
एऐसे लोग, जिन्होंने स्कूल से प्रमाणपत्र लिए बिना ही पढ़ाई छोड़ दी या शिक्षा अधूरी रही, उनमें विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा लेने वालों की तुलना में दिल का दौरा पड़ने की संभावना दोगुने से ज़्यादा बढ़ जाती है। एक नए शोध में यह बात सामने आई है। आस्ट्रेलियन नेशनल विश्वविद्यालय (एएनयू) के प्रमुख शोधकर्ता रोजमैरी कोर्डा ने कहा कि “आप की शिक्षा जितनी ही कम होगी, आपको दिल के दौरे या स्ट्रोक होने की संभावना ज़्यादा रहेगी। यह तथ्य परेशान करने वाला है, लेकिन यह निष्कर्षों से साफ पता चलता है”।
शोध में पाया गया कि ऐसे वयस्क, जिनके पास कोई शैक्षिक योग्यता नहीं थी, उनमें विश्वविद्यालय की डिग्री रखने वाले लोगों की तुलना में दिल का दौरा पड़ने की संभावना दोगुनी (करीब 150 फीसद ज़्यादा) होती है। इन वयस्कों की आयु 45 से 64 साल थी।
दिल का दौरा पड़ने का जोखिम इंटरमीडिएट स्तर या गैर-विश्वविद्यालयी शिक्षा वाले लोगों में करीब दो-तिहाई (70 फीसदी) से ज़्यादा रहा। इसकी वज़ह यह थी कि अच्छी शिक्षा लंबे समय के स्वास्थ्य पर आपके कार्य की प्रकृति, आपके रहन-सहन और आपके खाने की पसंद पर असर डालती है।
मध्यम आयु वर्ग के वयस्क, जिन्होंने विश्वविद्यालय डिग्री ली है, उनकी तुलना में पहली बार स्ट्रोक की संभावना हाईस्कूल की पढ़ाई पूरी नहीं करने वालों में 50 फीसदी और गैर-विश्वविद्यालय योग्यता धारकों में 20 फीसदी रही। कोर्डा ने कहा कि एक इसी तरह की असमानता घरेलू आय और दिल की बीमारियों के बीच में भी पाई गई।
शोधकर्ताओं ने कहा कि इस अनुसंधान से हमें शैक्षिक उपलब्धि और दिल के बीमारियों के खतरे की विशेष संबंधों के खुलासे का अवसर देता है। इससे यह भी पता चल सकेगा कि इसे कम करने के लिए क्या किया जाए। अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने शिक्षा और दिल के रोगों (दिल का दौरा या स्ट्रोक) के संबंधों की जांच की। इसके लिए 45 साल से ज़्यादा आयु के 267,153 पुरुषों और महिलाओं का पांच साल तक परीक्षण किया गया। शोध के परिणाम का प्रकाशन पत्रिका ‘इंटरनेशनल जरनल फॉर इक्विटी इन हेल्थ’ में किया गया।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं