लिव-इन रिलेशनशिप जैसी प्रवृत्तियां गांव की मर्यादा को धूमिल कर रही हैं. बैठक में मौजूद ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से सहमति जताई कि इस "सामाजिक बुराई" को रोकने के लिए ऐसे कड़े कदम उठाना अनिवार्य है.
ब्राह्मणवाला के एक ग्रामीण ने कहा, "अक्सर देखा जा रहा है कि युवक गांव की ही बहू-बेटियों के साथ गुपचुप शादी कर रहे हैं. इससे गांव की विचारधारा दूषित हो रही है. गांव की मर्यादा बनाए रखने के लिए यह ठोस निर्णय लिया गया है."
कानूनी और सामाजिक बहस
हालांकि पंचायत इसे 'मर्यादा' का नाम दे रही है, लेकिन कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि बालिग होने पर अपनी पसंद से शादी करना हर नागरिक का संवैधानिक अधिकार है. ऐसे में पंचायत का यह "गांव निकाला" देने वाला आदेश आने वाले समय में कानूनी विवाद का रूप भी ले सकता है.
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