- हिमाचल प्रदेश के कुल्लू, मनाली, मंडी और चंबा क्षेत्रों में लगातार भारी बारिश
- मनाली की घाटियों में बादलों की वजह से अब विज़िबिलिटी कम हो गई है
- जलवाष्प की प्रक्रिया के कारण ऊंचाई पर ठंडी हवा से बादल बनते हैं और बारिश होती है
हिमाचल में मॉनसून की बारिश जमकर कहर बरपा रही है. हर तरफ हाहाकार मचा हुआ है. जिस तरफ देखो बस उधर तबाही का ही मंजर दिख रहा है. हिमाचल प्रदेश के कुल्लू, मनाली, मंडी और चंबा जैसे पहाड़ी जैसे कई इलाकों में इन दिनों आसमान से लगातार आफत बरस रही है. ब्यास नदी एक बार फिर उफान पर है और मनाली की घाटियों में बादलों ने डेरा जमा लिया है. बीते दो दिनों से यहां लगातार बारिश हो रही है, और मनाली से करीब 20 किलोमीटर दूर बर्फबारी भी दर्ज की गई है. जब हिमाचल समेत तमाम पहाड़ी राज्यों में मौसम का सितम जारी है, तब यह सवाल जरूर मन में आता है कि आखिर पहाड़ों में इतनी लगातार बारिश क्यों हो रही है? चलिए यहां जानते हैं इसके पीछे की वजह

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कैसे बनते हैं बादल?
पहाड़ों में बारिश का यह सिलसिला जलवाष्प की प्रक्रिया से जुड़ा है. ब्यास नदी और आसपास की झीलों से उठने वाली जलवाष्प जब ऊंचाई पर पहुंचती है, तो वहां का तापमान भी काफी कम होता है. ठंडी हवा के संपर्क में आने पर यह वाष्प बादलों में बदल जाती है और जब बादल भारी हो जाते हैं, तो बारिश शुरू हो जाती है. मनाली की घाटियों में इस वक्त बादलों की इतनी घनी परतें हैं कि विज़िबिलिटी भी बेहद कम हो गई है. पहाड़ों के चारों ओर सिर्फ बादल ही बादल नजर आ रहे हैं. लगातार बारिश ने झरनों को भी उफान पर ला दिया है. दो दिन पहले जो झरना एक पतली धारा जैसा था, वह अब तेज़ बहाव में बदल चुका है.

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बर्फबारी की संभावना
मनाली से ऊपर के इलाकों में भारी बारिश के बाद बर्फबारी भी हो गई. मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में मनाली में भी बर्फबारी हो सकती है. यह बदलाव न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि स्थानीय जीवन और पर्यटन पर भी इसका गहरा असर पड़ रहा है. लगातार बारिश और बर्फबारी इस बात का संकेत है कि पहाड़ी इलाकों में मौसम तेजी से बदला है. जलवाष्प, तापमान में गिरावट और ऊंचाई पर हवा की गति ये सभी मिलकर एक ऐसा चक्र बनाते हैं, जिससे बादल बनते हैं और बारिश होती है. यही कारण है कि हिमाचल और उत्तराखंड जैसे राज्यों में मानसून के दौरान भारी बारिश आम हो गई है.
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