
पुणे स्थित विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के स्वायत्त संस्थान आघारकर अनुसंधान संस्थान ने रसीले अंगूर की एक नई किस्म विकसित की है जो फफूंदरोधी होने के साथ-साथ बेहतर पैदावार भी देने वाली है. बताया गया है कि रसीले अंगूर (Juicy Grapes) की यह किस्म जूस, जैम और रेड वाइन (Red Wine) बनाने में बेहद उपयोगी है, इसलिए किसान अंगूर की इस वेरायटी को लेकर काफी उत्साहित हैं. केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान के जरिए बताया कि अंगूर की यह संकर प्रजाति एआरआई-516 दो विभिन्न किस्मों अमरीकी काटावाबा और विटिस विनिफेरा को मिलाकर विकसित की गई है और यह बीज रहित होने के साथ ही फफूंदरोधी भी है.
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मंत्रालय के अनुसार, एमएसीएस-एआरआई द्वारा अंगूर की कई संकर प्रजातियां विकसित की गई हैं जो कीट ओर रोग रोधी होने के साथ ही अपनी गुणवत्ता के लिए भी जानी जाती हैं.
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महाराष्ट्र एसोसिएशन फॉर कल्टिवेशन साइंस (एमएसीएस)-एआरआई की कृषि वैज्ञानिक डॉ.सुजाता तेताली द्वारा विकसित की गई अंगूर की यह किस्म 110 -120 दिन में पक कर तैयार हो जाती है. बयान के अनुसार, घने गुच्छेदार अंगूर की यह किस्म महाराष्ट्र, तेलंगाना, तमिलनाडु, पंजाब और पश्चिम बंगाल की जलवायु में उगाने के लिए अनुकूल है.
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भारत दुनिया के प्रमुख अंगूर उत्पादक देशों में शुमार है और भारतीय अंगूर की विदेशों में काफी मांग रहती है.
(इनपुट-आईएएनएस)